हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने की शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन आकाश में चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में होता है। पूर्णिमा का भारतीय लोगों के जीवन में अपना एक अलग ही महत्व होता है। हर महीने में आने वाली पूर्णिमा को कोई न कोई व्रत या त्यौहार ज़रूर मनाया जाता है।
पूर्णिमा का यह शुभ दिन विस्तार से संबंधित है, और यह आपके भीतर निहित गुणवत्ता को बढ़ाता है। इसी वजह के चलते पूर्णिमा के दिन को हिन्दू धर्म में बेहद ही ख़ास दिन माना गया है। इस दिन दान, धर्म के साथ-साथ व्रत करने की भी मान्यता है। बहुत से लोग इस दिन तीर्थ स्थल के दर्शन, स्नान और दान-धर्म के लिए कार्तिक, वैशाख और माघ महीने की पूर्णिमा को बहुत शुभ मानते हैं। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होने की वजह से पूर्णिमा के दिन कई लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उनकी कथा सुनते हैं और पूजा आदि भी रखते हैं।
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पूर्णिमा के दिन लोग सुबह उठते ही पूजा-ध्यान इत्यादि में मन लगाते हैं, और जैसे-जैसे शाम का समय करीब आता है और फिर रात में चंद्रमा अपने चरम पर होता है, तब तक इंसान पूरी तरह से सकारात्मक और ध्यान में रहते हैं, और तब चंद्रमा की पूजा से हमें श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा को मानव के लिए बहुत लाभकारी माना गया है। इस दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपने पूरे रूप में होता है इस वजह से उसका असर सीधे जातक के मन पर पड़ता है। यही वजह है कि हिन्दू धर्म में पूर्णिमा के दिन पूजा-पाठ करने का विशेष महत्व बताया गया है। और यही कारण है कि भारत में हर पूर्णिमा को किसी न किसी तरह के त्योहार के रूप में बड़े ही धूम-धाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
तो आइये जानते हैं साल 2021 में पड़ने वाली पूर्णिमा की तिथियाँ और पूर्णिमा व्रत से जुड़ी संपूर्ण जानकारी।
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हिन्दू कैलेंडर में तिथियों का निर्धारण चंद्रमा की गति को आधार बना कर किया गया है। जिस दिन चंद्रमा अपने पूरे आकार में होता है उस दिन को पूर्णिमा कहते है। पूर्णिमा के दिन अनेक घरों में भगवान सत्य-नारायण की पूजा और कथा किये जाने का विधान है। लोग इस दिन पूजा-व्रत आदि करते हैं और भगवान से मनोकामनाएं मांगते हैं।
यहाँ हम आपको साल 2021 में पड़ने वाली प्रत्येक पूर्णिमा की एक सूची प्रदान कर रहे हैं।
| पूर्णिमा व्रत | तारीख़ | दिन |
| पौष पूर्णिमा व्रत 2021 | 28 जनवरी, 2021 | गुरुवार |
| माघ पूर्णिमा व्रत 2021 | 27 फरवरी, 2021 | शनिवार |
| फाल्गुन पूर्णिमा व्रत 2021 | 28 मार्च, 2021 | रविवार |
| चैत्र पूर्णिमा व्रत 2021 | 26 अप्रैल, 2021 | सोमवार |
| वैशाख पूर्णिमा व्रत 2021 | 26 मई, 2021 | बुधवार |
| ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 2021 | 24 जून , 2021 | गुरुवार |
| आषाढ़ पूर्णिमा व्रत 2021 | 24 जुलाई, 2021 | शुक्रवार |
| श्रावण पूर्णिमा व्रत 2021 | 22 अगस्त, 2021 | रविवार |
| भाद्रपद पूर्णिमा व्रत 2021 | 20 सितम्बर, 2021 | सोमवार |
| आश्विन पूर्णिमा व्रत 2021 | 20 अक्टूबर, 2021 | बुधवार |
| कार्तिक पूर्णिमा व्रत 2021 | 19 नवंबर, 2021 | शुक्रवार |
| मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत 2021 | 19 दिसम्बर, 2021 | रविवार |
यह पूर्णिमा 2021 की सभी तिथियों की पूरी सूची है। इन पूर्णिमा 2021 (पूर्णिमा 2021) तिथियों को व्रत रखना बहुत ही शुभ माना जाता है। आइए अब जानें पूर्णिमा व्रत रखने के महत्व और इससे मिलने वाले फल के बारे में।
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पूर्णिमा के दिन व्रत रखने का विशेष महत्व बताया गया है क्योंकि इस दिन का व्रत समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करता है साथ ही हमें अनजाने में भी हुए पापों से छुटकारा भी दिलाता है। कई पूर्णिमा व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होते हैं। पूर्णिमा का यह दिन, जिसे भारत में कई जगहों पर पूरनमासी के नाम से भी जाना जाता है, काफी महत्वपूर्ण होता है, और हर पूर्णिमा पर कोई न कोई त्यौहार या अवसर मनाये जाना इस दिन की महत्वता को कई गुना बढ़ा देते हैं।
बहुत से लोग पूर्णिमा के दिन पूरा दिन का उपवास रखते हैं, जो सुबह जल्दी शुरू होता है और रात में चंद्रमा को देखने के बाद ही पूरा होता है। पूर्णिमा के दिन 2021, लोग अपने विभिन्न रूपों और अवतारों में भगवान विष्णु की प्रार्थना करते हैं ताकि उनसे आशीर्वाद और सौभाग्य मिल सके। वैदिक ज्योतिष तथा प्राचीन शास्त्रों मत में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। इसीलिए चंद्रमा के अपने पूरे रूप में होने की वजह से उसका असर सीधे जातक के मन पर पड़ता है।
इस दिन के बारे में ऐसा भी माना जाता है कि जब कोई भी इन्सान पूर्ण चंद्र 2021 या पूर्णिमा 2021 उपवासों का पालन करता है, तो यह व्रत उस इंसान के मन पर पड़ने वाले चंद्रमा के इन प्रभावों को कम करने या उन्हें पूरी तरह से ख़त्म करने में मदद करता है। इसलिए पूर्णिमा का व्रत विशेष रूप से करना चाहिए और पूर्णिमा से आरोग्य, धन और समृद्धि के रूप में आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
यूँ तो पूर्णिमा के व्रत का कोई अलग से नियम नहीं निर्धारित किया गया है, हाँ लेकिन अगर कोई भी इंसान पूर्णिमा का व्रत रखने के बारे में सोच रहा है तो, कुछ ऐसी महत्वपूर्ण बातें अवश्य बताई गई हैं जिनका पूर्णिमा 2021 के व्रत को रखते समय ध्यान रखना बेहद ज़रूरी होता है। इन नियमों का सदियों से पालन किया जा रहा है। अब वो कौन से नियम हैं जिनका पूर्णिमा व्रत- या इस दिन की पूजा में ध्यान रखना चाहिए, आइये हम आपको बताते हैं।
पूर्णिमा के दिन लोग जल्दी सुबह उठकर, सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी या घाट या किसी तीर्थ स्थान पर जा कर स्नान करने से सारे पाप मिट जाते हैं। हालाँकि अगर आप किसी पवित्र जगह पर स्नान करने नहीं जा सकते हैं तो, आपको पूर्णिमा 2021 के दिन, नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिला लें और पवित्र नदियों का नाम लेते हुए स्नान कर सकते हैं।
नहाते समय इस मंत्र का उच्चारण अवश्य करें,
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती !! नर्मदे सिंधु कावेरि जल अस्मिन्न सन्निधिं कुरु !!
इस दिन आप अपनी श्रद्धा के अनुसार भगवान शिव या भगवान विष्णु किसी की भी पूजा कर सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि पूर्णिमा व्रत की पूजा करने के लिए कोई विशेष विधान निर्धारित नहीं किया गया है। पूर्णिमा के दिन कई लोग भगवान सत्यनारायण की कथा और पूजा आदि भी रखते हैं।
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इस दिन का व्रत बिना कुछ खाए-पिए रहा जाता है। हालाँकि अगर व्रत रखने वाला जातक चाहे तो वो किसी एक पहर फलाहार भोजन भी कर सकता है। लेकिन यहाँ ध्यान देने वाली बात है की इस दिन के व्रत में किसी भी तरह का अन्न और नमक वर्जित होता है।
पूर्णिमा का उपवास सूर्योदय के साथ शुरू होता है और चंद्र दर्शन के साथ समाप्त होता है।
बहुत से लोग इस दिन विशेष प्रसाद भी तैयार करते हैं, जिसे आटे और चीनी से तैयार किया जाता है, जिसे पंजीरी कहते हैं। इसके साथ ही इस दिन प्रसाद में चरणामृत भी तैयार किया जाता है। चरणामृत दूध, गंगाजल, शहद, तुलसी की पत्ती और दही से मिलाकर बनाया जाता है।
जो लोग इस दिन का व्रत रखते हैं, वो शाम के समय चंद्रमा के उदय के बाद चंद्रमा का दर्शन, पूजा, इत्यादि करते हैं और अपने जीवन में सुख-शन्ति-समृद्धि की कामना के लिए मनोकामना मांगते हैं।
पूजा समाप्त करने के बाद लोग हल्का भोजन करते हैं और अपने व्रत का समापन करते हैं। हालाँकि ध्यान रहे कि इस दिन आपको नमक का सेवन भूल से भी नहीं करना है।
तो यहाँ हमने आपको पूर्णिमा व्रत 2021 की पूजा में किये जाने वाले सरल और सटीक विधानों के बारे में जानकारी दे दी है। ऐसे में इन नियमों का पालन कर के आप भी पूर्णिमा के दिन पूजन-उपवास करें और चंद्र देव आपकी सभी मनोकामनाओं को अवश्य पूरा करेंगे।
जहां तक वैदिक ज्योतिष का संबंध है, पूर्णिमा के दिन पैदा हुए लोगों के संबंध में कई ज्योतिषियों की अलग-अलग धारणा होती है। हालांकि जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हर महीने की पूर्णिमा का दिन देवताओं के जन्म या उनके विभिन्न अवतारों के अवतरण से जुड़ा होता है, इसलिए सर्वसम्मति से पूर्णिमा के इस दिन को सबसे अच्छा दिन माना जाना चाहिए। बावजूद इसके कई ऐसे ज्योतिषी भी हैं जिनकी राय इस दिन के बारे में एकदम अलग और विपरीत है। हालांकि अभी भी कई लोग इसे जन्म के लिहाज़ से बहुत अच्छे दिन के रूप में मानते हैं।
तो, आइए ज्योतिषियों के विभिन्न दृष्टिकोणों को जानने की कोशिश करते हैं और साथ ही जानते हैं की यदि आप भी पूर्णिमा के दिन पैदा हुए हैं तो आपके बारे में उनकी क्या राय है।
पूर्णिमा 2021 के दिन जन्मे लोग चंचल स्वाभाव के हो सकते हैं, पूर्णिमा यानी कि वो दिन जब चन्द्र देवता पूर्ण रूप में दिखाई देते हैं। लेकिन चन्द्रमा का संबंध व्यक्ति के मन से है जिसका ये अर्थ होता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन जन्म लेता है उसके मन पर चन्द्र का पूरा प्रभाव पड़ता है। कई ज्योतिषी मानते हैं कि पूर्णिमा के दिन पैदा हुए लोग व्यवहार में चंचल, संवेदनशील और भावनात्मक होते हैं।
इसके अलावा पूर्णिमा के दिन पैदा हुए लोगों की सुनने और बात करने की क्षमता काफी अच्छी होती है, यहां तक कि ऐसे लोग बहुत अच्छे मध्यस्थ भी हो सकते हैं क्योंकि उनमें आसानी से दूसरों की भावनाओं को समझने का हुनर मौजूद होता है। वे सहानुभूति से भरे होते हैं।
चंद्रमा कल्पना, रचनात्मकता और अंतर्ज्ञान को शासित करने वाला ग्रह माना गया है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा 2021 के दिन पैदा होने वाले लोग अंतर्ज्ञान, अंतर्दृष्टि और रचनात्मकता से परिपूर्ण होते हैं, और उनकी यह खूबी उन्हें उनके जीवन में उच्च स्थिति और मुकाम तक पहुंचने में मददगार साबित होती है।
पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले लोग बेहद आकर्षक और सुंदर होते हैं।
पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले लोग जीवन भर सफलता, धन और समृद्धि का आनंद उठाते हैं।
पूर्णिमा 2021 के दिन जन्म लेने वाले लोग दूसरों के साथ अच्छी समझ बनाकर काम करने में सक्षम होते हैं क्योंकि वो दूसरों की बात से आराम से सहमत और सहयोगी साबित होते हैं।
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तो यह हैं ज्योतिषियों की पूर्णिमा 2021 के दिन पैदा हुए लोगों के बारे में अलग-अलग राय या व्याख्यान। हालांकि, इनमें से कई दृष्टिकोण हमेशा सही नहीं होते हैं, वैदिक या हिंदू मान्यताओं और मिथकों के अनुसार पूर्णिमा 2021 का अपना महत्व बताया गया है। इसलिए, पूर्णिमा 2021 के दिन भगवान लक्ष्मी, भगवान विष्णु से खुद के अच्छे स्वास्थ्य, धन और समृद्धि का आशीर्वाद देने के लिए प्रार्थना अवश्य करें। साथ ही नीचे कुछ मन्त्र दिए जा रहे हैं हैं, इन मंत्रों का जाप पूर्णिमा 2021 के दौरान भी किया जाना चाहिए।
जानिए कौन-कौन से हैं वो मंत्रमहामृत्युंजय मंत्र बहुत ही शुभ माना जाता है, इसलिए भगवान शिव से आशीर्वाद पाने के लिए पूर्णिमा 2021 के दौरान इस मंत्र का जाप अवश्य करें।
माना जाता है कि, पूर्णिमा के दिन इन दोनों मन्त्रों का, या इनमें से किसी भी एक मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के कष्टों और दुखों से छुटकारा मिलता है और उनकी समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इसके अलावा पूर्णिमा के दिन की पूजा में देवी महालक्ष्मी की स्तुति में "श्री सूक्तम" का पाठ करने से इन्सान को समस्त लाभ मिलता और सभी ,मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है।
नवरात्रि पर हम देवी के जिन नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं, उनमें से एक देवी, देवी महागौरी को चंद्रमा से संबंधित माना जाता है, इसलिए पूर्णिमा के दिन उनकी पूजा करने से भी इंसान को शुभ फल मिलते हैं।
जैसा कि पूर्णिमा के दिन को बेहद ही शुभ माना गया है, ऐसे में आइए अब पूर्णिमा 2021 पूजा करने के सकारात्मक प्रभावों के बारे में बात करते हैं।
पूर्णिमा व्रत को सत्यनारायण व्रत या पूजा के रूप में भी जाना जाता है, और जो कोई भी इंसान इसे पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करता है उसके लिए यह व्रत-पूजा धन, स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करने वाली साबित होती है।
पूर्णिमा व्रत 2021 केवल पूर्णिमा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कई लोग विशेष अवसरों पर और महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठानों से पहले भी इस पूजा को करते हैं। कई लोग शादी से पहले, नए घर में शिफ्ट होने के समय, या किसी बड़े काम को पूरा करने के बाद पूर्णिमा 2021 पूजा या व्रत कथा करते हैं।
पूर्णिमा उपवास 2021 के बारे में लोगों के बीच ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से इंसान के शरीर पर कई सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। उपवास के माध्यम से हमारे मन और शरीर को आराम मिलता है और जब इसमें पूजा और आध्यात्म की भावना जुड़ जाती है तो यह हमारी भावनाओं को फिर से जीवंत करने और ताज़ा करने में मदद करता है। ऐसे में यह हमारे पूरे शरीर पर साकारात्मक प्रभाव डालता है। साथ ही पूर्णिमा पूजा और उपवास से इन्सान को सुख-समृद्धि, धन, स्वास्थ्य का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
जैसा कि हमने पहले भी चर्चा की है, पूर्णिमा 2021 भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों से संबंधित है और लोग उन्हें इस दिन प्रार्थना और दान देकर मनाते हैं। पूर्णिमा का यह दिन किसी बात की नई शुरुआत, और शुभ काम को करने के लिए के लिए बेहद ही शुभ माना जाता है।
और सबसे ज्यादा गौर करने वाली बता यह है कि पूर्णिमा का यह पूजन-उपवास केवल भारत के उत्तरी हिस्से तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दक्षिण भारत में भी इस दिन को बहुत ही उत्साह और हर्ष के साथ मनाया जाता है। वहाँ इस दिन को देवी गायत्री के स्मरण के रूप में पूरणमणि व्रतम के नाम से मनाया जाता है। पूर्णिमा समारोह के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि "आषाढ़ पूर्णिमा" 2021 जिसे "गुरु पूर्णिमा" 2021 भी कहा जाता है, न केवल पारंपरिक वैदिक परिवारों में भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है, बल्कि बौद्ध और जैन धर्मों की संस्कृतियों में भी इसे पूरी श्रद्धा के साथ मनाये जाने का विधान है।
पूर्णिमा के दिन को एक और बात जो बेहद ख़ास बनाती है उसके मुताबिक, जैसे चंद्रमा पूर्णिमा के दौरान पृथ्वी का अपना पूरा चक्र पूरा करता है और अपने मूल बिंदु पर वापिस पहुंच जाता है, जो यह संदेश देता है कि, चाँद की ही तरह इंसानों को भी अपने अंदर से किसी भी तरह की नकारात्मकता को दूर कर के पूर्णिमा तिथि के साथ नए सिरे से शुरू शुरुआत करनी चाहिए। ऐसे में इस दिन हर इंसान को तपस्या करनी चाहिए और स्वास्थ्य, धन और समृद्धि प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु या भगवान शिव की प्रार्थना करनी चाहिए। भगवान हमें हमारी बाधाओं से लड़ने और हमारी रक्षा करने की शक्ति प्रदान करें।
हम आशा करते हैं कि पूर्णिमा पर लिखा गया हमारा यह विशेष आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हो। एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका शुक्रिया। हम उम्मीद करते हैं कि यह नया साल आपके लिए ढेरों खुशियाँ लेकर आये।
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