अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 (Annaprashan Muhurat 2021) से आप जानेंगे कि आखिर शुभ मुहूर्त अनुसार वर्ष 2021 में कब करें अपने बच्चों का अन्नप्राशन संस्कार? हमारे इस लेख के द्वारा आपको अन्नप्राशन संस्कार के लिए सभी शुभ मुहूर्त की जानकारी के साथ-साथ, अन्नप्राशन संस्कार से होने वाले लाभ और इसका ज्योतिषीय महत्व भी जानने को मिलेगा। लेकिन अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 के बारे में जानने से पहले हमें यह अच्छी तरह से समझना होगा कि आख़िर हमें अन्नप्राशन मुहूर्त की आवश्यकता क्यों होती हैं।

सनातन धर्म के अनुसार, अन्नप्राशन संस्कार एक प्रकार से हमारी परंपराओं का ही हिस्सा है। हिंदू धर्म के सभी 16 संस्कारों का विशेष महत्व है और ये सभी संस्कार व्यक्ति के जीवन में अपनी एक ख़ास जगह रखते है। इन 16 संस्कारों में से अन्नप्राशन सप्तम संस्कार है। अन्नप्राशन’ संस्कृत का एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘अनाज का सेवन करने की शुरुआत’। इस संस्कार में माता-पिता पूरी विधि, पूजा संस्कार के साथ अपने बच्चे को अन्न खिलाने की शुरुआत करते हैं।
अन्नप्राशन संस्कार बच्चे को पहली बार चावल खिलाकर किया जाता है। इस संस्कार के बाद बच्चा, माँ के दूध के साथ-साथ ठोस खाद्य पदार्थ का सेवन करना भी शुरू कर देता है। अन्नप्राशन देश के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे पश्चिम बंगाल में इसे मुखेभात, केरल में चोरूणु, गढ़वाल में भातखुलाई और नेपाल में पासनी आदि। आसान शब्दों में कहें तो शिशु को अन्न खिलाने की शुरुआत को ही “अन्नप्राशन संस्कार” है। एक बच्चा लगभग 6 महीने तक मां के दूध पर ही निर्भर रहता है, छठे माह के बाद उसे पहली दफा अन्न ग्रहण कराने के लिए अन्नप्राशन संस्कार किए जाने का विधान है।
ऐसे में आज हम अपने इस लेख में आपको वर्ष 2021 के सभी अन्नप्राशन संस्कार के शुभ मुहूर्त की सूची नीचे दे रहे हैं। जिसे आप अपनी सुविधा अनुसार इस्तेमाल कर, अपने बच्चों के लिए अन्नप्राशन मुहूर्त के शुभ मुहूर्त का चयन कर सकते हैं।
| जनवरी अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 | |||
| दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
| 14 जनवरी | गुरुवार | 09:02 | 13:29 |
| 15 जनवरी | शुक्रवार | 07:15 | 13:25 |
| 18 जनवरी | सोमवार | 07:43 | 09:14 |
| 20 जनवरी | बुधवार | 07:14 | 13:06 |
| जनवरी अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 | |||
| दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
| 22 फरवरी | सोमवार | 06:53 | 10:58 |
| 25 फरवरी | गुरुवार | 06:51 | 13:17 |
| जनवरी अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 | |||
| दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
| 15 मार्च | सोमवार | 06:31 | 13:44 |
| 24 मार्च | बुधवार | 06:21 | 10:24 |
| जनवरी अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 | |||
| दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
| 19 अप्रैल | सोमवार | 05:52 | 16:04 |
| जनवरी अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 | |||
| दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
| 13 मई | गुरुवार | 05:32 | 14:29 |
| 14 मई | शुक्रवार | 05:31 | 14:25 |
| 17 मई | सोमवार | 05:29 | 11:35 |
| 24 मई | सोमवार | 11:12 | 16:02 |
| जनवरी अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 | |||
| दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
| 23 जून | बुधवार | 05:24 | 07:00 |
| 24 जून | गुरुवार | 13:50 | 16:20 |
| जनवरी अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 | |||
| दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
| 15 जुलाई | गुरुवार | 05:33 | 07:16 |
| 16 जुलाई | शुक्रवार | 06:06 | 14:53 |
| 22 जुलाई | गुरुवार | 05:37 | 12:45 |
| जनवरी अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 | |||
| दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
| 11 अगस्त | बुधवार | 09:32 | 15:23 |
| 13 अगस्त | शुक्रवार | 05:49 | 13:43 |
| 20 अगस्त | शुक्रवार | 05:53 | 14:54 |
| जनवरी अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 | |||
| दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
| 08 सितंबर | बुधवार | 06:03 | 13:40 |
| 09 सितंबर | गुरुवार | 06:03 | 13:36 |
| 13 सितंबर | सोमवार | 06:05 | 08:23 |
| 16 सितंबर | गुरुवार | 06:07 | 09:37 |
| जनवरी अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 | |||
| दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
| 08 अक्टूबर | शुक्रवार | 06:18 | 13:46 |
| 15 अक्टूबर | शुक्रवार | 06:22 | 13:18 |
| 18 अक्टूबर | सोमवार | 10:49 | 13:06 |
| 20 अक्टूबर | बुधवार | 07:41 | 12:59 |
| जनवरी अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 | |||
| दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
| 10 नवंबर | बुधवार | 08:25 | 13:18 |
| 11 नवंबर | गुरुवार | 06:41 | 06:50 |
| जनवरी अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 | |||
| दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
| 08 दिसंबर | बुधवार | 07:02 | 12:56 |
| 10 दिसंबर | शुक्रवार | 07:03 | 12:48 |
| 13 दिसंबर | सोमवार | 07:05 | 12:36 |
हिंदू धर्म के सभी 16 संस्कारों में से, अन्नप्राशन संस्कार को एक महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। जिसे बाल्यावस्था में ही यानी बच्चे के 6 महीने का हो जाने के बाद संपन्न किये जाने का विधान है। अन्नप्राशन संस्कार के पीछे ज्योतिष एवं वैज्ञानिक तथ्य दोनों ही बेहद महत्व रखते हैं, और उसी के अनुसार माना जाता है कि बच्चे को शुभ मुहूर्त में पहली बार अन्न ग्रहण कराना आवश्यक होता है।
विज्ञान की माने तो मां के गर्भ में बच्चा जो भोजन करता है, तो उसमें कुछ मलिन तत्व भी वह ग्रहण कर लेता है। ऐसे में उन सभी मलिन भोजन के दोष के निवारण और शिशु को शुद्ध भोजन कराने की प्रक्रिया को अन्नप्राशन संस्कार कहा गया है। वहीँ ज्योतिष में माना जाता है कि करीब 84 योनियों को भोगने के बाद ही हर किसी को मानव जन्म मिल पाता है। पहली बार किसी भी बच्चे का अन्नप्राशन एक विशेष समयावधि (मुहूर्त) अनुसार ही किया जाता है। बेहद शुभ माने जाने वाले अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 के दौरान, हवन या यज्ञ विधि के बाद बच्चे को पहली बार चावल के दाने खिलाये जाते हैं।
हिन्दू शास्त्रों में अन्न को प्रत्येक प्राणियों का प्राण कहा गया है। इस बात का उल्लेख गीता में भी है कि अन्न से ही व्यक्ति जीवित रहता है और अन्न से ही हमारे अंदर ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए अन्न का व्यक्ति के जीवन में सबसे ज़्यादा महत्व है। 6 माह की आयु तक मां का दूध ही बच्चे के लिए सबसे पौष्टिक भोजन माना जाता है। फिर इसके बाद बालक को अन्न ग्रहण करवाया जाता है, जिसके लिए अन्नप्राशन संस्कार का बहुत अधिक महत्व होता है।
अन्नप्राशन संस्कार खान-पान संबंधी दोषों को दूर करने के लिए शिशु के जन्म के 6-7 महीने बाद किया जाता है। माना जाता है कि इस संस्कार से बच्चों के बल, बुद्धि, स्वास्थ्य और पराक्रम में वृद्धि होती है। कुलमिलाकर कहें तो बालक को जब पेय पदार्थ यानि दूध आदि के अलावा अन्न देने की प्रक्रिया की जाती है तो उसे ही अन्नप्राशन संस्कार कहा जाता है।इस प्रक्रिया का शुभारम्भ यज्ञीय वातावरण युक्त धर्मानुष्ठान के रूप में किया जाता है।
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अन्नप्राशन संस्कार के लिए उचित शुभ मुहूर्त निकालना बेहद आसान है। इसे हम किसी ज्योतिषी विशेषज्ञ की मदद से भी निकलवा सकते हैं। हिन्दू पंचांग अनुसार, अन्नप्राशन करने के लिए शुभ नक्षत्र, शुभ तिथि, शुभ वार और शुभ लग्न का होना बेहद जरूरी होता है। ऐसे में पुरोहित इन्ही का सही आकलन कर मुहूर्त की गणना करते हैं।
अन्नप्राशन मुहूर्त 2021, बच्चे के जन्म के छह महीने के बाद से लेकर उसके पहले जन्मदिन के बीच में किसी भी दिन पड़ सकता है। इस दौरान पहली बार नवजात शिशु को ठोस अन्न ग्रहण करवाया जाता है। हालाँकि, कई धर्मग्रंथ बताते हैं कि एक लड़के के लिए अन्नप्राशन तिथि जो आपके द्वारा चुनी गई है, वह सम महीना होना चाहिए और लड़की के लिए विषम। इसके आधार पर एक नवजात लड़की का अन्नप्राशन उसके जन्म के सात महीने, नौ महीने या ग्यारहवें महीने में करना शुभ होता है। जबकि नवजात लड़के का अन्नप्राशन उसके जन्म के छठे, आठवें और दसवें महीने में किया जाना सही होता है।
अन्नप्राशन संस्कार के दौरान बच्चे को मामा की गोद में बिठाया जाता है। मामा ही उसे पहली बार अन्न खिलाते हैं। पहला निवाला खाने के बाद परिवार के बाकि सदस्य बच्चे को बारी-बारी से अन्न खिलाते हैं, दुआएँ देते हैं और बच्चे के लिए उपहार या पैसे देते हैं। इस संस्कार के समय बच्चे के सामने मिट्टी, सोने के आभूषण, कलम, किताब और खाना आदि रखा जाता है। बच्चा इनमें से जिसपर हाथ रखता है, उसी से उसके भविष्य का अनुमान लगाया जाता है। मान्यता है कि यदि बच्चा सोने के आभूषण पर हाथ रखे, तो वह भविष्य में धनवान रहेगा। अगर कलम पर बच्चा हाथ रखे, तो वह बुद्धिमान होगा। बच्चा ने अगर किताब पर हाथ रखा, तो वह सीखने में आगे रहेगा। यदि बच्चे ने मिट्टी पर हाथ रखा, तो उसके पास काफी संपत्ति होगी। और अगर बच्चा खाने पर हाथ रखता है, तो वह दयावान होगा।
आशा हैं कि “अन्नप्राशन मुहूर्त 2021”, का यह लेख आपके लिए बेहद उपयोगी सिद्ध होगा।
हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।
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