एस्ट्रोकैंप द्वारा अमावस्या 2022 कैलेंडर (Amavasya 2022 Calendar) के माध्यम से आपको आने वाली अमावस्या 2022 तिथियों के सूची की जानकारी मिलेगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार जानिये इस नववर्ष 2022 में अमावस्या तिथियों का महत्व और जानिये उनसे जुड़े कुछ सवालों के जवाब।
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हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार जिस दिन चंद्रमा नजर नहीं आता है उस दिन को अमावस्या कहते हैं। अमावस्या को कई जगहों पर अमावस भी कहा जाता है। अमावस्या वाली रात चंद्रमा पूरी तरह से गायब हो जाता है जिसकी वजह से हर तरफ अंधेरा छाया रहता है। चंद्रमा पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करने में 28 दिन का समय लगाता है। ऐसे में 15 दिनों के लिए चंद्रमा पृथ्वी के दूसरी तरफ होता है। जब उसे देखा नहीं जा सकता। वहीं जिस दिन चंद्रमा पूरी तरह से गायब हो जाता है और देखा नहीं जा सकता है हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन को अमावस्या कहा गया है। ऐसे में हिंदू धर्म की मान्यता अमावस्या तिथि के बारे में कहती है कि, इस दिन पूजा पाठ करना, पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करना, या फिर पितृ शांति के लिए उपाय करना विशेष फलदाई होता है।
हालाँकि इस बात का विशेष ध्यान रखें कि, अमावस्या तिथि के दिन किसी भी तरह का गलत काम, बुरी लत से जितना हो सके दूर रहे। इसके अलावा इस दिन गरीबों और ज़रुरतमंदों को दान देने का, यथाशक्ति के अनुसार भोजन कराने का भी विशेष महत्व बताया गया है। अमावस्या तिथि का स्वामी पितृ देव को माना गया है और यही वजह है इस दिन पितरों का ध्यान करना, उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म करना, या फिर कुंडली में मौजूद पितृ दोष निवारण के उपाय करने का खास महत्व होता है।
यूं तो हर एक अमावस्या तिथि का विशेष महत्व माना गया है हालांकि अमावस्या 2022 तिथियों में से एक सोमवती अमावस्या सबसे ज्यादा शुभ फलदाई मानी जाती है। सोमवती अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है। कहा जाता है कि यह अमावस्या बेहद ही महत्वपूर्ण होती है। इस अमावस्या के महत्व का अंदाजा आप इसी बात से लगा लीजिये कि पांडवों ने अपने पूरे जीवन भर सोमवती अमावस्या का इंतजार किया था। हाँ लेकिन यह अमावस्या उनके जीवनकाल में एक भी बार नहीं आई थी।
सोमवती अमावस्या के अलावा और भी अमावस्या तिथि होती हैं जिन का विशेष महत्व बताया गया है। जैसे माघ महीने में आने वाली मौनी अमावस्या 2022, आश्विन माह में आने वाली महालय अमावस्या 2022, इत्यादि। हर माह की अमावस्या पर कोई ना कोई पर्व या फिर त्योहार अवश्य मनाया जाता है जैसे, कार्तिक अमावस्या 2022 के दिन दिवाली मनाई जाती है, इसके अलावा भाद्रपद अमावस्या 2022 के दिन कर्नाटक, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र जैसे जगहों पर कृषि से संबंधित पोला त्यौहार मनाया जाता है।
प्रत्येक माह में एक अमावस्या तिथि आती है। ऐसे में प्रत्येक वर्ष में 12 अमावस्या पड़ती है। नीचे हम आपको वर्ष 2022 में पड़ने वाली सभी अमावस्या तिथि की संपूर्ण जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
जानकारी: यहाँ दी गयी तिथियाँ मुख्य रूप से पूर्णिमांत पंचांग कैलेंडर के अनुसार दी जा रही हैं। (यह कैलेंडर मुख्य रूप से छत्तीसगढ़, बिहार, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों में अनुसरण किया जाता है)
| दिनांक | त्यौहार |
| रविवार, 02 जनवरी 2022 | पौष अमावस्या |
| मंगलवार, 01 फरवरी 2022 | माघ अमावस्या |
| बुधवार, 02 मार्च 2022 | फाल्गुन अमावस्या |
| शुक्रवार, 01 अप्रैल 2022 | चैत्र अमावस्या |
| शनिवार, 30 अप्रैल 2022 | वैशाख अमावस्या |
| सोमवार, 30 मई 2022 | ज्येष्ठ अमावस्या |
| बुधवार, 29 जून 2022 | आषाढ़ अमावस्या |
| गुरुवार, 28 जुलाई 2022 | श्रावण अमावस्या |
| शनिवार, 27 अगस्त 2022 | भाद्रपद अमावस्या |
| रविवार, 25 सितंबर 2022 | अश्विन अमावस्या |
| मंगलवार, 25 अक्टूबर 2022 | कार्तिक अमावस्या |
| बुधवार, 23 नवंबर 2022 | मार्गशीर्ष अमावस्या |
| शुक्रवार, 23 दिसंबर 2022 | पौष अमावस्या |
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बात करते हैं हर साल पड़ने वाली अमावस्या के विभिन्न प्रकार क्या-क्या होते हैं और उनका महत्व क्या-क्या होता है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार बात करें तो दिसंबर महीना और जनवरी महीने के समय को पौष का महीना कहा जाता है। ऐसे में इस महीने में जो आने वाली अमावस्या 2022 तिथि पड़ती है उसे पौष अमावस्या 2022 कहा जाता है। वर्ष 2022 में पौष अमावस्या 2 जनवरी रविवार के दिन पड़ रही है। सभी अमावस्या तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है हालांकि पौष अमावस्या के बारे में ऐसी मान्यता है कि, यदि इस दिन किसी भी तरह का कोई आध्यात्मिक कार्य शुरू किया जाए तो व्यक्ति को विशेष शुभ परिणाम मिलते हैं। इसके अलावा पितरों की पूजा करने के लिए, उनकी आत्मा की शांति के लिए, इस दिन का विशेष महत्व बताया गया है। इसलिए यदि आप अपने पितरों को भोजन अर्पित करते हैं तो आपको पितृ दोष जैसे बड़े दोष से छुटकारा भी प्राप्त होता है।
यानी कि, कुल मिलाकर देखा जाए तो पितरों की आत्मा की शांति, उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए और अपनी कुंडली से पितृ दोष जैसे बड़े दोष के निवारण के लिए पौष अमावस्या का दिन बेहद ही शुभ माना जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं कुंडली के अन्य बड़े दोष जैसे कालसर्प दोष या फिर राहु केतु के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए भी बहुत से लोग और अमावस्या के दिन व्रत आदि करते हैं। कहा जाता है कि इससे व्यक्ति को शुभ परिणाम मिलता है। इसके अलावा यदि आप इस दिन सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं तो आपके जीवन से सभी परेशानियां अवश्य दूर होती हैं और आपके जीवन में सूर्य देवता का आशीर्वाद बना रहता है।
इसके बाद हम बात करते हैं मौनी अमावस्या 2022 की जिसे कई जगहों पर माघ अमावस्या भी कहा जाता है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ माह बेहद ही शुभ माना जाता है। ऐसे में माघ महीने में जो अमावस्या पड़ती है उसे माघ या फिर मौनी अमावस्या कहते हैं। माघ अमावस्या का यह दिन भी दान, स्नान, पूजा पाठ के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस वर्ष अमावस्या 2022 कैलेंडर के अनुसार मौनी अमावस्या 1 फरवरी मंगलवार के दिन पड़ रही है।
माघ के महीने में देश के पवित्र नदियों में स्नान करने का, जप तप करने का, विशेष महत्व बताया जाता है। कहा जाता है ऐसा करने से जीवन में सुख समृद्धि बढ़ती है और सभी तरह के पाप और दुख जीवन से दूर होते हैं। इसके अलावा बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है। मौनी अमावस्या के दिन ग्रहों के विशेष संयोग की वजह से गंगा नदी का पानी अमृत में तब्दील हो जाता है। कहा जाता है यही वजह है कि इस दिन बहुत से लोग गंगा नदी में स्नान करने के लिए दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं, स्नान करते हैं और अपने पापों से छुटकारा प्राप्त करते हैं।
इसके अलावा कहा जाता है कि माघ अमावस्या/मौनी अमावस्या के दिन हमारे पूर्वज भी धरती पर आते हैं। ऐसे में यदि इस दिन पितरों की शांति के लिए कोई भी पूजा या कर्मकांड किया जाए तो विशेष फलदाई साबित होता है। इस दिन देवताओं और पितरों का आशीर्वाद हासिल किया जा सकता है। मौनी अमावस्या के दिन दान, ध्यान, पूजा, पाठ, मंत्र जाप, दान दक्षिणा देना, पूजा पाठ करने का विशेष महत्व बताया गया है।
मौनी अमावस्या में मौन शब्द का मतलब होता है चुप रहना। ऐसे में मौनी अमावस्या के दिन लोग मौन धारण करके व्रत उपवास और पूजा पाठ करते हैं। इसके अलावा अधिक जानकारी के लिए बता दें कि, मौनी अमावस्या के दिन ही प्रसिद्ध कुंभ मेले के दौरान सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है क्योंकि इस दिन त्रिवेणी संगम में स्नान किया जाता है जिससे व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य के साथ सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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इसके बाद बात करते हैं हरियाली अमावस्या की, हरियाली अमावस्या श्रावण मास में पड़ती है। श्रावण मास का सीधा संबंध भगवान शिव से जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में अमावस्या 2022 कैलेंडर के अनुसार श्रावण अमावस्या 28 जुलाई गुरुवार के दिन पड़ रही है। जैसा कि कहा जाता है कि हिंदू धर्म के सभी देवी देवताओं में सबसे आसान भगवान शिव की प्रसन्नता हासिल करना होता है ऐसे में श्रावण मास के दौरान भगवान शिव के साथ अपने पितरों की प्रसन्नता हासिल करने के लिए हरियाली अमावस्या का विशेष महत्व माना जाता है।
हरियाली अमावस्या हरियाली तीज के आसपास मनाई जाती है इसलिए इसे हरियाली अमावस्या कहा जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि हरियाली तीज हिंदू सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक बेहद शुभ फलदाई त्यौहार होता है। हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत और पूजा करती हैं वहीं, कुमारी कन्याएं भी दिन का व्रत करती हैं। कहा जाता है ऐसा करने से उन्हें सुयोग या मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
इसके अलावा इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा का भी विधान बताया गया है। हरियाली अमावस्या 2022 मुख्य रूप से मथुरा और वृंदावन के उत्तरी क्षेत्र में बेहद महत्वपूर्ण मानी गई है। वृंदावन में भगवान कृष्ण के बांके बिहारी मंदिर को इस दुल्हन की तरह फूलों से सजाया जाता है और इस खूबसूरत और मनमोहक दृश्य का नजारा लेने के लिए भगवान कृष्ण के भक्त दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं।
जैसे सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या तिथि को सोमवती अमावस्या कहा जाता है वैसे ही शनिवार को पढ़ने वाली अमावस्या तिथि को शनिचरी अमावस्या कहा जाता है। कभी-कभी शनिचरी अमावस्या शनि जयंती के रूप में भी मनाई जाती है। शनि जयंती यानी कि, वो दिन जब शनिदेव पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। इस वर्ष पड़ने वाली शनिचरी अमावस्या की बात करें तो इस वर्ष कुल दो शनिचरी अमावस्या पड़ रही है। पहली वैशाख माह में वैशाख अमावस्या जो कि 30 अप्रैल शनिवार के दिन पड़ रही है और दूसरी भाद्रपद माह में पड़ने वाली भाद्रपद अमावस्या जो कि 27 अगस्त शनिवार के दिन पड़ रही है
मान्यता के अनुसार इस दिन यदि विधि पूर्वक भगवान शनि की पूजा की जाए तो व्यक्ति की कुंडली में मौजूद ग्रहों के अशुभ प्रभाव और शनि दोष से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा ऐसा कहा जाता है कि, भगवान हनुमान ने शनिदेव को रावण के चंगुल से आजाद किया था इसलिए जो कोई भी व्यक्ति भगवान हनुमान की पूजा करता है उन लोगों पर शनिदेव की विशेष कृपा रहती है और ऐसे लोगों को शनि के कारण उत्पन्न होने वाली परेशानियों और दोषों से भी राहत मिलती है।
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सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पूजा के साथ-साथ व्रत रखने का भी विशेष महत्व बताया गया है। सोमवती अमावस्या के दिन बहुत से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत और उपवास करती हैं। हिंदू परंपराओं के अनुसार, इसे "अश्वत्थ परदेशक" व्रत भी कहा जाता है, जहां "अश्वथ" का मतलब होता है "पीपल का पेड़"। इसलिए इस दिन विवाहित महिलाएं पीपल के पेड़ पर अपनी प्रार्थना, दान, दूध, मिठाई इत्यादि चढ़ाती हैं और उसके चारों ओर 108 बार परिक्रमा (फेरे) करती हैं। इसके अलावा, सोमवती अमावस्या पर अनुष्ठान के भाग के रूप में पेड़ की परिक्रमा लगाते समय महिलाओं द्वारा पीपल के पेड़ के चारों ओर एक पवित्र धागा भी बाँधा जाता है।
बात करें वर्ष 2022 में पड़ने वाली सोमवती अमावस्या की तो, इस वर्ष केवल एक सोमवती अमावस्या पड़ रही है जो की ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली ज्येष्ठ अमावस्या के रूप में मनाई जाएगी अमावस्या 2022 कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या 30 मई सोमवार के दिन पड़ रही है। सोमवती अमावस्या का दिन बेहद ही पवित्र माना गया है। ऐसे में इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं, पापों से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख समृद्धि आती है।
अमावस्या तिथि के बारे में प्रचलित मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि, इस दिन कोई भी शुभ काम नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इस दिन आकाश में चंद्रमा नजर नहीं आता है। ऐसे में सवाल उठता है कि, क्या इसका मतलब यह हुआ कि अमावस्या का दिन अशुभ होता है? तो आइए जानते हैं इसका सही जवाब।
हिंदू धर्म में एक तरफ तो अमावस्या तिथि बेहद ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह दिन स्नान, दान, पितरों का तर्पण, कुंडली से दोष निवारण, इत्यादि के लिए बेहद शुभ माना जाता है वहीं, दूसरी तरफ ऐसा भी कहा जाता है कि अमावस्या की रात बुरी आत्माएं सबसे ज्यादा मजबूत स्थिति में होती है। यही वजह है कि, अमावस्या की रात काला जादू, टोना टोटका के लिए जानी जाती है। बुरी नज़र और आत्माओं से खुद को और अपने परिवार को बचाने के लिए बहुत से लोग अमावस्या की रात भगवान शिव और मां काली की पूजा करते हैं।
इसके अलावा अमावस्या तिथि का एक पहलू यह भी होता है कि, इस दिन मनोकामना पूर्ति के लिए यदि व्रत और पूजन किया जाए तो कहते हैं व्यक्ति की मनोकामना अवश्य पूरी होती है। ऐसे में यहां यह कह पाना की अमावस्या की तिथि शुभ होती है या अशुभ थोड़ा मुश्किल है। अमावस्या तिथि के बारे में बहुत से लोग यह भी मानते हैं कि, इस रात यात्रा करने से बचना चाहिए। इस दौरान अगर यात्रा की जाती है इसके पीछे का कोई धार्मिक कारण तो नहीं है लेकिन वैज्ञानिक रूप से इस बात के पीछे की वजह बताई जाती है क्योंकि रात में चंद्रमा का प्रकाश नहीं होता है ऐसे में यात्रा करने से खतरे की आशंका होती है और यही वजह है कि इस दिन यात्रा करने से बहुत से लोग बचते हैं।
फिर भी अगर बात की जाए कि अमावस्या की तिथि शुभ होती है या अशुभ तो हम तो यही कहेंगे कि अमावस्या की तिथि असल में शुभ ही होती है। अब आप खुद सोचिए अगर तिथि शुभ रही होगी तो आखिर अमावस्या के दिन दिवाली और हिंदू धर्म के बड़े त्यौहार क्यों मनाए जाएंगे। इसके अलावा जानकारी के लिए बता दें कि, जिस दिन भगवान राम अयोध्या वापस लौटे थे उस दिन भी अमावस्या का ही दिन था। ऐसे में इस दिन लोग मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, भगवान कुबेर की पूजा अर्चना भी करते हैं। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि अमावस्या का दिन वाकई में शुभ होता है।
अमावस्या 2022 तिथि के दिन लोग अपने जीवन में सुख समृद्धि की कामना, धन-धान्य की कामना, के लिए ढेरों उपाय करते हैं। तो आइए जानते हैं इस दिन किन उपायों को करके आप भी अपने जीवन में सुख समृद्धि का वरदान हासिल कर सकते हैं।
धन लाभ के लिए आप अमावस्या तिथि के दिन आटे की छोटी-छोटी लोईयां बनाकर इसे मछली को खिलाएं। अमावस्या के दिन मुमकिन हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान अवश्य करें। अमावस्या तिथि के दिन स्नान आदि करने के बाद हनुमान जी की पूजा करें, उन्हें लड्डुओं का भोग लगाएं और हनुमान बीज मंत्र का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जप करें। पूजा में उन्हें चमेली के तेल का दीपक जलाएं। अमावस्या तिथि के दिन जितना हो सके गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें। अमावस्या तिथि के दिन शनिदेव को तेल, काले तिल, काली उड़द की दाल और लोहे का दान किया जा सकता है। ऐसा करने से जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है।
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