Author: Vijay Pathak | Last Updated: Tue 18 Nov 2025 1:09:40 PM
2026 शनि गोचर: शनि ग्रह को ‘शनैश्चर’ कहा जाता है क्योंकि यह बाकी ग्रहों की तुलना में बहुत धीरे चलता है। कहा जाता है कि इसकी प्रकृति कुछ भारी और शांत होती है, इसलिए इसकी गति धीमी होती है। शनि दूसरे ग्रहों की तुलना में बहुत दूर स्थित ग्रह है। हिंदू ज्योतिष में शनि को यम भी कहा जाता है क्योंकि यह आयु यानी जीवनकाल का कारक ग्रह माना जाता है। इसे सूर्य का पुत्र भी कहा जाता है और सूर्य ग्रहों के राजा माने जाते हैं। हालांकि सूर्य और शनि पिता-पुत्र हैं फिर भी इनके बीच संबंध बहुत मधुर नहीं माने जाते। फल देने के मामले में ये दोनों एक-दूसरे के शत्रु माने जाते हैं।
शनि का आकार में बृहस्पति से छोटा है। यह पूरे राशि चक्र की एक परिक्रमा 30 साल में पूरा करता है यानी यह किसी एक राशि में करीब 2.5 साल तक रहता है। ज्योतिष के अनुसार, शनि अंधकार, रहस्या, हानि और दुर्भाग्य का कारक ग्रह माना गया है।
To Read in English: Saturn Transit 2026
इसकी प्रकृति ठंडी, सूखी, गंभीर, धरती से जुड़ी और स्त्री सुलभ बताई गई है। शनि का प्रभाव बुजुर्गों, दुबले-पतले, मेहनती, अंतर्मुखी लोगों पर अधिक देखा जाता है। यह किसान, मजदूर, कोयले, लोहा या कबाड़ का काम करने वालों का प्रतिनिधित्व भी करता है। हमारे शरीर में शनि ग्रह का संबंध पैरों, दांतों, हड्डियों, घुटनों, दाएं कान और सुनने की क्षमता से होता है। यह जमीन, संपत्ति, खदान, सीसा और रियल एस्टेट के कारोबार से भी जुड़ा होता है।
शनि का दिन शनिवार होता है, इसका धातु लोहा और स्टील, रंग काला या गहरा नीला और रत्न नीलम या नीले-काले रंग के पत्थर माने जाते हैं। शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं। यह तुला राशि में उच्च होता है (जहां इसका सर्वोच्च बिंदु 20 डिग्री पर होता है) और मेष राशि में नीच होता है ( जहां इसका न्यूनतम बिंदु भी 20 डिग्री पर होता है।)
शनि के लिए कुंभ राशि के पहले 20 डिग्री को इसका मूल त्रिकोण क्षेत्र माना जाता है। इसके मित्र ग्रह बुध और शुक्र हैं, जबकि सूर्य, चंद्र और मंगल इसके शत्रु ग्रह हैं। बृहस्पति (गुरु) इसके प्रति तटस्थ रहता है।
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मीन राशि बारह राशियों में आखिरी और एक बड़ी राशि है। काल पुरुष के अनुसार, यह राशि बारहवें भाव से जुड़ी होती है और इसके स्वामी बृहस्पति (गुरु) हैं। यह एक जल तत्व की राशि है। सामान्य रूप से, जब शनि ग्रह मीन राशि में गोचर करता है, तो यह लोगों में भौतिक (संसारिक) चीज़ों से स्वाभाविक रूप से दूरी बनाने की भावना लाता है।
यह समय आध्यात्मिक विकास के लिए बहुत अच्छा होता है। इसके अलावा, जो लोग एकांत में या विदेश में काम करते हैं, उनके लिए भी यह गोचर लाभदायक रहेगा। क्योंकि मीन राशि के स्वामी बृहस्पति हैं, जो विस्तार और ज्ञान के प्रतीक हैं इसलिए शनि यहां रहते हुए बृहस्पति के प्रभाव के अनुसार फल देगा।
साल 2026 में शनि ग्रह मीन राशि में रहेगा और पूरे वर्ष पर स्थित रहेगा। हालांकि, इस दौरान शनि अपना नक्षत्र बदलेंगे, जिससे इस गोचर के परिणामों में परिवर्तन देखने को मिलेगा।
11 मार्च 2026 को शनि मार्गी होगा।
7 मार्च 2026 को शनि अस्त हो जाएगा।
13 अप्रैल 2026 को शनि उदय होगा।
27 जुलाई 2026 से शनि वक्री होगा।
11 दिसंबर 2026 को शनि फिर से मार्गी हो जाएगा।
2026 में शनि मीन राशि में रहते हुए कई महत्वपूर्ण परिवर्तन करेगा, जो लोगों की कुंडलियों में अलग-अलग प्रभाव डालेगा।
साल 2026 में शनि ग्रह मेष राशि वालों की कुंडली के बारहवें भाव में गोचर करेगा। शनि मेष राशि के लिए दसवें भाव और एकादश भाव के स्वामी होते हैं इसलिए जब यह बारहवें भाव में प्रवेश करता है, तो यह स्थिति खर्चों, विदेश यात्रा और आध्यात्मिक जीवन से जुड़ी होती है। इस गोचर के दौरान आप भौतिक चीज़ों से थोड़े अलग हो सकते हैं और जीवन में अधिक शांति और आत्मिक सुख की खोज में रहेंगे। यह समय धन कमाने की बजाय साधना, ध्यान और योग जैसे कार्यों के लिए अधि रहेगा।
हालांकि, इस समय आपके खर्चों में वृद्धि हो सकती है और बड़ी योजनाएं बनाना या लंबी अवधि के निवेश करना ठीक नहीं रहेगा, क्योंकि ऐसे कदम नुकसान या परेशानी का कारण बन सकते हैं। इसलिए हर तरह का आर्थिक निर्णय सोच समझकर ही लेना चाहिए। यदि इस दौरान आपको विदेश यात्रा या विदेश में काम करने का अवसर मिलता है, तो यह आपके करियर के लिए लाभदायक हो सकता है। लेकिन यदि आप जोखिम भरे निवेश करते हैं, तो हानि की संभावना रहेगी।
इस गोचर का प्रभाव यह भी होगा कि आपको परिवार और निजी जीवन के लिए कम समय मिलेगा, क्योंकि काम का दबाव बढ़ेगा। शनि की तीसरी दृष्टि आपकी बचत और बोलचाल पर प्रभाव डालेगी, जिससे परिवार में कुछ मतभेद या वाणी की कठोरता आ सकती है।
सातवीं दृष्टि आपके स्वास्थ्य, विशेषकर पाचन तंत्र पर असर डाल सकती है, इसलिए खानपान में नियमितता जरूरी है। दसवीं दृष्टि आपके नवम भाव पर पड़ेगी, जिससे विदेश यात्रा या लंबी दूरी की यात्रा संभव है, लेकिन पिता से मतभेद या धार्मिक विचारों में असहमति हो सकती है।
उपाय: मंगलवार के दिन गरीब व्यक्तियों को भोजन दान करें।
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वृषभ राशि के जातकों के लिए शनि नौवें (भाग्य भाव) और दसवें (कर्म भाव) के स्वामी हैं इसलिए यह आपके लिए भाग्य और सफलता देने वाला ग्रह माना जाता है। 2026 शनि गोचर के अनुसार, शनि आपकी कुंडली के एकादश भाव (लाभ भाव) से गोचर करेगा। यह गोचर बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि एकादश भाव कालपुरुष कुंडली में शनि का अपना भाव होता है। आपके लिए यह और भी शुभ रहेगा क्योंकि शनि आपकी कुंडली में योगकारक ग्रह है, यानी यह भाग्य (त्रिकोण भाव) और कर्म (केन्द्र भाव) दोनों का स्वामी है।
हालांकि, शनि धीमी गति से फल देने वाला ग्रह है और यह मेहनत व धैर्य का प्रतीक है, इसलिए सफलता आपको धीरे-धीरे मिलेगी। लेकिन जो सफलता और धन शनि की कृपा से मिलेगा, वह लंबे समय तक टिकेगा। शनि के इस एकादश भाव में आने से आपका सामाजिक दायरा थोड़ा सीमित हो सकता है। लेकिन इसका सकारात्मक पक्ष यह रहेगा कि आप समझ पाएंगे कि आपके सच्चे दोस्त कौन हैं और समाज असल में कैसे चलता है।
यह गोचर आपको धन और वित्तीय समझ भी देगा। आपके करियर और प्रोफेशन से जुड़ी इच्छाएं पूरी हो सकती है। आपकी मेहनत और समर्पण का फल अब आपको मिलेगा। जो लोग बिज़नेस करते हैं, उनके लिए यह समय लाभदायक और विस्तार वाला रहेगा।
कुछ जातक एक से अधिक बिज़नेस भी शुरू कर सकते हैं। आपको अपने काम और व्यापार की दिशा के बारे में अच्छा अनुभव और समझ मिलेगा। चूंकि शनि नौवें भाव के स्वामी होकर एकादशी में जा रहा है, इसलिए यदि आप नौकरी बदलना चाहते थे, तो अब आपको एक अच्छा अवसर मिल सकता है।
पिता से सहयोग भी प्राप्त होगा। शनि की सातवीं दृष्टि आपके पांचवें भाव (शिक्षा और बच्चों का भाव) पर रहेगी, जिससे छात्रों को पढ़ाई में अच्छा परिणाम मिल सकता है। शनि की दसवीं दृष्टि आपकी आठवें भाव (गुप्त लाभ और विरासत) पर पड़ेगी, जिससे आपको विरासत या अप्रत्याशित लाभ के योग बन सकते हैं।
कुल मिलाकर यह गोचर वृषभ राशि वालों के लिए सबसे शुभ और लाभदायक माना जाता है, खासकर यदि आपकी कुंडली में कोई शुभ महादशी चल रही हो।
उपाय: शुक्रवार के दिन “ॐ शुक्राय नमः” मंत्र का जप करें।
मिथुन राशि के जातकों के लिए शनि आठवें (परिवर्तन और रहस्यों का भाव) और नौवें (भाग्य का भाव) के स्वामी हैं। वर्ष 2026 में शनि आपकी कुंडली के दसवें भाव यानी कर्म या पेशे के भाव में गोचर करेंगे। यह स्थिति बहुत प्रभावशाली मानी जाती है क्योंकि शनि और दसवें भाव दोनों ही कर्म, मेहनत और जिम्मेदारी से जुड़े होते हैं। इस दौरान आपके अंदर कामयाबी हासिल करने की इच्छा और महत्वाकांक्षा बहुत बढ़ेगी। आप अपने लक्ष्यों को पाने के लिए पूरी लगन और मेहनत से काम करेंगे।
यह समय आपको अधिक अनुशासित, जिम्मेदार और कर्मठ बनाएगा। हालांकि, इस दौरान आपके ऑफिस या कार्यक्षेत्र में दबाव बढ़ सकता है। बॉस या वरिष्ठ अधिकारी सख्त रवैया अपना सकते हैं और काम का बोझ भी बढ़ सकता है। कानून, प्रशासन, धर्म या नियम-कायदे से जुड़े लोगों के लिए यह गोचर बहुत शुभ रहेगा जैसे- वकील, जज, सरकारी कर्मचारी धार्मिक गुरु। शनि के प्रभाव से कार्यस्थल में परिवर्तन या लंबे सफर की संभावना भी रहेगी। लेकिन क्योंकि शनि आठवें भाव के स्वामी भी है इसलिए करियर में अचानक बदलाव या चुनौतियां भी आ सकती है।
शनि की तीसरी दृष्टि बारहवें भाव पर पड़ेगी, जिससे खर्चे बढ़ सकते हैं और विदेश यात्रा या ट्रांसफर के योग बन सकते हैं। सातवीं दृष्टि चौथे भाव पर रहेगी, जिससे घर का माहौल अनुशासित या थोड़ा सख्त हो सकता है, माँ से भावनात्मक दूरी महसूस हो सकती है। वहीं, दसवीं दृष्टि सप्तम भाव पर पड़ेगी, जिससे दांपत्य जीवन या व्यावसायिक साझेदारी में कुछ तनाव संभव है। कुल मिलाकर यह समय मेहनत और अनुशासन का है, जितनी ईमानदारी से आप प्रयास करेंगे, उतने ही स्थायी फल प्राप्त होंगे।
उपाय: प्रतिदिन “ऊं मन्दाय नमः” मंत्र का 44 बार जप करें।
कर्क राशि के जातकों के लिए शनि सातवें (पति-पत्नी और साझेदारी) तथा आठवें भाव (परिवर्तन, रहस्य और डर) भाव के स्वामी हैं। वर्ष 2026 में शनि आपकी कुंडली के नवें भाव (भाग्य, धर्म और उच्च शिक्षा) से गोचर करेगा। यह गोचर शिक्षा, ज्ञान र आत्मविकास से जुड़ा हुआ है और खासकर उन लोगों के लिए शुभ रहेगा, जो उच्च शिक्षा, प्रबंधन, पीएचड़ी न्यायपालिका या सरकारी सेवाओं की तैयारी में हैं। इस समय आप बहुत गहराई से पढ़ाई या रिसर्च में लग सकते हैं।
आपको कोई सख्त लेकिन अनुशासित गुरु या शिक्षक मिल सकता है, जो आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएगा। इस वर्ष आपकी सीख और समझ का बड़ा हिस्सा आपकी खुद की मेहनत से आएगा। हालांकि, पिता से संबंध थोड़े सीमित या औपचारिक हो सकते हैं। यह समय उन लोगों के लिए भी अच्छा रहेगा, जो विश्वविद्यालय, लॉ कॉलेज या टीचिंग प्रोफेशन से जुड़े हैं। चूंकि शनि सातवें भाव के स्वामी होकर नौवें भाव में गोचर कर रहे हैं इसलिए इस दौरान आप अपने जीवनसाथी के साथ लंबी दूरी की यात्राएं कर सकते हैं।
आपके पार्टनर के प्रभाव से आप धार्मिक या आध्यात्मिक विचारधारा की ओर आकर्षित हो सकते हैं लेकिन कभी-कभी आपको ऐसा भी लग सकता है कि आपका पार्टनर आपके प्रति बहुत सख्त या शिक्षक जैसा व्यवहार कर रहा है। शनि अष्टम भाव का स्वामी होकर नवम में होने से यह भी दर्शाता है कि इस समय आप अपने डर, असुरक्षा या गुप्त भावनाएं किसी गुरु या मार्गदर्शक के साथ साझा कर सकते हैं, जिससे आपकी आध्यात्मिक प्रगति होगी।
शनि की तीसरी दृष्टि आपके एकादश भाव (लाभ भाव) पर पड़ेगी, जिससे निवेश से जुड़ा लाभ थोड़ा सीमित रह सकता है, लेकिन यह आपको बुद्धिमान और विद्वान लोगों से जुड़ने का अवसर देगा। इस समय बने दोस्त धार्मिक और दार्शनिक स्वभाव के होंगे। शनि की सातवीं दृष्टि आपके तृतीय भाव (भाई-बहन और संचार) पर पड़ेगी, जिससे छोटे भाई-बहनों से विचारों या धार्मिक मतभेदों के कारण दूरी बन सकती है।
आप अपनी बातों में बहुत सीधे और स्पष्ट रहेंगे। वहीं दसवीं दृष्टि आपके षष्ठ भाव (सेवा, स्वास्थ्य और दिनचर्या) पर पड़ेगी, जिससे आप नियमित जीवनशैली अपनाएंगे, अधिक जिम्मेदार और सेवाभावी बनेंगे। कुल मिलाकर, यह गोचर आपके लिए सीखने, आत्म विकास और आध्यात्मिक उन्नति का समय रहेगा।
उपाय: शनिवार के दिन दही-चावल का दान करें।
सिंह राशि के जातकों के लिए शनि षष्ठ (शत्रु, रोग और प्रतिस्पर्धा) तथा सप्तम (दांपत्य और साझेदारी) भाव का स्वामी है और यह स्वाभाविक रूप से सूर्य का शत्रु ग्रह माना जाता है। वर्ष 2026 में शनि आपकी कुंडली के अष्टम भाव (रहस्य, परिवर्तन, अप्रत्याशित घटनाएं और आयु) से गोचर करेगा। यह गोचर जीवन में कुछ धीमे लेकिन गहरे परिवर्तन लाएगा। शनि इस भाव का कारक ग्रह होने के कारण जीवन की अनिश्चितताओं को कुछ हद तक नियंत्रित करेगा, लेकिन फिर भी इस समय आपके प्रयासों में रुकावटें या बाधाएं आ सकती हैं।
इस गोचर के दौरान जीवनसाथी के साथ संबंधों में दूरी या ठंडापन आ सकता है। कभी-कभी ऐसा महसूस हो सकता है कि पार्टनर आपसे भावनात्मक रूप से दूर हैं या कोई बात छिपा रहे हैं। चूंकि शनि सातवें भाव के स्वामी होकर आठवें भाव में गोचर कर रहा है इसलिए यह समय वैवाहिक जीवन में गोपनीयता या रहस्यमयी घटनाओं का संकेत देता है। कुछ जातकों को इस दौरान अपने संबधों में छिपे हुए सच का पता चल सकता है।
जो लोग गूढ़ विद्या, ज्योतिष या अध्यात्म में रुचि रखते हैं, उनके लिए यह गोचर ज्ञान की गहराइयों को समझने का अवसर लाएगा। साथ ही, शनि षष्ठ भाव के स्वामी होकर आठवें भाव में आने से विपरीत राजयोग बनता है, जिसका अर्थ है कि आप अपने शत्रुओं कठिनाइयों और डर पर विजय प्राप्त करेंगे। जीवन की चुनौतियां आपको और मजबूत बनाएंगी और अंत में इन्हीं संघर्षों से लाभ मिलेगा। शनि की तीसरी दृष्टि आपके दसवें भाव (करियर) पर रहेगी, जिससे अचानक बदलाव या नए अवसर सामने आ सकते हैं।
करियर में परिवर्तन या अप्रत्याशित अवसरों की संभावना रहेगी। शनि की सातवीं दृष्टि द्वितीय भाव (धन और परिवार ) पर पड़ेगी, जिससे बचत या आर्थिक स्थिरता में कुछ उतार-चढ़ाव हो सकते हैं। वहीं दसवीं दृष्टि पांचवें भाव (प्रेम और शिक्षा) पर पड़ेगी, जिससे छात्रों को पढ़ाई में अधिक मेहनत करनी पड़ेगी और प्रेम संबंधों में निराशा या दूरी की स्थिति बन सकती है।
कुल मिलाकर, यह गोचर आपको जीवन की गहराइयों को समझने, भय पर विजय पाने और आत्मबल विकसित करने का अवसर देगा। धैर्य और आत्मविश्वास से यह समय संभालने पर आप पहले से अधिक मजबूत होकर उभरेंगे।
उपाय: रविवार के दिन विकलांग व्यक्तियों को भोजन कराएं।
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कन्या राशि के जातकों के लिए शनि पांचवें (शिक्षा, संतान, बुद्धि) और पष्ठ (रोग, शत्रु, प्रतियोगिता) भाव के स्वामी हैं। 2026 शनि गोचर के अनुसार, शनि आपकी कुंडली के सातवें भाव (दांपत्य और साझेदारी) से गोचर करेंगे। यह स्थिति शनि के लिए मजबूत मानी जाती है, लेकिन इसके परिणाम धीरे-धीरे और अनुभव के साथ मिलते हैं। इस गोचर के दौरान विवाह में देरी या विवाहित लोगों के लिए मतभेद और अहंकार की स्थिति बन सकती है।
पति-पत्नी के बीच सामंजस्य में कमी या विचारों में टकराव संभव है। इस समय आपको धैर्य, समझ और परिपक्कता से रिश्ते को संभालने की जरूरत होगी। रिश्तों में कड़वाहट से बचें और चीज़ों को शांतिपूर्वक सुलाएं। शनि षष्ठ भाव का स्वामी होकर सप्तम में आने से यह भी संकेत देता है कि जीवनसाथी को स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियाँ हो सकती हैं, जिनके कारण आप चिंतित रह सकते हैं।
जो जातक बिज़नेस पार्टनरशिप में हैं, उन्हें भी इस दौरान सतर्क रहना होगा, क्योंकि साझेदार से मतभेद या टकराव की स्थिति बन सकती है। नौकरीपेशा लोगों को अत्यधिक काम का दबाव महसूस हो सकता है इसलिए कार्य की योजना पहले से बनना फायदेमंद रहेगा।
यह समय बड़े निर्णयों या भारी निवेशों के लिए उपयुक्त नहीं है, इससे नुकसान हो सकता है। शनि की तीसरी दृष्टि आपके नौवें भाव (भाग्य और पिता) पर पड़ेगी, जिससे पिता के स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ सकता है और भाग्य का साथ थोड़ा देर से मिलेगा। सातवीं दृष्टि आपके लग्न भाव (स्वयं का भाव) पर रहेगी, जिससे आपको अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए।
थकान या तनाव से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं दसवीं दृष्टि चौथे भाव (घर, माता और मानसिक शांति) पर पड़ेगी, जिससे मां के स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ सकता है और परिवार में अंसतोष या मानसिक बेचैनी रह सकती है। कुल मिलाकर यह गोचर आपको रिश्तों में परिपक्कता, जिम्मेदारी और धैर्य सिखाएगा। मेहनत और संयम से यह समय भी धीरे-धीरे आपके पक्ष में बदल जाएगा।
उपाय: प्रतिदिन “ॐ बुधाय नमः” मंत्र का 41 बार जप करें।
तुला राशि के जातकों के लिए शनि योगकारक ग्रह होता है, क्योंकि यह आपकी कुंडली में चौथे भाव (घर, माता, सुख ) और पांचवें भाव (बुद्धि, संतान, शिक्षा) के स्वामी हैं। वर्ष 2026 में शनि आपकी कुंडली के षष्ठ भाव (रोग, शत्रु, प्रतियोगिता) से गोचर करेगा। यह स्थिति आम तौर पर मिश्रित लेकिन महत्वपूर्ण परिणाम देती है। इस गोचर के दौरान आप हिम्मत और आत्मविश्वास के बल पर बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। काम के प्रति आप समर्पण और दृढ़ निश्चय बढ़ेगा, जिससे आप प्रतियोगिता या चुनौतियों में आगे रहेंगे।
शनि जब चौथे भाव के स्वामी होकर षष्ठ भाव में आता है, तो यह बच्चों के स्वास्थ्य या उनकी प्रगति को लेकर चिंता दे सकता है। मानसिक तनाव और अनचाही चिंताएं भी रह सकती हैं। लेकिन साथ ही, लोन, विरासत या सट्टा जैसे स्रोतों से आर्थिक लाभ की संभावना भी बन सकती है।
पांचवें भाव के स्वामी होकर शनि षष्ठ भाव में होने से यह दर्शाता है कि आप काम के विकास और प्रगति को लेकर और अधिक गंभीर और मेहनती बनेंगे। यह समय आपको स्वयं को साबित करने का अवसर देगा। शनि की तीसरी दृष्टि आपके आठवें भाव (रहस्य और अप्रत्याशित घटनाएं) पर पड़ेगी, जिससे स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ सकता है और अचानक रुकावटें या निराशाएं सामने आ सकती हैं। सातवीं दृष्टि आपके बारहवें भाव (व्यय, विदेश और नींद) पर पड़ेगी, जिससे खर्चों में वृद्धि होगी। यदि आप वाहन चलाते हैं, तो सावधानी जरूरी है, गिरने या हल्की दुर्घटना की संभावना बन सकती है।
दसवीं दृष्टि आपके पांचवें भाव (संतान, शिक्षा, प्रेम) पर पड़ेगी, जो एक सकारात्मक प्रभाव है। इससे संतान की प्रगति और आर्थिक लाभ के योग बनेंगे। सट्टा या निवेश से भी लाभ मिलने की संभावना रहेगी।
उपाय: प्रतिदिन “ॐ महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का 42 बार जप करें।
वृश्चिक राशि वालों के लिए शनि तीसरे और चौथे भाव के स्वामी हैं और वर्ष 2026 में यह आपके पांचवें भाव में गोचर करेंगे। पांचवें भाव में शनि का गोचर बहुत शुभ नहीं माना जाता क्योंकि यह आलस्य और देरी की प्रवृत्ति बढ़ा सकता है। इस दौरान आप सट्टा, ट्रेडिंग या किसी भी प्रकार के निवेश में रुचि ले सकते हैं और इससे अच्छा धन लाभ कमाने की कोशिश करेंगे। हालांकि यह स्थिति आपके भविष्य को लेकर कुछ चिंताएं भी बढ़ा सकती है, साथ ही संतान की प्रगति या स्वास्थ्य को लेकर मन में चिंता बनी रह सकती है।
इस दौरान शनि की तीसरी दृष्टि आपके सातवें भाव पर पड़ेगी, जिससे वैवाहिक जीवन में मतभेद या तनाव संभव है। जीवनसाथी से किसी बात को लेकर विवाद या असहमति हो सकती है। शनि की दसवीं दृष्टि आपके दूसरे भाव पर पड़ेगी, जिससे परिवार में तर्क-वितर्क या मतभेद की स्थिति बन सकती है। आप अपने शब्दों को लेकर अधिक सतर्क रहेंगे और परिवार के विकास के लिए अधिक खर्च कर सकते हैं।
उपाय: प्रतिदिन 41 बार “ऊं वायु पुत्राय नमः” का जाप करें।
धनु राशि वालों के लिए शनि ग्रह दूसरे और तीसरे भाव के स्वामी हैं और वर्ष 2026 में यह आपके चौथे भाव में गोचर करेंगे। शनि के चौथे भाव में रहना बहुत शुभ नहीं माना जाता है। इस दौरान आपको कुछ रुकावटों और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आपकी सुविधाओं या आराम में कमी आ सकती है। घर परिवार से जुड़ी चिंताएं और मन की बेचैनी बढ़ सकती हैं। कुछ जातकों को इस समय घर-परिवार में झगड़े या कानूनी मसले झेलने पड़ सकते हैं।
शनि की तीसरी दृष्टि आपके छठे भाव पर पड़ेगी, जिससे गले से जुड़ी तकलीफें, टॉन्सिल की समस्या या ब्लड शुगर बढ़ने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। सातवीं दृष्टि आपके दसवें भाव पर पड़ेगी, जिससे कामकाज का दबाव और ऊपरी अधिकारियों से मनमुटाव या मान्यता की कमी महसूस हो सकती है।
वहीं इसकी दसवीं दृष्टि आपके लग्न पर पड़ेगी, जिससे, तनाव, थकान और सेहत की समस्या बढ़ सकती है। इस समय अनचाही यात्राएं करनी पड़ सकती हैं और मन में असंतोष भी रह सकता है।
उपाय: शनिवार के दिन भगवान शनि देव के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
मकर राशि वालों के लिए शनि ग्रह लग्न और दूसरे भाव के स्वामी हैं और वर्ष 2026 में में यह आपके तीसरे भाव में गोचर करेगा। शनि का तीसरे भाव में रहना शुभ और फलदायी माना जाता है। इस समय आपके जीवन में तरक्की और प्रगति के अवसर बढ़ेंगे। आपमें आत्मविश्वास, साहस और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होगी। अपने प्रयासों से सफलता हासिल करेंगे।
यह समय आपको नई दिशा में आगे बढ़ने और जीवन में स्थिरता लाने का मौका देगा। इस दौरान आपको लंबी दूरी की यात्रा करनी पड़ सकती है, जो आपके लिए लाभदायक साबित होगी। शनि की तीसरी दृष्टि आपके पंचम भाव (पांचवें भाव) पर पड़ेगी, जिससे आपके अंदर प्रेम संबंधों और शेयर मार्केट या सट्टे जैसे कार्यों में रुचि बढ़ेगी। कुछ लोग इस समय पढ़ाई या बच्चों से जुड़ी उपलब्धियों पर ध्यान देंगे।
वहीं, शनि की दसवीं दृष्टि आपके बारहवें भाव पर पड़ेगी, जिससे करियर में उतार-चढ़ाव, अधिक खर्च और अनावश्यक यात्राएं हो सकती हैं। फिर भी यह गोचर कुल मिलाकर आपके लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा, बशर्ते आप धैर्य और मेहनत बनाए रखें।
उपाय: शनिवार के दिन नीलम रत्न धारण करें।
कुंभ राशि वालों के लिए शनि ग्रह लग्न और बारहवें भाव के स्वामी हैं और वर्ष 2026 में यह आपके दूसरे भाव में गोचर करेंगे। शनि का दूसरे भाव में रहना आपकी साढ़े साती के अंतिम ढाई साल का समय दर्शाता है। इस अवधि में आपको आर्थिक कठिनाइयों और परिवार या रिश्तों में तनाव का सामना करना पड़ सकता है। बात-बात पर बहस या मतभेद की स्थिति बन सकती है, इसलिए इस समय आपको बहुत संयम और धैर्य से काम लेना होगा।
किसी भी बड़े निर्णय को लेने से पहले गहराई से सोचें, क्योंकि जल्दबाज़ी में लिया गया निर्णय आपको परेशानी में डाल सकता है। शनि की तीसरी दृष्टि आपके चौथे भाव (घर और परिवार) पर पड़ेगी, जिससे घर के मामलों में तनाव, कम, आराम और जल्दबाजी के फैसले की प्रवृत्ति बढ़ सकती है, जिसे टालना बेहतर रहेगा।
इस दौरान आपको दांतों या मुंह से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं जैसे दर्द या सड़न की दिक्कतें हो सकती है, जिन पर ध्यान देना जरूरी है। शनि की दसवीं दृष्टि आपके ग्यारहवें भाव (लाभ भाव) पर पड़ेगी, जिससे पैसे कमाने के अवसर तो मिलेंगे, लेकिन देरी या अड़चनें भी रहेंगी। धन आएगा, पर बचत करना मुश्किल रहेगा। कुल मिलाकर यह गोचर आपके लिए मध्यम परिणाम लेकर आएगा।
उपाय: प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
मीन राशि वालों के लिए शनि ग्रह (पहले भाव) और बारहवें भाव के स्वामी हैं और वर्ष 2025 में यह आपके पहले भाव (लग्न) में गोचर करेंगे। यह स्थिति साढ़े साती का मध्य और सबसे महत्वपूर्ण चरण मानी जाती है। इस अवधि में आपको आर्थिक परेशानियों और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। शनि के लग्न भाव में होने से आप कभी-कभी सुस्ती या आलस्य महसूस कर सकते हैं और आपकी गति धीमी हो सकती है।
रिश्तों में भी बाधाएं, गलतफहमियां या कड़वाहट आ सकती है। इसलिए इस समय आपको अपने व्यवहार में धैर्य, ईमानदारी और संयम बनाए रखना बेहद जरूरी है। शनि की तीसरी दृष्टि आपके तीसरे भाव पर पड़ेगी, जिससे आपकी स्वयं की प्रगति में देरी हो सकती है और आपको अनचाही यात्राएं करनी पड़ सकती हैं। साथ ही, आपको अपने भाई-बहनों के स्वास्थ्य पर भी खर्च करना पड़ सकता है।
शनि की दसवीं दृष्टि आपके दसवें भाव (कार्य क्षेत्र) पर पड़ेगी, जिससे नौकरी में परिवर्तन या कामकाज के माहौल में तनाव संभव है। कुल मिलाकर यह गोचर आपके लिए औसत परिणाम देने वाला रहेगा न ज्यादा, न बहुत कठिन, लेकिन यह आपको जीवन की सच्चाइयों को गहराई से समझने का अवसर देगा।
उपाय: शनिवार के दिन विकलांग व्यक्तियों को भोजन कराएं।
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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ जरूर साझा करें। धन्यवाद!
1. तुला राशि वालों के लिए शनि गोचर कैसा रहेगा?
शनि जब चौथे भाव के स्वामी होकर षष्ठ भाव में आता है, तो यह बच्चों के स्वास्थ्य या उनकी प्रगति को लेकर चिंता दे सकता है।
2. शनि के इस गोचर का मीन राशि वालों पर मुख्य प्रभाव क्या रहेगा?
यह समय मानसिक दबाव, थकान, और आर्थिक चिंताओं का हो सकता है। आपको मेहनत ज़्यादा करनी होगी, लेकिन परिणाम धीरे-धीरे मिलेंगे।
3. क्या इस दौरान सेहत पर असर पड़ेगा?
हां, सेहत का विशेष ध्यान रखना ज़रूरी होगा। थकान, आलस्य, कमज़ोरी, हड्डियों या जोड़ों से जुड़ी दिक्कतें आ सकती हैं।