अमावस्या 2021: जानें वर्ष 2021 में पड़ने वाली प्रत्येक अमावस्या की सूची !!!

Author: -- | Last Updated: Thu 24 Dec 2020 10:24:44 AM

हिन्दू कैलेंडर से अनुसार वह तिथि जब चंद्रमा पूर्ण रूप से गायब हो जाता है उसे अमावस्या के नाम से जाना जाता है। कई लोग अमावस्या को अमावस भी कहते हैं। हिंदू मास को 15-15 दिनों के दो हिस्सों में विभाजित किया जाता है। जिसमें चंद्रमा बढ़ता रहता है उसे शुक्ल पक्ष कहलाता है, पूर्णिमा की रात के पश्चात चाँद घटते-घटते अमावस्या तिथि को पूरा लुप्त हो जाता है। इस पखवाड़े को कृष्ण पक्ष कहते हैं।

अमावस्या वाली रात को चाँद पूरी तरह से लुप्त हो जाता है जिसकी वजह से चारों ओर घना अंधेरा छाया रहता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के दिन पूजा-पाठ और श्राद्ध कर्म या पितृ शांति को करने का खास महत्व बताया गया है। अमावस्या के दिन भगवान का ध्यान करना चाहिए, किसी भी तरह की बुरी लत से दूर रहना चाहिए और हो सके तो अपने सामर्थ्य अनुसार ग़रीबों और ज़रूरतमंदों को खाना खिलाना चाहिए। जैसा कि हम नें पहले भी बताया कि पितृदेव को अमावस्या का स्वामी माना जाता है, इसीलिए इस दिन पितरों का ध्यान करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म या पूजा -पाठ करना बेहद ही अनुकूल माना जाता है।

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पितृ शांति और श्राद्ध कर्म के अलावा या मोक्ष प्राप्त करने में मदद करने के अलावा, वर्ष 2021 में एक और अमावस्या है, जिसका विशेष महत्व माना जाता है। यह अमावस्या सोमवार को पड़ता है, उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस दिन के बारे में कहा जाता है कि यह अमावास्या बेहद महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि पांडवों ने इस शुभ दिन के लिए अपने पूरे जीवन इंतजार किया, लेकिन अमावस्या उनके पूरे जीवनकाल में एक बार भी नहीं आई।

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सोमवती अमावस्या के अलावा और भी अमावास्या हैं जिनका विशेष महत्व बताया जाता है। अन्य महत्वपूर्ण अमावस्या 2021, जिन्हें मौनी अमावस्या 2021 (जो माघ के महीने में आती है) और महालया अमावस्या 2021 (जो आश्विन के महीने में आती है) के रूप में गिना जाता है। इसके अलावा कुछ ऐसे त्यौहार हैं जिन्हें विशेष रूप से अमावस्या के दिन मनाया जाता है, सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक "दीपावली" का त्यौहार है जिसे कार्तिक अमावस्या 2021 के दिन मनाया जाता है। इसके अलावा इसी तरह, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र जैसे विभिन्न राज्यों में मनाए जाने वाले कृषि से संबंधित पोला त्योहार भाद्रपद अमावस्या 2021 (अगस्त, सितंबर के महीने में आता है) से संबंधित माना गया है।

आइये अब जानते हैं 2021 में पड़ने वाली अमावास्या की सभी तिथियाँ और इस दिन का महत्व।

हम सभी जानते हैं कि अमावस्या 2021 प्रत्येक चंद्र माह के दौरान होती है। इसलिए, एक वर्ष में लगभग 12 नए चंद्रमा या अमावस होते हैं।

नीचे हम आपको अमावस्या 2021 की संपूर्ण सूची प्रदान कर रहे हैं। यहाँ दी गयी तिथियाँ मुख्य रूप से पूर्णिमांत पंचांग कैलेंडर के अनुसार दी जा रही हैं। (यह कैलेंडर मुख्य रूप से छत्तीसगढ़, बिहार, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों में अनुसरण किया जाता है)

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पूर्णिमांत 2021 के अनुसार अमावस्या तिथि

Amavasya Vrat Date Day
पौष अमावस्या 2021 13 जनवरी 2021 बुधवार
माघ अमावस्या 2021 11 फरवरी 2021 गुरुवार
फाल्गुन अमावस्या 2021 13 मार्च 2021 शनिवार
चैत्र अमावस्या 2021 12 अप्रैल 2021 सोमवार
वैशाख अमावस्या 2021 11 मई 2021 मंगलवार
ज्येष्ठ अमावस्या 2021 10 जून 2021 गुरुवार
अषाढ़ अमावस्या 2021 09 जुलाई 2021 शुक्रवार
श्रावण अमावस्या 2021 08 अगस्त 2021 रविवार
भाद्रपद अमावस्या 2021 07 सितम्बर 2021 मंगलवार
आश्विन अमावस्या 2021 06 अक्टूबर 2021 बुधवार
कार्तिक अमावस्या 2021 04 नवंबर 2021 गुरुवार
मार्गशीर्ष अमावस्या 2021 04 दिसम्बर 2021 शनिवार

नीचे दिए गए अमावस 2021 (अमावस्या 2021) की तारीख़े अमांता लुनिसोलर कैलेंडर के अनुसार दी जा रही हैं, जिसे हम “शक संवत” के नाम से जानते हैं। (यह कैलेंडर मुख्य रूप से असम, आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और त्रिपुरा के राज्यों में मान्य होता है।)

Amavasya Vrat Date Day
मृगशिरा अमावस्या जनवरी 13, 2021 बुधवार
पौष अमावस्या फरवरी 11, 2021 गुरुवार
माघ अमावस्या मार्च 13, 2021 शनिवार
फाल्गुन अमावस्या अप्रैल 12, 2021 सोमवार
चैत्र अमावस्या मई 11, 2021 मंगलवार
वैशाख अमावस्या जून 10, 2021 गुरुवार
ज्येष्ठ अमावस्या जुलाई 9, 2021 शुक्रवार
अषाढ़ अमावस्या अगस्त 8, 2021 रविवार
श्रावण अमावस्या सितम्बर 7, 2021 मंगलवार
भाद्रपद अमावस्या अक्टूबर 6, 2021 बुधवार
आश्विन अमावस्या नवंबर 4, 2021 गुरुवार
कार्तिक अमावस्या दिसम्बर 4, 2021 शनिवार

क्या अमावस्या 2021 (अमावस्या का दिन) अशुभ होता है?

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, अमावस्या 2021 की रात को कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि अमावस्या 2021 की रात के दौरान चंद्रमा आकाश में दिखाई नहीं देता है।

ऐसे में यहाँ बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि, आखिर अमावस्या का दिन शुभ है या अशुभ? इस दिन के बारे में प्रचलित कथाओं के अनुसार, अमावस्या का यह दिन हिंदू धर्म के अनुसार बेहद महत्वपूर्ण होता है। कई लोग अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए इस दिन पूजा-पाठ और दान पुण्य आदि भी करते हैं। यह भी माना जाता है कि इस दिन बुरी आत्माएं सबसे मजबूत होती हैं, और इस दिन काला जादू, टोना-टोटका इत्यादि भी काफी प्रचलित है।

इसीलिए बहुत से लोग इस दिन बुरी आत्माओं को भगाने के लिए देवी काली और भगवान शिव की पूजा करते हैं क्योंकि इन दोनों ही देवी-देवताओं को बुरी आत्माओं का नाश करने वाला माना गया है। इसके अलावा बहुत से लोग इस दिन अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए उपवास भी रखते हैं। इस दिन के उपवास से इंसान को उसके पापों से भी छुटकारा मिलता है। हालाँकि वहीं दूसरी तरफ कई ऐसे भी लोग हैं जो अमावस्या के दिन किसी भी तरह की यात्रा करने से बचते हैं, क्योंकि उनका ऐसा मानना है कि इस दिन यात्रा करने से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। हालाँकि, वैज्ञानिक रूप से इस बात का यह तर्क दिया जाता है कि, क्योंकि अमावस्या के दौरान चंद्रमा दिखाई नहीं देता है, और चंद्रमा प्रकाश का प्रदाता है, इसलिए इस दिन यात्रा करने से खतरा बना रहता है। ऐसे में यहाँ किसी निष्कर्ष पर आना थोड़ा मुश्किल है कि आखिर अमावस्या शुभ है या अशुभ?

अब बात शुभ या अशुभ मानने की है, तो तर्क तो यह भी दिया जा सकता है कि, अगर अमावस्या का दिन वाकई में अशुभ है तो इस दिन दीवाली जैसा बड़ा और शुभ त्यौहार क्यों मनाते हैं, जो अयोध्या में भगवान राम के घर वापसी के अवसर पर मनाया जाता है। बहुत से लोग समृद्धि, धन और सफलता के लिए इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और भगवान कुबेर की पूजा भी करते हैं। इसलिए, हम जिस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं, वह यह है कि, आखिर जिस रात को बड़े उत्साह और जश्न के साथ मनाया जाता है, उसे अशुभ कैसे माना जा सकता है? ऐसे में हम यही कहेंगे कि अमावस्या का दिन किसी भी लिहाज़ से अशुभ नहीं है, साथ ही अमावस्या 2021 से ही शुक्ल पक्ष महीने की शुरुआत भी होती है।

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अमावस्या 2021: अलग-अलग प्रकार की अमावस्या

आइये अब हम जानते हैं हर साल होने वाली अमावस्या 2021 (नया चंद्रमा) के विभिन्न प्रकारों के बारे में एक विस्तृत जानकारी :

पौष अमावस्या 2021

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, दिसंबर और जनवरी के माह के समय को पौष मास के नाम से जाना जाता है। पौष मास के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन पड़ने वाली तिथि को पौष अमावस्या 2021 कहा जाता है। इस वर्ष पौष अमावस्या 13 जनवरी 2021, बुधवार के दिन पड़ रही है। पौष अमावस्या का बेहद ही ख़ास महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन किया गया कोई भी आध्यात्मिक कार्य शुभ परिणाम देता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितरों की पूजा करने और उन्हें भोजन अर्पित करने से इंसान को पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है। इस अमावस्या को अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि या उनका श्राद्ध करना बेहद शुभ माना जाता है।

माना जाता है कि अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए पौष अमावस्या बहुत ही शुभ दिन होता है। काल सर्प दोष और राहु और केतु जैसे ग्रहों के कुप्रभावों से राहत पाने के लिए कई लोग इस दिन उपवास भी करते हैं। इस दिन, लोग भगवान सूर्य को प्रार्थना करते हैं और उन्हें अर्घ्य भी देते हैं, ताकि अगर उनके जीवन में कोई भी बाधा आ रही है या कोई भी परेशानी है तो उससे उन्हें राहत मिल सके और लोगों की ऐसी मान्यता ​​है कि उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान सूर्य उन्हें और उनके परिवार को आनंद और प्रसन्नता प्रदान करेंगे।

मौनी (माघ) अमावस्या 2021

माघ मास को हिंदू कैलेंडर के शुभ महीनों में से एक माना जाता है, इसलिए माघ माह के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन पड़ने वाली अमावस्या 2021 को माघ अमावस्या 2021 या मौनी अमावस्या 2021 के नाम से जाना जाता है। इस अमावस्या तिथि को हिंदू कैलेंडर के अनुसार सबसे महत्वपूर्ण और शुभ तिथियों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन किए गए किसी भी तपस्या, दान-पुण्य, और ध्यान से महान और तात्कालिक परिणाम प्राप्त होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल मौनी अमावस्या 2021 को 11 फरवरी 2021, गुरुवार के दिन पड़ रही है।

हिंदू परंपराओं के अनुसार, इस अमावस्या 2021 के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करना बेहद ही शुभ माना गया है, क्योंकि यह माना जाता है मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से ना ही सिर्फ जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है बल्कि जीवन में चली आ रही कोई बड़ी परेशानी या लम्बे समय से कोई बीमारी है तो उससे भी निजात मिलता है। यह भी माना जाता है कि इस दिन बनने वाले ग्रह संयोगों के कारण, गंगा का पानी अमृत में तब्दील हो जाता है, इसलिए बहुत से लोग अपने पापों से छुटकारा पाने और स्वास्थ्य के मामले में आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस दिन गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं।

इस दिन के बारे में ऐसी भी मान्यता है कि हमारे पूर्वज इस दिन पृथ्वी की यात्रा करने के लिए आते हैं, इसलिए मौनी अमावस्या का यह दिन एक ऐसे दिन के रूप में मनाया जाता है जब दोनों देवता और हमारे पूर्वज पृथ्वी पर उतरते हैं। इसीलिए इस दिन किया गया कोई भी दान, ध्यान, मंत्र जाप, दक्षिणा, पुण्य, प्रार्थना शुभ माना जाता है और समृद्धि और सुख की दृष्टि से कई गुना फल प्रदान करते हैं।

संस्कृत में 'मौन' शब्द का अर्थ होता है 'चुप रहना', इसलिए, लोग अक्सर पूरे दिन एक शब्द का उच्चारण किए बिना मौनी अमावस्या पर उपवास करते हैं। यह भी माना जाता है कि जिस पूरे ब्रह्मांड का हम एक छोटा हिस्सा हैं, उसका भी इसी दिन प्राकट्य हुआ था। मौनी अमावस्या को प्रसिद्ध कुंभ मेले के दौरान सबसे शुभ दिन माना जाता है, क्योंकि इस दिन त्रिवेणी संगम स्नान किया जाता है, जो इन्सान को स्वस्थ और उसके जीवन को खुशहाल बनाता है।

हरियाली अमावस्या 2021

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार श्रावण मास को भगवान शिव से जुड़े एक बहुत ही शुभ और पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। ऐसे में इस दिन किया गया कोई भी पूजा, अर्पण, मंत्र जाप, शुभ और तुरंत फल प्राप्त करने में मददगार साबित होता है क्योंकि, कहा जाता है कि सभी देवी-देवताओं में भगवान शिव की प्रसन्नता हासिल करना सबसे आसान है, और प्रसन्न होने पर शिव जी अपने भक्तों को तुरंत फल प्रदान करते हैं। यूं तो श्रावण मास का प्रत्येक दिन शुभ होता है लेकिन, श्रावण मास में पड़ने वाले अंतिम दिन या तिथि को श्रावण अमावस्या कहा जाता है।

माह के दौरान पड़ने वाली इस अमावस्या 2021 को "हरियाली अमावस्या" के नाम से भी जाना जाता है, 2021, क्योंकि यह हरियाली तीज के आसपास ही आती है। हरियाली तीज हिंदू महिलाओं द्वारा मनाये जाने वाला एक बड़ा उत्सव जिसे पूरे उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष हरियाली अमावस्या 2021 को 08 अगस्त 2021, रविवार को पड़ रही है। यह भी माना जाता है कि हरियाली तीज के दिन व्रत रखने से हमें एक अच्छा जीवन साथी मिलता है।

साथ ही, इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा की भी जाती है और इस दिन को भगवान कृष्ण के भक्तों द्वारा पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह अमावस्या 2021 मथुरा और वृंदावन के उत्तरी क्षेत्रों में एक विशेष महत्व रखती है। वृंदावन में भगवान कृष्ण के बांके बिहारी मंदिर को विशेष रूप से इस दिन फूलों से सजाया जाता है। भगवान कृष्ण का आशीर्वाद पाने के लिए बड़ी संख्या में भक्त इस मंदिर में आते हैं।

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शनिचरी अमावस्या 2021

शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को "शनिचरी" अमावस्या कहा जाता है। यह कभी-कभी "शनि जयंती" के रूप में भी मनाया जाता है। शनि जयंती यानि कि वो दिन जब भगवान शनि पृथ्वी पर अवतरित होते हैं। इस वर्ष दो अमावस्या 2021 शनिवार को पड़ रही है। वो दो अमावस्या हैं, पहली जो 13 मार्च 2021, को पड़ रही है फाल्गुनी अमावस्या और दूसरी, जो 04 दिसंबर 2021, को पड़ रही है मृगशिरा अमावस्या।

ऐसा माना जाता है कि भगवान शनि की तपस्या करने से किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह के ग्रह दोष के कारण होने वाली सभी परेशानियों और पीड़ाओं से मुक्ति अवश्य मिलती है। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि, भगवान हनुमान ने शनि देव को रावण के बंधन से मुक्त किया था, इसलिए इस दिन भगवान हनुमान की पूजा करने वाले सभी भक्तों पर शनि देव की कृपा होती है और माना जाता है कि ऐसे लोगों को शनि के कारण उत्पन्न परेशानियों और दोषों से राहत भी मिलती है।

सोमवती अमावास्या 2021

सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या 2021 को सोमवती अमावस्या 2021 के रूप में जाना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार, महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए पूजा करती हैं और उपवास रखती हैं। हिंदू परंपराओं के अनुसार, इसे "अश्वत्थ परदेशक" व्रत भी कहा जाता है, जहां "अश्वथ" का मतलब होता है "पीपल का पेड़"। इसलिए इस दिन विवाहित महिलाएं पीपल के पेड़ पर अपनी प्रार्थना, दान, दूध, मिठाई इत्यादि चढ़ाती हैं और उसके चारों ओर 108 बार परिक्रमा (फेरे) करती हैं। इसके अलावा, सोमवती अमावस्या पर अनुष्ठान के भाग के रूप में पेड़ की परिक्रमा लगाते समय महिलाओं द्वारा पीपल के पेड़ के चारों ओर एक पवित्र धागा भी बाँधा जाता है।

इस अमावस्या का विशेष महत्व का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, महान "भीष्म पितामह" ने युधिष्ठिर को इस दिन के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा था कि, यह दिन बेहद ही पवित्र होता है और इस दिन के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने से इंसान को मनोवांछित फल तो प्राप्त होते ही हैं साथ ही उसे अपने समस्त पापों और समस्याओं से छुटकारा भी मिल जाता है। यह भी कहा जाता है कि पांडवों ने अपने पूरे जीवनकाल तक सोमवती अमावस्या का इंतजार किया, लेकिन वे एक भी "सोमवती अमावस्या" नहीं देख पाए थे। इस वर्ष, केवल एक अमावस्या 2021 सोमवार को पड़ रही है, वह है 12 अप्रैल 2021 को पड़ने वाली "चैत्र अमावस्या"।

सोमवती अमावस्या से जुड़ी एक पौराणिक कथा है जो इस प्रकार है:

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सोमवती अमावस्या पौराणिक कथा

वैसे तो सोमवती अमावस्या से जुड़ी कई किवदंतियां या मिथक मौजूद हैं, लेकिन यहाँ हम बात करेंगे उनमें से सबसे मशहूर किंवदंती के बारे में, जिसके अनुसार कहा जाता है कि,

प्राचीन समय में एक साहूकार हुआ करता था जिसके सात बेटे और एक बेटी थी। साहूकार अपने जीवन में बेहद खुश था। साहूकार के सभी बेटों का विवाह हो गया था और अब उसे इंतज़ार था अपनी बेटी की शादी का। एक बार साहूकार का एक पंडित मित्र उनके घर आया। पंडित ने साहूकार की सभी बहुओं को ‘सौभाग्यवती भवः’ का आशीर्वाद दिया, जिसका अर्थ होता है, पति की लंबी उम्र, लेकिन उन्होंने साहूकार की बेटी को यह आशीर्वाद नहीं दिया। साहूकार की बेटी को इस बात से बहुत बुरा लगा। एक दिन साहूकार की पत्नी ने पंडित से इस बारे में सवाल किया तो पंडित ने उन्हें बताया कि, “आपकी बेटी शादी के कुछ समय बाद ही विधवा हो जाएगी।”

अपनी बेटी के भविष्य के बारे में ऐसी बात सुनकर साहूकार की पत्नी डर गयी और उसने पंडित से इस समस्या का हल पूछा। पंडित में उन्हें बताया कि इस समस्या का हल एक धोबिन के पास है जो पास ही के गाँव में रहती है। पंडित ने बताया कि यदि सोना धोबिन अपने हाथों से आपकी बेटी की माँग में अपना सिन्दूर भर देती है तो इससे आपकी बेटी का दुर्भाग्य ख़त्म हो सकता है। इतना सुनकर साहूकार की बेटी चुपचाप अगले ही दिन से धोबिन के घर जाने लगी और बिना किसी से कुछ कहे घर का सारा काम खुद से करने लग गयी। धोबिन और उसके परिवार के सुबह उठने से पहले ही साहूकार की बेटी घर का सारा काम कर दिया करती थी।

इस बात से परेशान होकर धोबिन एक दिन सुबह अपनी बहु के साथ जल्दी उठकर ये देखने के इंतज़ार में बैठ गयी कि आखिर उसके घर का काम रोज़ कर कौन रहा है? जैसे ही साहूकार की बेटी रोज़ाना की तरह घर का काम करने के लिए आई धोबिन ने उससे पूछा कि, ‘आखिर तुम हो कौन और मेरे घर का काम क्यों कर रही हो?’ तब साहूकार की बेटी ने उसे सारा सच बता दिया। साहूकार की बेटी का सच जानकर धोबिन ने यह फैसला किया कि वो साहूकार की बेटी की शादी में अपना सिन्दूर अवश्य देगी।

अपने वादे के अनुसार धोबिन ने साहूकार की बेटी की शादी में पहुँचकर उसे अपना सिन्दूर दिया जिसके बाद साहूकार की बेटी को उसके दुर्भाग्य से छुटकारा मिल गया और वो ख़ुशी जीवन जीने लगी, लेकिन जैसे ही धोबिन ने अपना सिन्दूर साहूकार की बेटी को दिया उसके पति की मृत्यु हो गयी। धोबिन ने सुबह से ही उपवास रखा था। शादी के बाद जैसे ही वो अपने घर आई उसे अपने पति की मृत्यु की जानकारी मिली।

पति की मृत्यु की जानकारी मिलने के बाद धोबिन ने दुःख में अन्न-जल का त्याग कर दिया और एक धागा लेकर पीपल के पेड़ के पास पहुँच गयी। वहां पहुँचकर उसने पीपल के पेड़ की परिक्रमा शुरू की और उसी क्रम में धागे को पेड़ से लपेटना शुरू कर दिया। उसने ऐसा करते हुए पीपल की 108 बार परिक्रमा की। धोबिन की ऐसी भक्ति देखकर भगवान बेहद प्रसन्न हुए और उसके पति के प्राण वापिस लौटा दिए। वह दिन सोमवती अमावस्या का दिन था, और तब से, ही महिलाएं इस दिन उसी संस्कार और अनुष्ठान का पालन करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

हम आशा करते हैं कि अमावस्या पर लिखा गया हमारा यह विशेष आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हो। एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका शुक्रिया। हम उम्मीद करते हैं कि यह नया साल आपके लिए ढेरों ख़ुशियाँ लेकर आये।

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