विद्यारंभ मुहूर्त 2019

Author: - | Last Updated: Thu 1 Nov 2018 6:01:10 PM

पढ़ें वर्ष 2019 में विद्यारंभ संस्कार के लिए शुभमुहूर्त और जानें बच्चों की शुरुआती शिक्षा से पहले किये जाने वाले इस संस्कार महत्व, साथ ही पढ़ें विद्यारंभ संस्कार के लिए कैसे करें मुहूर्त की गणना?


विद्यारंभ मुहूर्त 2019
दिनांक वार तिथि नक्षत्र शुभ समय
18 जनवरी 2019 शुक्रवार द्वादशी रोहिणी नक्षत्र 07:15 - 19:26
25 जनवरी 2019 शुक्रवार पंचमी उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र 07:13 - 18:18
30 जनवरी 2019 बुधवार दशमी अनुराधा नक्षत्र 15:33 - 16:40
01 फरवरी 2019 शुक्रवार द्वादशी मूल नक्षत्र 07:10 - 18:51
06 फरवरी 2019 बुधवार द्वितीय धनिष्ठा नक्षत्र 07:07 - 09:53
07 फरवरी 2019 गुरूवार द्वितीय शतभिषा नक्षत्र 07:06 - 18:27
08 फरवरी 2019 शुक्रवार तृतीया पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र 07:05 - 10:18
10 फरवरी 2019 रविवार पंचमी रेवती नक्षत्र 07:04 - 18:15
11 फरवरी 2019 सोमवार षष्टी अश्विनी नक्षत्र 07:03 - 15:21
15 फरवरी 2019 शुक्रवार दशमी मृगशिरा नक्षत्र में 07:27 - 20:13
17 फरवरी 2019 रविवार द्वादशी पुनर्वसु नक्षत्र 06:58 - 08:10
20 फरवरी 2019 बुधवार प्रतिपदा मघा नक्षत्र 17:37 - 29:53
21 फरवरी 2019 गुरूवार द्वितीय उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र 06:55 - 19:50
24 फरवरी 2019 रविवार षष्टी स्वाति नक्षत्र 06:52 - 19:38
28 फरवरी 2019 गुरूवार दशमी मूल नक्षत्र 06:48 - 19:22
01 मार्च 2019 शुक्रवार दशमी पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र 08:39 - 10:42
03 मार्च 2019 रविवार द्वादशी उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र 06:45 - 12:29
08 मार्च 2019 शुक्रवार द्वितीय उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र 06:40 - 18:51
14 अप्रैल 2019 रविवार नवमी पुष्य नक्षत्र 14:09 - 20:24
24 अप्रैल 2019 बुधवार पंचमी मूल नक्षत्र 05:47 - 20:22
25 अप्रैल 2019 गुरूवार षष्टी पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र 05:46 - 12:47
29 अप्रैल 2019 सोमवार दशमी शतभिषा नक्षत्र 05:43 - 08:51
06 मई 2019 सोमवार द्वितीय कृतिका नक्षत्र 16:36 - 19:34
09 मई 2019 गुरूवार पंचमी आर्द्रा नक्षत्र 05:35 - 19:00
10 मई 2019 शुक्रवार षष्टी पुनर्वसु नक्षत्र 05:34 - 19:06
13 मई 2019 सोमवार नवमी मघा नक्षत्र 15:21 - 19:07
15 मई 2019 बुधवार एकादशी उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र 10:36 - 21:28
16 मई 2019 गुरूवार द्वादशी हस्त नक्षत्र 05:30 - 08:15
23 मई 2019 गुरूवार पंचमी उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र 05:27 - 20:46
24 मई 2019 शुक्रवार षष्टी उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र 05:26 - 20:42
29 मई 2019 बुधवार दशमी उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र 15:21 - 20:23
30 मई 2019 गुरूवार एकादशी रेवती नक्षत्र 05:24 - 20:19
31 मई 2019 शुक्रवार द्वादशी अश्विनी नक्षत्र 05:24 - 17:17
05 जून 2019 बुधवार द्वितीय आर्द्रा नक्षत्र 07:22 - 19:55
06 जून 2019 गुरूवार तृतीया पुनर्वसु नक्षत्र 05:23 - 09:55
07 जून 2019 शुक्रवार चतुर्थी पुष्य नक्षत्र 07:38 - 19:47
12 जून 2019 बुधवार दशमी हस्त नक्षत्र 06:06 - 19:28
13 जून 2019 गुरूवार एकादशी चित्रा नक्षत्र 16:49 - 19:24
14 जून 2019 शुक्रवार द्वादशी स्वाति नक्षत्र 05:23 - 10:16
19 जून 2019 बुधवार द्वितीय पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र 05:23 - 19:59

विद्यारम्भ संस्कार

विद्या यानि शिक्षा प्राप्त करना किसी भी व्यक्ति के सार्वभौम विकास के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता है। विद्या से ज्ञान प्राप्त होता है और ज्ञान निर्धन व्यक्ति को धनी लोगों के बीच भी सम्मानित बना सकता है। विद्या से व्यक्ति में कई तरह के गुणों का विकास होता है और एक ज्ञान ही है जो जीवन में बुरे से बुरे दौर में भी व्यक्ति के साथ बना रहता है, इसलिए असली धन विद्या ही है।

विद्यारम्भ संस्कार

पुराने ज़माने में बालकों को पढ़ने के लिए गुरुकुल भेजा जाता था, घर पर स्वाध्याय भी पढ़ाई का एक मान्य तरीका था। बच्चों की पढ़ाई शुरू करवाने के लिए भी शुभ मुहूर्त निकला जाता था और फिर विधिवत पूजा करके विद्यारम्भ संस्कार संपन्न किया जाता था। हिन्दू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक, विद्यारम्भ संस्कार का भी बहुत महत्व है। माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में विद्यारम्भ संस्कार बालक की पढ़ाई बिना किसी बाधा के संपन्न हो सके और बड़े होने पर बालक के करियर में भी किसी तरह की रुकावट न आये। इस संस्कार में विधिवत पूजन करने के बाद बालक को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है और कामना की जाती है कि बालक हर तरह से सुशिक्षित और सुसंस्कारी बने।

विद्यारम्भ मुहूर्त

कहते हैं कि शुभ मुहूर्त में कोई कार्य करने से उसकी सफलता की संभावना बढ़ जाती है, साथ ही उस शुभ समय का अधिकाधिक लाभ भी प्राप्त होता है। बालक को पढ़ने के लिए स्कूल भेजना भी एक शुभ और जरुरी काम है, इसलिए इसे भी यथानुसार शुभ मुहूर्त निकलवाकर ही किया जाना चाहिए.

विद्यारम्भ मुहूर्त की गणना कैसे करें

विद्यारम्भ करने के लिए के लिए शुभ मुहूर्त निकालने के साथ ही बालक की आयु भी ध्यान रखना चाहिए. मुहूर्त के लिए तिथि,वार, ग्रह, नक्षत्र आदि का ध्यान रखना जरुरी होता है, इसलिए मुहूर्त किसी योग्य और अनुभवी ज्योतिषी द्वारा ही निकलवायें।

  • विद्यारंभ संस्कार चतुर्दशी, अमावस्या, प्रतिपदा, अष्टमी और सूर्य संक्रांति के दिन नहीं करना चाहिए.
  • विद्यारंभ संस्कार के लिए सबसे उत्तम लग्न मिथुन, सिंह, कन्या, वृषभ और धनु को माना गया है.
  • आमतौर पर बसंत पंचमी का दिन बालक के विद्यारम्भ संस्कार के लिए उत्तम माना जाता है. क्योंकि बसंत-पंचमी देवी सरस्वती का दिन है.
  • विद्यारम्भ संस्कार पौष, माघ और फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली अष्टमी तिथि को नहीं करना चाहिए.
  • बालक में पढ़ने के प्रति उत्साह जगाएं, उसे बताएं कि लिखना और पढ़ना उसके लिए कैसे लाभकारी हो सकता है.

विद्यारम्भ मुहूर्त का ज्योतिषीय महत्व

विद्यारंभ संस्कार आमतौर पर बालक के चार-पाँच साल का होने पर किया जाता है, लेकिन आजकल प्री-स्कूल, प्ले स्कूल के बढ़ते प्रचलन के कारण कई स्थानों पर अब लोग इसे बालक के दो-ढाई साल का होने पर भी करने लगे हैं। इस संस्कार में भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा की जाती है। भगवान श्री गणेश हर काम को निर्विघ्न करने वाले हैं और माता सरस्वती वाचन और विद्या की देवी हैं। विद्यारम्भ संस्कार का इसलिए इतना महत्व है क्योंकि हिन्दू धर्म शास्त्रों में कहा गया है जिसे विद्या नहीं आती उसे उसे धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों फलों से वंचित रहना पडता है। विद्या से बालक को ज्ञान मिलता है और ज्ञान से बालक का जीवन सफल बनता है। इस संस्कार से बालक में बुद्धिमत्ता, प्रज्ञा और अपने शिक्षकों के प्रति श्रद्धा उत्पन्न होती है, इसलिए इस संस्कार का बहुत महत्व है।

विद्यारंभ संस्कार और सावधानियाँ

विद्यारम्भ संस्कार के समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए-

  • आजकल बच्चों को बहुत कम आयु में ही स्कूल भेजने का प्रचलन बढ़ रहा है, ऐसे में कोशिश करें कि जब तक बच्चे अच्छी तरह बोलना-चलना न सीख लें, उन्हें स्कूल न भेजा जाए. स्कूल में बालक कुछ अच्छा सीखने जाता है, लेकिन आजकल देखने में आता है, छोटे-छोटे बच्चे सोते हुए, रोते हुए जबरदस्ती स्कूल जा रहे होते हैं. यह उचित नहीं है. विद्यारम्भ संस्कार बालक के जीवन में शिक्षा का शुभारम्भ करने के लिए ही है, लेकिन अगर नन्हा-सा बालक दुखी होकर, रोकर स्कूल जा रहा है तो वह क्या सीख पायेगा? इसलिये बालक की आयु का विशेष ध्यान रखें।
  • आजकल बच्चों में पढ़ने की रुचि बढ़ाने के लिए कई तरह की बेहतरीन किताबें और आकर्षक स्टेशनरी भी बाज़ार और ऑनलाइन उपलब्ध है, जिनसे खेल-खेल में ही बच्चे बहुत-सी अच्छी चीजें सीख जाते हैं.

हिन्दू धर्म में विद्या को अत्यधिक महत्व दिया गया है, संसार के सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद ही हैं. हिन्दू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक विद्यारम्भ संस्कार एक महत्वपूर्ण संस्कार है. यह बालक को जीवन की एक बेहद जरुरी चीज- विद्या से परिचित करवाता है. शिक्षा के बिना मानव हर स्तर पर कई कष्टों को झेलता है. बालक के विद्यारम्भ संस्कार का उद्देश्य जहाँ बालक की शिक्षा का शुभारम्भ करना है, वहीं यह उसके माता-पिता का उत्तरदायित्व भी सुनिश्चित करता है, कि वे उसकी अन्य जरूरतों के साथ-साथ उसकी पढ़ाई-लिखाई का भी समुचित प्रबंध करें और उसे सही दिशा में बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें. आधुनिक युग में गुरुकुल और घर पर पढ़ाई करने का प्रचलन समाप्त हो गया है, आज शिक्षा के लिए हॉस्टल, बोर्डिंग , स्कूल, कोचिंग आदि कई विकल्प मौज़ूद हैं. इन सबसे पढ़ाई का स्तर आसान और सर्वसुलभ तो हुआ है, साथ ही माता-पिता और अभिभावकों के उत्तरदायित्व भी कई स्तरों पर बढ़ गए हैं. वस्तुतः विद्या और अच्छे संस्कार ही मानव की वास्तविक पूँजी हैं, जो जीवन में हमेशा काम आते हैं, इसलिए यथासंभव अच्छी बातों और शिक्षा को ग्रहण करना चाहिए. विद्यारम्भ संस्कार इसी दिशा में बालक का पहला और महत्वपूर्ण कदम है।

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