मुंडन मुहूर्त 2019

Author: - | Last Updated: Tue 8 Aug 2023 2:14:33 PM

पढ़ें वर्ष 2019 में मुंडन के लिए शुभ मुहूर्त, दिन, तारीख, तिथि, नक्षत्र और समय। इसके अलावा पढ़ें मुंडन संस्कार से होने वाले लाभ और इसका धार्मिक महत्व।

मुंडन मुहूर्त 2019
दिनांक दिन तिथि नक्षत्र समय
21 जनवरी 2019 सोमवार पूर्णिमा पुष्य नक्षत्र में 07:14 - 10:46 बजे तक
25 जनवरी2019 शुक्रवार पंचमी उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 16:25 - 18:18 बजे तक
30 जनवरी2019 बुधवार दशमी अनुराधा नक्षत्र में 16:40 - 18:59 बजे तक
31 जनवरी2019 गुरुवार एकादशी ज्येष्ठा नक्षत्र में 09:10 - 17:02 बजे तक
06 फरवरी 2019 बुधवार द्वितीया शतभिषा नक्षत्र में 07:07 - 09:53 बजे तक
07 फरवरी 2019 गुरुवार तृतीया शतभिषा नक्षत्र में 07:06 - 12:09 बजे तक
11 फरवरी 2019 सोमवार षष्ठी अश्विनी नक्षत्र में 07:03 - 18:12 बजे तक
15 फरवरी 2019 शुक्रवार दशमी मृगशिरा नक्षत्र में 07:27 - 20:13 बजे तक
04 मार्च 2019 सोमवार त्रयोदशीi श्रवण नक्षत्र में 06:44 - 16:29 बजे तक
19 अप्रैल 2019 शुक्रवार पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में 06:02 - 16:42 बजे तक
29 अप्रैल 2019 सोमवार दशमी शतभिषा नक्षत्र में 05:43 - 08:51 बजे तक
02 मई 2019 गुरुवार त्रयोदशी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 13:02 - 19:50 बजे तक
09 मई 2019 गुरुवार पंचमी आर्द्रा नक्षत्र में 15:17 - 19:00 बजे तक
10 मई 2019 शुक्रवार षष्ठी पुनर्वसु नक्षत्र में 05:34 - 19:06 बजे तक
16 मई 2019 गुरुवार द्वादशी हस्त नक्षत्र में 08:15 - 19:08 बजे तक
20 मई 2019 सोमवार द्वितीया ज्येष्ठा नक्षत्र में 05:28 - 20:58 बजे तक
24 मई 2019 शुक्रवार षष्ठी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 07:30 - 20:42 बजे तक
30 मई 2019 गुरुवार एकादशी रेवती नक्षत्र में 05:24 - 16:38 बजे तक
31 मई 2019 शुक्रवार द्वादशी अश्विनी नक्षत्र में 17:17 - 20:15 बजे तक
06 जून 2019 गुरुवार तृतीया पुनर्वसु नक्षत्र में 05:23 - 09:55 बजे तक
07 जून 2019 शुक्रवार चतुर्थी पुष्य नक्षत्र में 07:38 - 18:56 बजे तक
12 जून 2019 बुधवार दशमी हस्त नक्षत्र में 06:06 - 19:28 बजे तक
17 जून 2019 सोमवार पूर्णिमा ज्येष्ठा नक्षत्र में 05:23 - 10:43 बजे तक

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बच्चे का जन्म हर माता-पिता और परिवार के लिए खुशी का क्षण होता है। संतान सुख पाने के साथ-साथ मां-बाप के कंधों पर बच्चे के लालन-पालन की एक बड़ी जिम्मेदारी भी आ जाती है। जन्म के बाद से ही बच्चों की अच्छी परवरिश बेहद जरूरी होती है। वहीं हर माता-पिता की कोशिश होती है कि बच्चों को बेहतर आहार और पोषण मिले। हिन्दू धर्म में बच्चों के जन्म के बाद कई तरह के रीति रिवाज और संस्कार किये जाते हैं। इनमें मुंडन, अन्नप्राशन, विद्यारंभ और कर्णवेध संस्कार शामिल है।

मुंडन संस्कार क्या है?

हिन्दू धर्म में मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक सोलह संस्कार बताए गए हैं। इनमें मुंडन आठवां संस्कार है। मुंडन अथवा चूड़ाकर्म संस्कार में बच्चों के जन्मकालीन केश यानि बालों को काटा जाता है। मान्यता है कि बच्चे के सिर पर गर्भ के समय के बाल रहते हैं, जिन्हें अशुद्ध माना जाता है, इसलिए मुंडन संस्कार में जन्मकालीन केश काटे जाते हैं। ऐसा नहीं है कि सिर्फ हिन्दू धर्म में ही मुंडन संस्कार किया जाता है बल्कि अन्य धर्मों में बच्चों का मुंडन अलग-अलग रीति-रिवाज के साथ किया जाता है। हिन्दू धर्म में मुंडन को चौल मुंडन, चौलकर्म और चूड़ाकर्म संस्कार आदि नामों से भी जाना जाता है।

क्यों किया जाता है मुंडन?

हिन्दू धर्म में मुंडन संस्कार का बड़ा महत्व है। हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार मनुष्य जीवन 84 लाख योनियों को भोगने के बाद प्राप्त होता है, इसलिये पूर्व जन्मों के ऋण और पाप कर्मों से मुक्ति के उद्देश्य से जन्मकालीन केश काटे जाते हैं। ताकि बच्चे को पिछले जन्म के कर्ज और बुरी शक्तियों से मुक्ति मिले।

कब करें बच्चों का मुंडन संस्कार?

बच्चों के मुंडन के समय और आयु को लेकर लोगों में अलग-अलग मत है। हालांकि धार्मिक नियमों के अनुसार बच्चों का मुंडन जन्म के तीसरे, पांचवें और सातवें वर्ष में किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त कुल परंपरा के अनुसार प्रथम वर्ष में भी मुंडन संस्कार संपन्न किया जा सकता है या फिर मुंडन संस्कार को यज्ञोपवीत संस्कार के साथ ही किया जाता है। याद रखें बालकों का मुंडन विषम यानि 3, 5 और 7 वर्ष की उम्र में होता है। वहीं बालिकाओं का चौलकर्म (मुंडन) संस्कार सम वर्षों में होता है।

कैसे करें मुंडन के मुहूर्त की गणना?

मुंडन के मुहूर्त का निर्धारण वैदिक ज्योतिष पर आधारित गणनाओं के अनुसार किया जाता है। इनमें मास, वार, तिथि, नक्षत्र, लग्न और ताराशुद्धि पर ध्यान दिया जाता है।

शुभ मास- मकर संक्रांति पर सूर्य के उत्तरायण होने के बाद उत्तरायण मासों में (14 जनवरी से 15 जुलाई तक) यानि वैशाख, ज्येष्ठ, माघ और फाल्गुन मास में बच्चों का मुंडन कराना चाहिए। हालांकि अधिकमास या मलमास होने पर इन माह में मुंडन से पहले पंडित जी या ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें।

शुभ तिथि- कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष में आने वाली द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी। इसके अलावा शुल्क पक्ष में आने वाली त्रयोदशी और पूर्णिमा की तिथि मुंडन संस्कार के लिए शुभ मानी जाती हैं।

शुभ दिन- सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार मुंडन के लिए शुभ दिन माने गये हैं। इनमें शुक्ल पक्ष का सोमवार विशेष रूप से शुभ होता है, जबकि कृष्ण पक्ष का सोमवार साधारण माना गया है।

शुभ नक्षत्र- मुंडन संस्कार पुनर्वसु, स्वाति, श्रवण, धनिष्ठा,शतभिषा और ज्येष्ठा नक्षत्रों में करना शुभ होता है। जन्म मास व जन्म नक्षत्र और चंद्रमा के चतुर्थ, अष्ठम, द्वादश और शत्रु भाव में स्थित होने पर मुंडन नहीं करना चाहिए। लेकिन कुछ विद्वान जन्म नक्षत्र या जन्म राशि को मुंडन के लिए शुभ मानते हैं। अतः मुंडन से पूर्व किसी विद्वान ज्योतिषी या पंडित से परामर्श अवश्य लें। ज्येष्ठा नक्षत्र और ज्येष्ठ मास में ज्येष्ठ (बड़े) लड़के का मुंडन नहीं करना चाहिए।

शुभ लग्न- द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, षष्टम, सप्तम, नवम या द्वादश राशियों के लग्न या इनके नवांश में मुंडन करना शुभ होता है।

तारा शुद्धि- मुहूर्त ग्रन्थों के अनुसार मुंडन में तारा का प्रबल होना चंद्रमा से अधिक आवश्यक माना गया है, लेकिन इसका विचार कृष्ण पक्ष में ही किया जाता है। वहीं शुक्ल पक्ष में चंद्र बल का विचार किया जाता है। हालांकि कृष्ण पक्ष में भी अशुभ तारा होने पर यदि चंद्रमा उच्चस्थ और मित्र या किसी शुभ ग्रह के साथ हो, तो मुंडन कार्य किया जा सकता है।

विशेष- मुंडन से संबंधित उपरोक्त धार्मिक के नियमों के अलावा कुल परंपरा के अनुसार नवरात्रि में सिद्ध शक्तिपीठ या तीर्थ स्थलों पर बिना निर्धारित मुहूर्त के भी मुंडन संस्कार किये जाने की मान्यता है।

मुंडन संस्कार की क्रिया

मुंडन संस्कार एक महत्वपूर्ण संस्कार है। यह संस्कार घर पर या मंदिर में संपन्न कराया जा सकता है। इसके अलावा कुल परंपरा के अनुसार भी मुंडन संस्कार कराये जाते हैं।

  • मुंडन से पहले बच्चे को गोद में लेकर उसका चेहरा हवन की अग्नि के पश्चिम में किया जाता है।
  • पहले कुछ केश पंडित जी के हाथ से और फिर हजामत बनाने वाले के द्वारा काटे जाते हैं।
  • मुंडन संस्कार के अवसर पर भगवान गणेश की पूजा और आयुष होम कराया जाना चाहिए।
  • मुंडन संस्कार घर, मंदिर या कुल देवता के मंदिर में संपन्न किया जाना चाहिए।
  • कटे हुये केशों को नदी में विसर्जित कर देना चाहिए।
  • मुंडन संस्कार किसी तीर्थस्थल पर कराने का बड़ा महत्व है। ऐसा इसलिए ताकि उस स्थल के दिव्य वातावरण का लाभ शिशु को मिले।

मुंडन से होने वाले लाभ

  • जन्मकालिन बाल कटने से बच्चों के शरीर की अनावश्यक गर्मी निकल जाती है।
  • मस्तिष्क व सिर ठंडा रहता है और बच्चों में दांत निकलते समय होने वाला सिर दर्द व तालु का कांपना बंद हो जाता है।
  • सिर पर धूप लगने से कोशिकाओं में रक्त का प्रवाह तेजी से होता है, इससे स्वास्थ्य लाभ मिलता है और भविष्य में आने वाले केश अच्छे व मजबूत होते हैं।

मुंडन का महत्व

धार्मिक दृष्टि के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टि से भी मुंडन का बड़ा महत्व है। मेडिकल साइंस के अनुसार मुंडन के प्रभाव से बच्चों को कई प्रकार शारीरिक लाभ होते हैं और रोग दूर होते हैं। जन्म के बाद पहली बार शिशु के दांत निकलते समय बच्चों को कई प्रकार के रोग होने की संभावना रहती है। इस दौरान बच्चों में कमजोरी, चिड़चिड़ापन, दस्त और उसके बाल झड़ने लगते हैं। मुंडन कराने से बच्चे के शरीर का तापमान सामान्य हो जाने से कई शारीरिक तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बच्चों की रक्षा होती है। इसके अलावा जब बच्चा मां के पेट में होता है तो उसके सिर के बालों में बहुत से हानिकारक बैक्टीरिया लग जाते हैं जो जन्म के बाद बालों को धोने से भी नहीं निकल पाते हैं इसलिए बच्चे के जन्म के 1 साल के अंदर एक बार मुंडन अवश्य कराना चाहिए। यजुर्वेद में लिखा है कि मुंडन कार्य बल, आयु, आरोग्य और तेज की वृद्धि के लिए किया जाने वाला महत्वपूर्ण संस्कार है।

हम आशा करते हैं कि मुंडन संस्कार पर आधारित यह लेख आपके लिए उपयोगी सिद्ध हो। एस्ट्रोकैंप पर विजिट करने के लिए धन्यवाद!

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