कर्णवेध संस्कार का हिन्दू धर्म में हमेशा से ही विशेष महत्व रहा है। भारत मान्यताओं का और संस्कारों का देश है। वैदिक हिंदू धर्म में कुल मिलाकर 16 संस्कार मुख्य रूप से माने गए हैं जिन्हें षोडश संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। ये सभी संस्कार मानव जीवन पर अमिट छाप डालते हैं। इन्ही संस्कारों में से एक है कर्णवेध संस्कार, जो मनुष्य के सुखी और सार्थक जीवन को सुनिश्चित करता है। इस संस्कार को कुछ लोग कान/कर्ण छेदन संस्कार के नाम से भी जानते हैं।
कर्णवेध मुहूर्त 2019 | ||||
दिनांक | वार | तिथि | नक्षत्र | समय |
02 जनवरी 2019 | बुधवार | द्वादशी | विशाखा नक्षत्र | 10:20 - 13 :13 14 :48 - 18 :58 |
03 जनवरी 2019 | गुरुवार | त्रयोदशी | अनुराधा नक्षत्र | 08 :34 - 11 :44 |
09 जनवरी 2019 | बुधवार | तृतीया | धनिष्ठा नक्षत्र | 07 :46 - 09 :53 11 :20 - 16 :16 |
13 जनवरी 2019 | रविवार | सप्तमी | उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र | 14 :05 - 18 :15 |
14 जनवरी 2019 | सोमवार | अष्टमी | रेवती नक्षत्र | 15 :56 - 18 :11 |
18 जनवरी 2019 | शुक्रवार | द्वादशी | रोहिणी नक्षत्र | 13 :45 - 15 :41 17 :55 - 19 :55 |
19 जनवरी 2019 | शनिवार | त्रयोदशी | मृगशिरा नक्षत्र | 07 :46 - 10 :41 |
21 जनवरी 2019 | सोमवार | पूर्णिमा | पुष्य नक्षत्र | 07 :45 - 11 :58 13 :33 - 20 :04 |
25 जनवरी 2019 | शुक्रवार | पंंचमी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र | 17 :28 - 18 :48 |
26 जनवरी 2019 | शनिवार | षष्टी | हस्ता नक्षत्र | 07 :43 - 08 :46 10 :13 - 15 :09 |
27 जनवरी 2019 | रविवार | सप्तमी | चित्रा नक्षत्र | 07 :43 - 10 :10 11 :34 - 15 :05 |
30 जनवरी 2019 | बुधवार | दशमी | अनुराधा नक्षत्र | 17 :08 - 19 :28 |
06 फरवरी 2019 | बुधवार | द्वितीया | धनिष्ठा नक्षत्र | 07 :38 - 09 :30 |
10 फरवरी 2019 | रविवार | पंंचमी | रेवती नक्षत्र | 07 :35 - 10 :39 12 :15 - 18 :45 |
11 फरवरी 2019 | सोमवार | षष्टी | अश्विनी नक्षत्र | 07 :43 - 12 :11 14 :06 - 18 :41 |
15 फरवरी 2019 | शुक्रवार | दशमी | मृगशिरा नक्षत्र | 08 :55 - 16 :05 |
17 फरवरी 2019 | रविवार | द्वादशी | पुनर्वसू नक्षत्र | 07 :29 - 08 :47 10 :12 - 18 :17 |
23 फरवरी 2019 | शनिवार | चतुर्थी | चित्रा नक्षत्र | 09 :48 - 15 :34 17 :54 - 19 :36 |
03 मार्च 2019 | रविवार | द्वादशी | उत्तराषाढ़ा नक्षत्र | 10 :52 - 12 :48 15 :02 - 19 :40 |
04 मार्च 2019 | सोमवार | त्रयोदशी | श्रवण नक्षत्र | 07 :48 - 12 :44 14 :58 - 17 :19 |
09 मार्च 2019 | शनिवार | तृतीया | रेवती नक्षत्र | 07 :28 - 08 :53 10 :28 - 16 :59 |
21 मार्च 2019 | गुरुवार | पूर्णिमा | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र | 16 :12 - 18 :29 |
22 मार्च 2019 | शुक्रवार | द्वितीया | हस्ता नक्षत्र | 06 :54 - 11 :33 13 :47 - 18 :25 |
23 मार्च 2019 | शनिवार | तृतीया | चित्रा नक्षत्र | 07 :58 - 11 :29 |
25 मार्च 2019 | सोमवार | पंंचमी | विशाखा नक्षत्र | 07 :32 - 07 :50 09 :26 - 15 :56 |
31 मार्च 2019 | रविवार | एकादशी | श्रवण नक्षत्र | 07 :27 - 10 :57 13 :12 - 19 :16 |
01 अप्रैल 2019 | सोमवार | द्वादशी | धनिष्ठा नक्षत्र | 07 :23 - 13 :08 15 :28 - 19 :53 |
05 अप्रैल 2019 | शुक्रवार | पूर्णिमा | उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र | 17 :30 - 19 :46 |
06 अप्रैल 2019 | शनिवार | प्रतिपदा | रेवती नक्षत्र | 10 :34 - 17 :26 |
07 अप्रैल 2019 | रविवार | द्वितीया | अश्विनी नक्षत्र | 06 :59 - 08 :34 |
10 अप्रैल 2019 | बुधवार | पंंचमी | रोहिणी नक्षत्र | 12 :33 - 19 :27 |
11 अप्रैल 2019 | गुरुवार | षष्टी | मृगशिरा नक्षत्र | 06 :43 - 12 :29 |
13 अप्रैल 2019 | शनिवार | अष्टमी | पुनर्वसू नक्षत्र | 08 :11 - 12 :21 |
19 अप्रैल 2019 | शुक्रवार | पूर्णिमा | चित्रा नक्षत्र | 06 :31 - 11 :57 14 :18 - 18 :51 |
27 अप्रैल 2019 | शनिवार | अष्टमी | श्रवण नक्षत्र | 07 :16 - 09 :11 11 :26 - 18 :20 |
2 मई 2019 | गुरुवार | त्रयोदशी | उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र | 15 :44 - 20 :20 |
9 मई 2019 | गुरुवार | पंंचमी | आर्द्रा नक्षत्र | 17 :33 - 19 :29 |
10 मई 2019 | शुक्रवार | षष्टी | पुनर्वसू नक्षत्र | 06 :25 - 11 :55 15 :12 - 19 :35 |
11 मई 2019 | शनिवार | सप्तमी | पुष्य नक्षत्र | 06 :21 - 12 :51 |
15 मई 2019 | बुधवार | एकादशी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र | 12 :35 - 17 :09 |
16 मई 2019 | गुरुवार | द्वादशी | हस्ता नक्षत्र | 06 :11 - 07 :57 10 :11 - 17 :05 |
19 मई 2019 | रविवार | प्रतिपदा | अनुराधा नक्षत्र | 07 :45 - 12 :20 14 :37 - 19 :13 |
24 मई 2019 | शुक्रवार | षष्टी | उत्तराषाढ़ा नक्षत्र | 09 :40 - 16 :34 |
26 मई 2019 | रविवार | सप्तमी | धनिष्ठा नक्षत्र | 07 :17 - 09 :32 11 :52 - 14 :09 |
30 मई 2019 | गुरुवार | एकादशी | रेवती नक्षत्र | 07 :02 - 11 :36 13 :54 - 18 :30 |
31 मई 2019 | शुक्रवार | द्वादशी | अश्विनी नक्षत्र | 06 :58 - 13 :50 16 :06 - 18 :26 |
06 जून 2019 | गुरुवार | तृतीया | पुनर्वसू नक्षत्र | 06 :34 - 08 :49 |
07 जून 2019 | शुक्रवार | चतुर्थी | पुष्य नक्षत्र | 08 :45 - 11 :05 13 :22 :18 :57 |
12 जून 2019 | बुधवार | दशमी | हस्ता नक्षत्र | 08 :25 - 15 :19 17 :38 - 18 :57 |
15 जून 2019 | शनिवार | त्रयोदशी | विशाखा नक्षत्र | 12 :51 - 15 :07 |
22 जून 2019 | शनिवार | पंंचमी | धनिष्ठा नक्षत्र | 07 :46 - 16 :59 |
27 जून 2019 | गुरुवार | नवमी | रेवती नक्षत्र | 07 :26 - 12 :04 14 :20 - 18 :45 |
28 जून 2019 | शुक्रवार | दशमी | अश्विनी नक्षत्र | 07 :22 - 09 :42 |
03 जुलाई 2019 | बुधवार | प्रतिपदा | आर्द्रा नक्षत्र | 09 :23 - 16 :16 |
04 जुलाई 2019 | गुरुवार | द्वितीया | पुष्य नक्षत्र | 06 :59 - 09 :19 11 :36 - 18 :31 |
13 जुलाई 2019 | शनिवार | द्वादशी | अनुराधा नक्षत्र | 06 :23 - 08 :43 11 :01 - 17 :55 |
19 जुलाई 2019 | शुक्रवार | द्वितीया | धनिष्ठा नक्षत्र | 07 :25 - 12 :53 15 :13 - 19 :36 |
24 जुलाई 2019 | बुधवार | सप्तमी | रेवती नक्षत्र | 06 :09 - 08 :00 10 :18 - 18 :35 |
25 जुलाई 2019 | गुरुवार | अष्टमी | अश्विनी नक्षत्र | 07 :17 - 10 :14 12 :30 - 18 :08 |
29 जुलाई 2019 | सोमवार | द्वादशी | मृगशिरा नक्षत्र | 07 :41 - 14 :34 16 :52 - 18 :51 |
01 अगस्त 2019 | गुरुवार | पूर्णिमा | पुष्य नक्षत्र | 09 :46 - 14 :22 |
05 अगस्त 2019 | सोमवार | पंंचमी | हस्ता नक्षत्र | 07 :13 - 11 :47 14 :06 - 18 :29 |
09 अगस्त 2019 | शुक्रवार | नवमी | अनुराधा नक्षत्र | 11 :31 - 16 :09 |
15 अगस्त 2019 | गुरुवार | पूर्णिमा | श्रवण नक्षत्र | 06 :34 - 11 :07 13 :27 - 18 :29 |
16 अगस्त 2019 | शुक्रवार | प्रतिपदा | धनिष्ठा नक्षत्र | 07 :39 - 13 :23 |
21 अगस्त 2019 | बुधवार | षष्टी | अश्विनी नक्षत्र | 06 :24 - 08 :27 10 :44 - 17 :26 |
25 अगस्त 2019 | रविवार | नवमी | मृगशिरा नक्षत्र | 12 :48 - 18 :52 |
28 अगस्त 2019 | बुधवार | त्रयोदशी | पुष्य नक्षत्र | 08 :00 - 14 :54 16 :58 - 18 :41 |
1 सितम्बर 2019 | रविवार | द्वितीया | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र | 12 :20 - 18 :25 |
5 सितम्बर 2019 | गुरुवार | सप्तमी | अनुराधा नक्षत्र | 17 :28 - 14 :23 16 :27 - 18 :09 |
11 सितम्बर 2019 | बुधवार | त्रयोदशी | श्रवण नक्षत्र | 07 :05 - 09 :21 11 :41 - 17 :46 |
29 सितम्बर 2019 | रविवार | प्रतिपदा | हस्ता नक्षत्र | 06 :44 - 08 :10 10 :30 - 16 :35 18 :02 - 19 :27 |
30 सितम्बर 2019 | सोमवार | द्वितीया | चित्रा नक्षत्र | 06 :58 - 10 :26 12 :45 - 17 :58 |
2 अक्टूबर 2019 | बुधवार | चतुर्थी | विशाखा नक्षत्र | 14 :41 - 19 :15 |
3 अक्टूबर 2019 | गुरुवार | पंंचमी | अनुराधा नक्षत्र | 06 :46 - 12 :33 |
13 अक्टूबर 2019 | रविवार | पूर्णिमा | उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र | 15 :40 - 18 :32 |
14 अक्टूबर 2019 | सोमवार | प्रतिपदा | रेवती नक्षत्र | 17 :11 - 13 :54 15 :36 - 18 :28 |
19 अक्टूबर 2019 | शनिवार | पंंचमी | मृगशिरा नक्षत्र | 06 :55 - 09 :11 11 :30 - 16 :44 |
21 अक्टूबर 2019 | सोमवार | सप्तमी | पुनर्वसू नक्षत्र | 07 :14 - 09 :03 11 :22 - 18 :01 |
26 अक्टूबर 2019 | शनिवार | त्रयोदशी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र | 11 :02 - 14 :49 16 :16 - 17 :41 |
30 अक्टूबर 2019 | बुधवार | तृतीया | अनुराधा नक्षत्र | 07 :02 - 10 :47 12 :51 - 17 :25 |
4 नवंबर 2019 | सोमवार | अष्टमी | श्रवण नक्षत्र | 17 :06 - 1841 |
10 नवंबर 2019 | रविवार | त्रयोदशी | रेवती नक्षत्र | 07 :45 - 10 :03 12 :07 - 16 :42 |
15 नवंबर 2019 | शुक्रवार | तृतीया | मृगशिरा नक्षत्र | 07 :25 - 09 :44 |
17 नवंबर 2019 | रविवार | पंंचमी | पुनर्वसू नक्षत्र | 09 :36 - 14 :50 16 :15 - 18 :52 |
18 नवंबर 2019 | सोमवार | षष्टी | पुष्य नक्षत्र | 07 :17 - 09 :32 11 :36 - 16 :11 |
22 नवंबर 2019 | शुक्रवार | दशमी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र | 17 :30 - 19 :26 |
23 नवंबर 2019 | शनिवार | द्वादशी | हस्ता नक्षत्र | 07 :21 - 12 :59 14 :26 - 19 :22 |
24 नवंबर 2019 | रविवार | त्रयोदशी | चित्रा नक्षत्र | 09 :08 - 14 :22 |
27 नवंबर 2019 | बुधवार | प्रतिपदा | अनुराधा नक्षत्र | 07 :24 - 08 :57 |
01 दिसंबर 2019 | रविवार | पंंचमी | उत्तराषाढ़ा नक्षत्र | 10 :45 - 12 :27 13 :55 - 18 :50 |
02 दिसंबर 2019 | सोमवार | षष्टी | श्रवण नक्षत्र | 07 :28 - 12 :23 13 :51 - 18 :46 |
07 दिसंबर 2019 | शनिवार | एकादशी | रेवती नक्षत्र | 07 :32 - 08 :17 10 :21 - 14 :56 16 :31 - 18 :27 |
08 दिसंबर 2019 | रविवार | एकादशी | अश्विनी नक्षत्र | 12 :00 - 16 :27 |
12 दिसंबर 2019 | गुरुवार | पूर्णिमा | मृगशिरा नक्षत्र | 07 :35 - 11 :44 13 :11 - 18 :07 |
14 दिसंबर 2019 | शनिवार | द्वितीया | पुनर्वसू नक्षत्र | 07 :50 - 13 :04 14 :28 - 20 :14 |
29 दिसंबर 2019 | रविवार | तृतीया | श्रवण नक्षत्र | 07 :44 - 10 :37 12 :05 - 13 :29 |
30 दिसंबर 2019 | सोमवार | चतुर्थी | धनिष्ठा नक्षत्र | 15 :01 - 19 :11 |
भारतीय हिन्दू समाज में आदिकाल से ही विभिन्न प्रकार के संस्कारों का बहुत महत्व रहा है। शुरुआत में संस्कार चालीस प्रकार के थे, जो समय के साथ-साथ क्रमश:/कम होते गए और आखिरकार आज सोलह संस्कारों को ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इनमें गर्भाधान संस्कार सबसे पहला और मृत्यु के बाद किया जाने वाला अंतिम संस्कार, आखिरी माना जाता है। मानव जीवन को हर स्तर पर बेहतर बनाने के लिए ही इन संस्कारों को निर्मित किया गया। वैज्ञानिक और आध्यात्मिक आधार पर बनाये गए ये संस्कार आज भी प्रासंगिक हैं।
पुराने जमाने में कर्णछेदन करवाना सभी के लिए अनिवार्य था, ऐसे में ब्राह्मण और वैश्य का कर्णवेधन चाँदी की सुई से और क्षत्रिय और समृद्ध लोगों का कर्णवेधन सोने की सुई से और शूद्र का कर्णवेधन लोहे की सुई से किया जाता था। आजकल नाक-कान छिदवाने का काम मशीन से भी किया जाता है, जो पहले की अपेक्षा सरल और जल्दी हो जाता है। कर्णवेध संस्कार का महत्व इस बात से आँका जा सकता है कि पुराने ज़माने में यह भी माना जाता था कि जिस व्यक्ति का कर्णवेधन संस्कार नहीं हुआ हो, वह अपने किसी भी प्रियजन की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार करने का भी अधिकारी नहीं माना जाता था।
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार कर्णवेधन करने का सही समय बालक के जन्म के तीसरे या पाँचवें वर्ष में है, लेकिन आजकल लोग कभी भी और कहीं भी कान छिदवा लेते हैं, जबकि वास्तव में ऐसा करना उचित नहीं है। कोई भी शुभ कार्य करने से पहले शुभ मुहूर्त जरूर निकाला जाता है, ताकि शुभ समय का अधिकाधिक लाभ उठाया जा सके। कर्णवेधन संस्कार भी मुहूर्त निकलवाकर ही किया जाना चाहिए क्योंकि सही समय पर कर्णवेधन करना, शरीर के साथ-साथ भविष्य के लिए भी अच्छा होता है। इसके अतिरिक्त अपने कुल गुरु, कुल पुरोहित अथवा अपनी वंश परंपरा के अनुसार आप किसी तीर्थ स्थल पर, मंगल कार्यों के अवसर पर तथा विभिन्न पर्वों पर चंद्र, ताल एवं लगन बल का विचार करके भी कर्णवेध संस्कार संपन्न कर सकते हैं।
कान छिदवाने के कई लाभ हैं, लेकिन कान छिदवाने से सम्बंधित कुछ सावधानियां भी हैं, जिनका ध्यान रखा जाना चाहिए:
हिन्दू धर्म का कोई भी संस्कार अकारण ही नहीं बनाया गया है। हर संस्कार अपना एक विशेष महत्व रखता है और हर संस्कार के पीछे हमारे पूर्वजों की सटीक और वैज्ञानिक सोच है। कर्णवेधन या कान छिदवाना आज के समय में एक फैशन स्टेटमेंट बन गया है। कई लोग जिनमें लड़के और लड़कियाँ दोनों ही शामिल हैं, अपने कान कई जगह से छिदवा लेते हैं और उसमें तरह-तरह की ज्यूलरी पहनना पसंद करते हैं, लेकिन असल में यह ठीक नहीं है। सही तरीके से और शुभ समय में कान छिदवाना जहाँ कई शारीरिक व्याधियों से बचाता है और बुद्धिमत्ता को बढ़ाता है, वहीं असमय और मनचाहे तरीके से कान छिदवाना कई परेशानियो का कारण भी बन सकता है। इसलिए कर्णवेधन का महत्व समझें और इसे नियमानुसार ही करवाएं।
हम आशा करते हैं कि कर्णवेध संस्कार के बारे में हमारा लेख काफी हद तक आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा और इसके माध्यम से आप कर्णवेध संस्कार को सही मुहूर्त में करवा कर विभिन्न प्रकार की परेशानियों से बचेंगे और जीवन में उन्नति करेंगे।
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