शुभ मुहूर्त निकलवाने की परंपरा हिन्दू धर्म में सदियों से चली आ रही है. पहले लोग शुभ मुहूर्त निकलवाने के लिए पंचाग और ज्योतिषी-पुजारी पर ही निर्भर रहते थे, लेकिन समय के साथ-साथ जहाँ बहुत-सी चीजों में परिवर्तन आया, वहीं पंचांग भी इससे अछूता नहीं रह पाया. आज ऐसे बहुत से बेहतरीन और सटीक पंचांग ऐप इंटरनेट पर मौजूद हैं, जिनसे आप दैनिक जीवन के बहुत-से छोटे-मोटे कामों के लिए घर बैठे अपने मोबाइल पर ही आसानी से मुहूर्त देख सकते हैं. इनके अलावा बहुत-से ऐसे कैलेंडर भी मौजूद हैं जो हर तिथि, वार, ग्रह, नक्षत्र का बहुत अच्छा विवरण प्रस्तुत करते हैं. जिसे आम लोग भी आसानी से समझ सकते हैं.
शास्त्रों में दिन और रात को मिलाकर कुल तीस मुहूर्त माने गए हैं, जिनके नाम हैं- आहि, रूद्र, पितृ, मित्र, विधि, वाराह, विश्वदेवा, सतमुखी, पुरुहूत, वसु, वाहिनी, वरुण, नक्तनकरा, अर्यमा, भग, गिरीश, अजपाद, अहिर, पुष्य,विष्णु, यम, अश्विनी, कंड,विष्णु, समुद्रम, ब्रह्मा, अदिति जीव/अमृत, बुध्न्य, अग्नि, युमिगद्युति इनमें ब्रह्म' , 'अमृत/जीव' मूहुर्तों को बहुत शुभ माना जाता है.
मुहूर्त किसी भी मांगलिक कार्य को करने के लिए निकाला जाता है. नया वाहन या नया घर खरीदने से लेकर, गृहप्रवेश, विवाह, हवन, यज्ञ, जन्मदिन ,नामकरण, विद्यारंभ करने के लिए, नया व्यापार या व्यवसाय शुरू करने के लिए, किसी पूजा विशेष आदि को करने के लिए विशेष रूप से मूहर्त निकाले जाते हैं.
शुभ मुहूर्त, किसी अनुभवी और योग्य ज्योतिषी द्वारा हिन्दू पंचांग के आधार पर निकाला जाता है. लेकिन कई बार छोटे-छोटे कामों के लिए शुभ मुहूर्त निकलवाने, ज्योतिषी के पास जाना संभव नहीं होता, ऐसे में आप घर में मौजूद पंचांग कैलेंडर को देखकर जिसमें प्रतिदिन के शुभ और अशुभ मुहूर्तों की एक सूची दी गयी होती है, जिसे 'चौघड़िया' कहते हैं. चौघड़िया की सहायता से आप रोज़मर्रा के छोटे-मोटे काम करने के लिए शुभ मुहूर्त का पता स्वयं ही लगा सकते हैं. लेकिन कुछ ऐसे मुख्य कार्य होते हैं, जिनके लिए शुभ मुहूर्त किसी अनुभवी और योग्य ज्योतिषी से ही निकलवाना चाहिए.
वैदिक ज्योतिष में हमेशा से ही पंचांग का अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा है. ऐसे में पंचांग के 5 अंग; वार, तिथि, नक्षत्र, योग और करण की गणना के आधार पर मुहूर्त निकाला जाता है. जिसमें तिथियों को पांच भागों में बांटा गया है. नंदा, भद्रा, जया, रिक्ता, और पूर्णा तिथि. उसी प्रकार पक्ष भी दो भागों में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में विभक्त है. जहाँ हिन्दू धर्म में नक्षत्र 27 प्रकार के बताए गए हैं तो वहीं एक दिन में 30 मुहूर्तों का वर्णन किया गया है. इनमें सबसे पहला मुहूर्त रुद्र होता है जो प्रात:काल 6 बजे से शुरू होता है। इसके बाद क्रमश: हर 48 मिनट के अतंराल पर आहि, मित्र, पितृ, वसु, वराह, विश्वेदवा, विधि आदि होते हैं। इसके अलावा चंद्रमा और सूर्य के निरायण और अक्षांश को 27 भागों में बांटकर योग की गणना की जाती है।
अन्नप्राशन मुहूर्त पढ़ने के लिए देखें – अन्नप्राशन मुहूर्त
विवाह मुहूर्त पढ़ने के लिए देखें – विवाह मुहूर्त
कर्णवेधन मुहूर्त पढ़ने के लिए देखें – कर्णवेधन मुहूर्त
नामकरण मुहूर्त पढ़ने के लिए देखें – नामकरण मुहूर्त
मुंडन मुहूर्त पढ़ने के लिए देखें – मुंडन मुहूर्त
विद्यारम्भ मुहूर्त पढ़ने के लिए देखें – विद्यारम्भ मुहूर्त
गृह प्रवेश मुहूर्त पढ़ने के लिए देखें – गृह प्रवेश मुहूर्त
मुहूर्त निकालने के लिए पंचांग का इस्तेमाल किया जाता है, पंचांग- पांच अंगों - तिथि, वार , नक्षत्र, योग , करण का योग है, जिनके आधार पर ही शुभ मुहूर्त निकाला जाता है. मुहूर्त, किसी शुभ कार्य को करने का समय बताता है, अतः मुहूर्त के बारे में कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि शुभ मुहूर्त का पूरा लाभ उठाया जा सके-
आधुनिकता के रंग में रंगे बहुत-से लोग मुहूर्त-ज्योतिष आदि को बेकार की बातें मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. सनातन धर्म के आधार स्तंभ वेदों में जो भी लिखा है, वह पूरी तरह वैज्ञानिक और तार्किक है. यदि ग्रह, नक्षत्र और समय सत्य हैं तो यह भी सत्य है कि इनका जड़- चेतन पर गहरा प्रभाव पड़ता है. समय के साथ ज्योतिष के हर क्षेत्र में बहुत प्रगति हुई है. इसलिए भी शुभ-अशुभ लग्नों और मूहुर्तों के बारे में पूरी जानकारी रखकर ही मुहूर्त निकालना सही होता है.
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