2026 मुंडन मुहूर्त: जानें, लाडले के पहले बाल कटवाने का सबसे शुभ समय!

Author: Vijay Pathak | Last Updated: Wed 5 Nov 2025 12:39:36 PM

2026 मुंडन मुहूर्त: सनातन धर्म में मुंडन मुहूर्त केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन के प्रमुख संस्कारों में से एक माना जाता है। यह न केवल बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है, बल्कि इसके पीछे गहरे आध्यात्मिक और ज्योतिषीय कारण भी छिपे होते हैं। वर्ष 2026 में अपने लाडले या लाडली का पहला मुंडन कराना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। यहां हम आपके लिए लेकर आए हैं 2026 में मुंडन संस्कार के सभी शुभ मुहूर्त, तिथियां, नक्षत्र और वे जरूरी बातें जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है। 


Read in English: 2026 mundan muhurat

तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं साल 2026 मुंडन मुहूर्त की शुभ तिथियां कौन-कौन सी है।

मुंडन संस्कार का सही समय 2026 में कब है?

आइए अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं वर्ष 2026 में 2026 मुंडन मुहूर्त कब-कब होने वाले हैं। नीचे दए गए चार्ट में 2026 में आने वाले सभी मुंडन मुहूर्त के लिए शुभ दिन बताए गए हैं। यह सभी तिथियां हिंदू कैलेंडर पर आधारित हैं।

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दिनांक

आरंभ काल

समाप्ति काल

बुधवार, 21 जनवरी

07:14:04

26:49:45

गुरुवार, 29 जनवरी

07:32:48

13:57:46

बुधवार, 11 फरवरी

10:53:42

31:03:11

गुरुवार, 12 फरवरी

07:02:25

13:43:22

बुधवार, 18 फरवरी

17:00:10

21:16:55

गुरुवार, 26 फरवरी

06:49:56

12:12:19

शुक्रवार, 27 फरवरी

10:49:45

22:35:23

शुक्रवार, 06 मार्च

09:30:33

17:56:15

सोमवार, 16 मार्च

09:43:52

30:30:28

बुधवार, 25 मार्च

06:20:01

13:52:38

शुक्रवार, 27 मार्च

10:09:19

30:17:42

शुक्रवार, 03 अप्रैल

08:45:16

30:09:37

सोमवार, 13 अप्रैल

05:58:27

25:11:48

गुरुवार, 23 अप्रैल

05:48:11

20:52:05

शुक्रवार, 01 मई

05:40:51

22:55:30

सोमवार, 04 मई

09:58:33

29:27:40

सोमवार, 11 मई

15:27:41

25:29:33

बुधवार, 17 जून

05:22:57

21:41:34

बुधवार, 24 जून

05:24:18

29:24:18

गुरुवार, 25 जून

05:24:34

16:30:01

गुरुवार, 02 जुलाई

09:28:01

29:26:52

शुक्रवार, 03 जुलाई

05:27:15

11:23:02

गुरुवार, 09 जुलाई

10:40:21

14:56:58

बुधवार, 15 जुलाई

11:53:40

21:47:53

सोमवार, 20 जुलाई

19:10:23

28:04:58

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मुंडन के लाभ और धार्मिक महत्व

2026 मुंडन मुहूर्त, जिसे चूड़ाकर्म भी कहा जाता है, सनातन धर्म के 16 संस्कारों में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण संस्कार है। यह आमतौर पर बच्चे के पहले या तीसरे वर्ष में सम्पन्न किया जाता है। मान्यता है कि जन्म के समय शिशु के सिर पर जो बाल होते हैं, वे मातृगर्भ से जुड़ी ऊर्जा व संस्कारों को अपने भीतर समेटे रहते हैं। इन बालों को हटाकर नया जीवन, शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा की शुरुआत होती है। मुंडन न केवल धार्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है, बल्कि यह स्वास्थ्य, बालों की बेहतर वृद्धि और मानसिक विकास में भी सहायक माना गया है। ज्योतिष में भी यह संस्कार बच्चे के ग्रह-दोषों को कम करने और उसके जीवन में शुभता लाने के लिए महत्वपूर्ण माना गया है।

मुंडन संस्कार कैसे करें 

  • 2026 मुंडन मुहूर्त के दिन पंडित जी बच्चे के नाम व गोत्र के साथ संकल्प दिलवाते हैं कि यह मुंडन संस्कार धर्म के अनुसार किया जा रहा है।
  • गणेश पूजन के बाद विशेष मुंडन पूजा व हवन होता है, जिसमें भगवान से बालक के स्वस्थ और दीर्घायु जीवन की प्रार्थना की जाती है।
  • हवन के बाद बच्चे का मुंडन किया जाता है। पहली बार बाल काटने की प्रक्रिया पवित्र मंत्रोच्चारण के साथ की जाती है।
  • कटा हुआ बाल गंगाजल या किसी पवित्र जल में प्रवाहित किया जाता है।
  • मुंडन के बाद बच्चे के माथे पर तिलक लगाया जाता है और सभी बड़े-बुजुर्ग को आशीर्वाद देते हैं।
  • संस्कार पूर्ण होने के बाद ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा दी जाती है।

मुंडन मुहूर्त के लिए शुभ तिथि, वार व नक्षत्र

शुभ मास

मुंडन के लिए चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, माघ और फाल्गुन माह शुभ माने जाते हैं। इन महीनों में किया गया कार्य धार्मिक दृष्टि से फलदायी मानी जाती हैं।

शुभ तिथि

द्वितीया, तृतीया, पंचमी, षष्ठी, दशमी, एकादशी व त्रयोदशी शुभ होती हैं।

शुभ वार

सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को मुंडन करना शुभ माना जाता है।

शुभ पक्ष

2026 मुंडन मुहूर्त के लिए शुक्ल पक्ष को प्राथमिकता दी जाती है।

शुभ नक्षत्र

रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा और रेवती नक्षत्रों में मुंडन करना अत्यंत शुभ होता है।

मुंडन मुहूर्त के दिन क्या करें क्या न करें

इस दिन क्या करें

  • मुंडन से पहले बच्चे और परिवार के सदस्य स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
  • पंडित जी से विधिपूर्वक संकल्प लें और बच्चे का नाम, गोत्र व उद्देश्य बोलकर यज्ञ आरंभ करें।
  • किसी भी शुभ कार्य से पहले गणपति पूजन अनिर्वाय होता है। इससे बाधाएं नहीं आती हैं।
  • बाल काटते समय वेद मंत्रों, मुंडन मंत्रों का उच्चारण कराएं।
  • काटे हुए बालों को पवित्र नदी, तालाब या गंगाजल से युक्त स्थान पर विसर्जित करें।
  • यथाशक्ति ब्राह्मण भोज, अन्न, वस्त्र और दक्षिणा देकर पुण्य कमाएं।
  • इस दिन शुद्ध और सात्विक भोजन बनाएं व सभी को परोसें।

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इस दिन क्या न करें

  • अशुभ समय जैसे राहुकाल, यमघंटा या भद्रा में मुंडन संस्कार वर्जित है।
  • काटे बालों का सम्मानपूर्वक विसर्जन करें, उन्हें कहीं भी न फेंकें।
  • इस दिन तामसिक भोजन व पदार्थों का सेवन न करें।
  • मुंडन के बाद बच्चे का सिर अत्यंत संवेदनशील हो जाता है, इसलिए सिर को ढककर रखें।
  • घर का माहौल शांतिपूर्ण, सकारात्मक और धार्मिक बनाए रखें।
  • शुभ मुहूर्त में ही योग्य पंडित की सलाह से मुंडन कराएं।

मुंडन मुहूर्त निकालते समय किन बातों का ध्यान रखें

  • बच्चे की कुंडली देखकर ग्रहों की स्थिति, विशेषकर चंद्रमा, लग्न और द्वादश भाव की जांच करें।
  • यदि कुंडली में बाल्यावस्था के दोष हों, तो विशेष पूजा के साथ मुंडन कराना लाभदायक होता है।
  • मुहूर्त तय करते समय शुभ लग्न जैसे-वृषभ, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मीन आदि का चयन करें।
  • बच्चे की जन्म राशि के अनुसार लग्न का विचार करना आवश्यक है ताकि ग्रह अनुकूल रहें।
  • चंद्रमा की स्थिति शुभ होनी चाहिए। चंद्रमा गोचर में छठे, आठवें या बारहवें भाव में न हो।
  • राहु, केतु और शनि का दृष्टि प्रभाव मुहूर्त में न हो, विशेष रूप से चंद्रमा और लग्न पर।
  • परंपरागत रूप से मुंडन संस्कार पहले, तीसरे, पांचवें या सातवें वर्ष में कराया जाता है।
  • कुछ परंपराओं में केवल विषम वर्ष में ही मुंडन कराया जाता है।
  • परिवार में कोई शोक या अशुभ घटना हाल ही में न घटी हो। ऐसे समय में मुंडन कार्य करना वर्जित होता है।

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मुंडन मुहूर्त के लाभ

  • बचपन में सिर के बाल गर्भ के दौरान बने होते हैं और उनमें कई बार अशुद्धियां या विकार होते हैं। मुंडन से सिर की त्वचा साफ होती है और बालों की जड़ें मजबूत बनती हैं।
  • मुंडन के बाद उगने वाले बाल अधिक घने, मुलायम और मजबूत होते हैं। इससे भविष्य में बाल झड़ने की समस्या कम हो सकती है।
  • शास्त्रों के अनुसार सिर के बीच स्थित सहस्रार चक्र पर मुंडन से हल्का स्पर्श होता है, जिससे मानसिक विकास और एकाग्रता में वृद्धि होती है।
  • गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में मुंडन से बच्चो को सिर की गर्मी से राहत मिलती है और पसीना कम आता है, जिससे स्किन इंफेक्शन का खतरा भी कम होता है।
  • मुंडन से पहले बालों में गर्भ और शिशु अवस्था की कुछ नकारात्मक ऊर्जा हो सकती है। इन्हें हटाकर सकारात्मक ऊर्जा और शुभता को आमंत्रित किया जाता है।
  • मुंडन संस्कार शुभ मुहूर्त में करने से नवग्रहों का अनुकूल प्रभाव बालक पर पड़ता है। इससे भाग्य और स्वास्थ्य दोनों बेहतर बनते हैं।
  • शास्त्रों में यह मान्यता है कि मुंडन से आयु में वृद्धि होती है और बालक में तेज, ओज तथा बल का संचार होता है।
  • मुंडन संस्कार के माध्यम से बच्चे को भारतीय परंपराओं, संस्कृति और जीवन के मूल संस्कारों से जोड़ा जाता है, जिससे उसमें आदर्श व नैतिकता की भावना विकसित होती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. बच्चे का मुंडन किस महीने में करना चाहिए?

बच्चे का मुंडन संस्कार आमतौर पर जन्म के एक साल बाद, या फिर तीसरे, पांचवें या सातवें साल में किया जाता है।

  1. बालक के सिर का पहला मुंडन कब किया जाता है?

यह कार्य जन्म से एक वर्ष या तीन वर्ष बाद या परिवार की परंपरा के आधार पर और बाद में हो सकता है।

  1. बच्चे के मुंडन के बालों का क्या करें?

जल व नदी में बहा देना चाहिए।

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