पूर्णिमा 2020 - Purnima 2020 Dates in Hindi

Author: -- | Last Updated: Thu 26 Dec 2019 12:42:56 PM

हम उम्मीद करते हैं कि पूर्णिमा 2020 पर लिखा गया ये लेख आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। दरअसल इस लेख में हम आपको यह बतलाएंगे कि वर्ष 2020 में पूर्णिमा तिथि की तारीख़ क्या रहेंगी। साथ ही आप इस लेख में विस्तार से पूर्णिमा तिथि के महत्व के बारे में जानेंगे। जैसा कि हम सब जानते हैं कि पूर्णिमा तिथि का हिन्दू धर्म, हिन्दू पंचांग में आदि में कितना बड़ा महत्व होता है।



पूर्णिमा 2020 की तारीख़ एवं वार

दिनांक पूर्णिमा
शुक्रवार, 10 जनवरी 2020 पौष पूर्णिमा व्रत
रविवार, 09 फरवरी 2020 माघ पूर्णिमा व्रत
सोमवार, 09 मार्च 2020 फाल्गुन पूर्णिमा व्रत
बुधवार, 08 अप्रैल 2020 चैत्र पूर्णिमा व्रत
गुरुवार, 07 मई 2020 वैशाख पूर्णिमा व्रत
शुक्रवार, 05 जून 2020 ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत
रविवार, 05 जुलाई 2020 आषाढ़ पूर्णिमा व्रत
सोमवार, 03 अगस्त 2020 श्रावण पूर्णिमा व्रत
बुधवार, 02 सितंबर 2020 भाद्रपद पूर्णिमा व्रत
गुरुवार, 01 अक्टूबर 2020 आश्विन पूर्णिमा व्रत (अधिक)
शनिवार, 31 अक्टूबर 2020 अश्विन पूर्णिमा व्रत
सोमवार, 30 नवंबर 2020 कार्तिक पूर्णिमा व्रत
बुधवार, 30 दिसंबर 2020 मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत

पूर्णिमा तिथि क्या है?

हिन्दू पंचांग पाँच चीज़ों से मिलकर बना है। ये पाँच चीज़ें तिथि, वार, करण, नक्षत्र एवं योग हैं। पंचांग के इन पाँच घटकों में एक है तिथि। पंचांग की 15 तिथियाँ एक पक्ष (शुक्ल/कृष्ण) का निर्माण करती हैं जबकि दो पक्षों से एक माह बनता है। दोनों की प्रथम तिथि प्रतिपदा कहलाती है। जबकि शुक्ल पक्ष की पंद्रहवीं तिथि पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की यही तिथि अमावस्या के नाम से जानी जाती है। पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में होता है।

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पूर्णिमा तिथि का हिन्दू धर्म में महत्व

पूर्णिमा तिथि हिन्दू पंचांग की महत्वपूर्ण तिथि है। इस तिथि को कई प्रकार के हिन्दू धार्मिक कर्म कांड किए जाते हैं। इसके साथ ही इसी तिथि में कई तरह के तीज एवं पर्व भी मनाए जाते हैं। पूर्णिमा तिथि पर कई तीर्थ स्थलों एवं पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप से मुक्ति मिल जाती है। विशेषकर कार्तिक, वैशाख और माघ की पूर्णिमा धार्मिक कर्मकांडों के लिए अति शुभ मानी जाती हैं। पूर्णिमा तिथि को सत्यनाराण की कथा करने पर समस्त प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है।

पूर्णिमा तिथि को पड़ने वाले वाले व्रत एवं त्यौहार

  • चैत्र पूर्णिमा - चैत्र मास में आने वाली पूर्णिमा को चैत्र पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। इसी पूर्णिमा को पवनपुत्र हनुमान जी का जन्म हुआ था।
  • वैशाख पूर्णिमा - वैशाख माह में आने वाली पूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसी माह की पूर्णिमा को भगवान बुध का जन्म हुआ था। इसलिए प्रति वर्ष वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध जयंती मनाई जाती है।
  • ज्येष्ठ पूर्णिमा- इस दिन वट सावित्रि का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएँ अपने पति की दीर्घायु और संतान की प्राप्ति के लिए ज्येष्ठ महीने में आने वाली पूर्णिमा तिथि को करती हैं।
  • आषाढ़ पूर्णिमा - इस दिन पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म भी हुआ था इसलिये इस पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं।
  • श्रावण पूर्णिमा - इस पूर्णिमा का भी हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। इस दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाईयों पर रक्षासूत्र बांधती हैं और भाई बहनों को उपहार भेंट करते हैं।
  • भाद्रपद पूर्णिमा - इस पूर्णिमा को श्राद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं। इसी पूर्णिमा तिथि से श्राद्ध पक्ष प्रारंभ हो जाते हैं। भाद्रपद मास में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को उमा माहेश्वर व्रत रखा जाता है। विशेषकर इस व्रत को महिलाओं के द्वारा संतान एवं सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखा जाता है।
  • अश्विन पूर्णिमा - अश्विन मास में आने वाली पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। अश्विन पूर्णिमा को कोजागर व्रत या कौमुदी व्रत रखा जाता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इसी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था।
  • कार्तिक पूर्णिमा - कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा तिथि को सिख समुदाय के पहले गुरु गुरुनानक देव जी का जन्म हुआ था। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा तिथि को गुरुनानक जयंती मनाई जाती है। इस तिथि को राजस्थान में विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेला लगता है।
  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा - इस पूर्णिमा को दत्तात्रेय जयंती मनायी जाती है। दत्तात्रय को भगवान विष्णु जी का अवतार माना जाता है। मार्गशीर्ष की पूर्णिमा तिथि को ही प्रदोष काल में दत्तात्रेय का अवतरण हुआ था।
  • पौष पूर्णिमा - इस पूर्णिमा को शाकंभरी जयंती मनाई जाती है। पौष माह की पूर्णिता तिथि को सूर्य की उपासना करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की पूजा से जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं।
  • माघ पूर्णिमा - इस दिन श्री भैरव जयंती और संत रविदास जयंती मनाई जाती है। साथ ही इस दिन तीर्थराज प्रयाग में कल्पवास करके त्रिवेणी में स्नान करने से सुख-सौभाग्य, संतान एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • फाल्गुन पूर्णिमा - फाल्गुन पूर्णिमा तिथि को होली का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व समाज में प्रेम, भाईचारा और समानता का संदेश देता है।

ज्योतिष शास्त्र में पूर्णिमा तिथि का महत्व

पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूरिपूर्ण होता है। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन और द्रव्य पदार्थों का कारक माना जाता है। चूँकि चंद्रमा इस दिन अपने पूर्ण रूप में होता है इसलिए इसका असर व्यक्ति के मन में पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। मनुष्य के शरीर में 70 प्रतिशत जल है। इसके कारण भी पूर्णिमा के दिन व्यक्ति के शरीर पर पूर्णिमा का प्रभाव पड़ता है। इसलिए इस दिन पवित्र जल में स्नान करने का विधान है। साथ ही व्यक्ति का मन इस दिन सात्विक रहे अतः इस तिथि को व्रत और पूजा का विधान है। पूर्णिमा के दिन समुद्र में अधिक ज्वार-भाटाएँ भी आती हैं।

पूर्णिमा तिथि को ही सूर्य और चन्द्रमा समसप्तक होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस तिथि पर जल और वातावरण में चंद्रमा का विशेष प्रभाव होता है। चन्द्रमा इस तिथि के स्वामी होते हैं, अतः इस दिन हर तरह की मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। इस दिन स्नान, दान और ध्यान विशेष फलदायी होता है।

जब आकाश मंडल में चंद्र ग्रहण घटित होता है तो वह पूर्णिमा तिथि के दिन ही होता है। चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्रमा के मध्य में पृथ्वी आ जाती है। इसमें पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है।

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पूर्णिमा तिथि पर बनने वाले योग

पूर्णिमा का दिन धार्मिक रूप से पवित्र माना गया है। इसलिए इस दिन ग्रह नक्षत्र की चाल अथवा युति के कारण योग भी बनते हैं, जो बेहद शुभफलदायी होते हैं। पूर्णिमा तिथि को जब चंद्रमा और गुरु बृहस्पति एक ही नक्षत्र में स्थिति हों तो यह पूर्णिमा तिथि बेहद ही शुभकारी माना जाती है। इसी योग में दान-पुण्य के कर्म करने से समस्त प्रकार के कष्ट से मुक्ति मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि जिन व्यक्तियों का जन्म पूर्णिमा तिथि को होता है ऐसे व्यक्ति को चंद्र देव की आराधान नियमित रूप से करनी चाहिए।

अध्यात्म की दृष्टि से पूर्णिमा 2020 का महत्व

अक्सर हमारा मन किसी न किसी चीज़ को लेकर बेचैन होता है। इसके साथ ही मन का चंचल स्वभाव भी हमें इधर-उधर की बातों को सोचने पर मजबूर करता है। अध्यात्म के अनुसार यदि किसी व्यक्ति ने अपने मन पर काबू पा लिया तो वह व्यक्ति साधारण व्यक्ति से असाधारण मनुष्य हो जाता है।

पूर्णिमा के दिन हमारा मन अत्यधिक विचलित हो सकता है। इसलिए इस दिन यदि योग साधना कर मन पर काबू पाया जाए तो व्यक्ति श्रेष्ठता की ओर अग्रसर होने लगता है। उसे अपने कार्य क्षेत्र में सफल होने से फिर कोई भी नहीं रोक सकता। हालाँकि आध्यात्मिक पथ पर चलना आसान नहीं होता है।

पूर्णिमा पर होने वाली पूजा और व्रत की विधि

  • पूर्णिमा के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करना चाहिए।
  • संभव हो तो अपने नहाने के पानी में गंगाजल मिला मिलाएँ।
  • ऐसा करने से आपको भूतकाल में किए गए सारे पापों से छुटकारा मिल जाता है।
  • पूर्णिमा वाले दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा करने का विशेष विधान है।
  • कई सारे श्रद्धालु उपवास रखते हैं।
  • उपवास का समय सूर्योदय से शुरू होता है और चंद्र दर्शन के साथ समाप्त होता है।
  • यदि कोई व्यक्ति पूरे विश्वास और श्रद्धा से इस व्रत को करता है तो वह इसी जन्म में मोक्ष प्राप्ति कर सकता है।

पूर्णिमा के दिन क्या करें/ पूर्णिमा तिथि में किए जाने वाले उपाय

पूर्णिमा के दिन आप चंद्र ग्रह की शांति के उपाय कर सकते हैं। इससे आपकी कुंडली में चंद्र ग्रह की स्थिति मजबूत होगी और आपको मानसिक विकारों से छुटकारा मिलेगा। पूर्णिमा तिथि चंद्रमा के दुर्योगों को दूर करने की शुभ तिथि है। इस दिन चंद्र देव की आराधना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। इस दिन चंद्र ग्रह की मजबूती के लिए आप निम्नलिखित उपायों को अपना सकते हैं:-

  1. रात्रि में स्नान करने के बाद चंद्रमा की रौशनी में बैठें।
  2. पूर्णिमा तिथि को सफेद वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
  3. चंद्र देव से संबंधित मंत्र का 108 बार जाप करें।
  4. "ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः" इस मंत्र को मोतियों की माला के साथ जपें।
  5. मंत्र जाप के बाद चंद्र देव का स्मरण करें।
  6. ये उपाय प्रत्येक पूर्णिमा तिथि को करने चाहिए।

पूर्णिमा के दिन इन कार्यों को न करें

  • पूर्णिमा के दिन किसी भी प्रकार के तामसिक पदार्थों का सेवन न करें।
  • इस दिन नशीले पदार्थ एवं मांस का सेवन न करें।
  • मान्यता है कि चतुर्दशी पूर्णिमा एवं प्रतिपदा को मन, तन, वचन और कर्म से पवित्र रहना चाहिए।

हम आशा करते हैं कि हमारी वेबसाइट एस्ट्रोकैम्प पर पूर्णिमा 2020 से संबंधित यह लेख आपके ज्ञानवर्धन में सहायक होगा। हमसे जुड़े रहने के लिए धन्यवाद!

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