कर्णवेध मुहूर्त 2021 (Karnavedha Muhurat 2021) - कर्णवेध संस्कार हिन्दू धर्म के 16 संस्कारों में से एक है, जिसे शुभ मूहर्त में संपन्न किया जाना चाहिए। इस लेख में हम आपके लिए वर्ष 2021 में पड़ने वाले कर्णवेध संस्कार के सभी मूहूर्त की पूरी सूची प्रदान कर रहें हैं। आप अपनी सुविधा के अनुसार कर्णवेध मुहूर्त को चुनकर इस संस्कार की विधि को संपन्न कर सकते हैं। कर्णवेध मुहूर्त 2021 के अलावा हम यहाँ आपको कर्णवेध संस्कार के बारे में विस्तार से जानकारी भी देंगे, जिससे आपको इस शुभ कार्य करवाते समय किसी प्रकार की कोई परेशानी ना आये।
सनातन संस्कृति के अनुसार जब भी किसी हिन्दू परिवार में बच्चा जन्म लेता है, तो उसके कुछ दिनों बाद बच्चे के कान को छेदने की परंपरा है। कान छेदने की इस परंपरा को वैदिक शास्त्रों में एक व्यवस्था के साथ की जाती है, जिसे कर्णवेध संस्कार के नाम से जाना जाता है। 16 संस्कारों में यह संस्कार नौवां है।
कर्णवेध “कर्ण” और “वेध” दो शब्दों को मिलाकर बनाकर बना है, जिसमें “कर्ण” अर्थात कान और “वेध” शब्द का अर्थ होता है छेदना। मान्यता है कि बिना कर्णवेध संस्कार के कोई व्यक्ति श्राद्ध कर्म नहीं कर सकता है। इस संस्कार से श्रवण शक्ति बढ़ती है, साथ ही कान में आभूषण पहनने एवं स्वास्थ्य लाभ के लिए भी यह किया जाता है। खासतौर पर कन्याओं के लिए यह संस्कार बेहद आवश्यक माना जाता है।
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हम सभी जानते हैं कि परिवर्तन संसार का नियम है और इस नियमानुसार चीज़ों में भी समय के साथ बदलाव आता है। यह बदलाव हमारी उन परम्पराओं में भी हुए हैं जो सनातन काल से चली आ रही हैं। इसलिए लोग कर्णवेध संस्कार भी शुभ मुहूर्त यानि शुभ समय का भी विचार किए बिना ही अपने-अपने तरीके से करने लगे हैं। लेकिन शास्त्रों में कहा गया है कि उदेश्य की प्राप्ति के लिए किसी भी शुभ काम को एक निश्चित मुहूर्त में ही किया जाना चाहिए। चूँकि कर्णभेद हिन्दू संस्कारों में एक महत्वपूर्ण संस्कार है। इसलिए इसे शुभ मुहूर्त में ही संपन्न करना चाहिए।
नीचे दी गई तालिका को देखकर आप अपनी सुविधानुसार कर्णवेध संस्कार के लिए सही मुहूर्त का चयन कर सकते हैं।
जनवरी कर्णवेध मुहूर्त 2021 | |||
दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
1/1/2021 | शुक्रवार | 8:40 से 13:15 तक | |
14:50 से 19:00 तक | |||
6/1/2021 | बुधवार | 07:46 से 10:03 तक | |
11:30 से 16:26 तक | |||
9/1/2021 | शनिवार | 14:18 से 18:29 तक | |
10/1/2021 | रविवार | 08:05 से 12:39 तक | |
14/01/2021 | गुरुवार | 07:46 से 09:31 तक | |
10:59 से 15:54 तक | |||
15/01/2021 | शुक्रवार | 07:46 से 09:27 तक | |
10:55 से 15:50 तक | |||
20/01/2021 | बुधवार | 07:45 से 12:00 तक | |
21/01/2021 | गुरुवार | 09:04 से 13:31 तक | |
15:27 से 17:41 तक | |||
25/01/2021 | सोमवार | 07:44 से 08:48 तक | |
10:15 से 17:26 तक | |||
28/01/2021 | गुरुवार | 14:59 से 19:34 तक |
फरवरी कर्णवेध मुहूर्त 2021 | |||
दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
3/2/2021 | बुधवार | 07:39 से 08:13 तक | |
09:40 से 16:50 तक | |||
6/2/2021 | शनिवार | 09:28 से 10:53 तक | |
12:28 से 18:59 तक | |||
12/2/2021 | शुक्रवार | 07:37 से 09:05 तक | |
10:30 से 16:15 तक | |||
17/02/2021 | बुधवार | 07:29 से 11:45 तक | |
13:41 से 18:16 तक | |||
21/02/2021 | रविवार | 18:00 से 20:17 तक | |
22/02/2021 | सोमवार | 07:24 से 08:25 तक | |
09:50 से 13:21 तक | |||
24/02/2021 | बुधवार | 07:39 से 09:42 तक | |
11:18 से 17:48 तक | |||
25/02/2021 | गुरुवार | 07:21 से 09:38 तक | |
11:14 से 15:24 तक |
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मार्च कर्णवेध मुहूर्त 2021 | |||
दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
1/3/2021 | सोमवार | 09:23 से 12:53 तक | |
15:08 से 19:41 तक | |||
5/3/2021 | शुक्रवार | 10:42 से 17:13 तक | |
10/3/2021 | बुधवार | 07:22 से 12:18 तक | |
14:33 से 19:10 तक | |||
11/3/2021 | गुरुवार | 07:19 से 14:29 तक | |
15/03/2021 | सोमवार | 07:03 से 08:28 तक | |
10:03 से 16:33 तक | |||
29/03/2021 | सोमवार | 07:33 से 11:03 तक | |
13:18 से 18:23 तक |
अप्रैल कर्णवेध मुहूर्त 2021 | |||
दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
1/4/2021 | गुरुवार | 13:06 से 15:27 तक | |
17:44 से 20:00 तक | |||
7/4/2021 | बुधवार | 06:57 से 10:28 तक | |
12:43 से 19:37 तक | |||
12/4/2021 | सोमवार | 10:08 से 17:01 तक | |
17/04/2021 | शनिवार | 06:25 से 09:49 तक | |
12:03 से 18:57 तक | |||
19/04/2021 | सोमवार | 06:23 से 11:55 तक | |
14:16 से 18:49 तक | |||
25/04/2021 | रविवार | 07:22 से 09:17 तक | |
11:32 से 18:26 तक | |||
29/04/2021 | गुरुवार | 07:06 से 13:36 तक |
मई कर्णवेध मुहूर्त 2021 | |||
दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
3/5/2021 | सोमवार | 11:00 से 17:54 तक | |
8/5/2021 | शनिवार | 15:18 से 19:54 तक | |
9/5/2021 | रविवार | 06:53 से 12:57 तक | |
15:14 से 19:50 तक | |||
14/05/2021 | शुक्रवार | 06:14 से 08:03 तक | |
10:17 से 17:11 तक | |||
15/05/2021 | शनिवार | 06:03 से 10:13 तक | |
16/05/2021 | रविवार | 12:30 से 19:23 तक | |
17/05/2021 | सोमवार | 07:22 से 12:26 तक | |
14:43 से 19:19 तक | |||
23/05/2021 | रविवार | 09:42 से 16:36 तक | |
24/05/2021 | सोमवार | 07:23 से 09:38 तक | |
26/05/2021 | बुधवार | 07:15 से 11:50 तक | |
14:08 से 18:43 तक | |||
31/05/2021 | सोमवार | 09:10 से 16:04 तक |
जून कर्णवेध मुहूर्त 2021 | |||
दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
5/6/2021 | शनिवार | 06:36 से 11:11 तक | |
13:28 से 18:04 तक | |||
6/6/2021 | रविवार | 06:49 से 13:24 तक | |
15:41 से 20:02 तक | |||
10/6/2021 | गुरुवार | 17:44 से 20:03 तक | |
11/6/2021 | शुक्रवार | 06:12 से 08:27 तक | |
10:47 से 15:21 तक | |||
13/06/2021 | रविवार | 06:05 से 08:19 तक | |
10:40 से 19:30 तक | |||
20/06/2021 | रविवार | 07:52 से 17:05 तक |
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जुलाई कर्णवेध मुहूर्त 2021 | |||
दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
2/7/2021 | शुक्रवार | 07:04 से 09:25 तक | |
11:42 से 16:18 तक | |||
10/7/2021 | शनिवार | 08:53 से 15:46 तक | |
11/7/2021 | रविवार | 06:29 से 08:49 तक | |
11:07 से 18:01 तक | |||
16/07/2021 | शुक्रवार | 06:36 से 13:03 तक | |
15:23 से 19:45 तक | |||
17/07/2021 | शनिवार | 17:38 से 19:42 तक | |
24/07/2021 | शनिवार | 14:51 से 19:14 तक | |
25/07/2021 | रविवार | 06:20 से 12:28 तक | |
14:48 से 19:10 तक | |||
26/07/2021 | सोमवार | 07:50 से 12:24 तक | |
29/07/2021 | गुरुवार | 14:32 से 16:50 तक | |
31/07/2021 | शनिवार | 07:31से 09:48 तक | |
12:04 से 18:47 तक |
अगस्त कर्णवेध मुहूर्त 2021 | |||
दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
4/8/2021 | बुधवार | 07:15 से 11:49 तक | |
14:08 से 18:31 तक | |||
6/8/2021 | शुक्रवार | 07:07 से 14:00 तक | |
16:19 से 18:23 तक | |||
12/8/2021 | गुरुवार | 17:59 से 19:42 तक | |
13/08/2021 | शुक्रवार | 06:40 से 11:13 तक | |
13:33 से 19:38 तक | |||
22/08/2021 | रविवार | 06:43 से 12:57 तक | |
15:16 से 19:02 तक |
सितंबर कर्णवेध मुहूर्त 2021 | |||
दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
1/9/2021 | बुधवार | 07:42 से 12:18 तक | |
2/9/2021 | गुरुवार | 16:37 से 18:19 तक | |
3/9/2021 | शुक्रवार | 07:34 से 14:29 तक | |
16:33 से 18:15 तक | |||
4/9/2021 | शनिवार | 07:30 से 14:25 तक | |
16:29 से 18:11 तक | |||
9/9/2021 | गुरुवार | 07:11से 09:27 तक | |
11:47 से 17:52 तक | |||
12/9/2021 | रविवार | 11:35 से 13:53 तक | |
15:57 से 19:07 तक | |||
13/09/2021 | सोमवार | 06:55 से 09:11 तक | |
17/09/2021 | शुक्रवार | 11:15 से 17:20 तक | |
18/09/2021 | शनिवार | 07:24 से 08:52 तक | |
11:11 से 18:44 तक |
अक्टूबर कर्णवेध मुहूर्त 2021 | |||
दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
6/10/2021 | बुधवार | 17:33-18:58 | |
7/10/2021 | गुरुवार | 09:57-17:29 | |
10/10/2021 | रविवार | 07:25-12:03 | |
14:07-15:50 | |||
15/10/2021 | शुक्रवार | 09:25-15:30 | |
16:57-18:22 | |||
20/10/2021 | बुधवार | 09:05-11:24 | |
13:28-19:38 | |||
21/10/2021 | गुरुवार | 06:57-13:24 | |
15:06-17:59 | |||
25/10/2021 | सोमवार | 08:46-14:51 | |
17:43-19:18 | |||
27/10/2021 | बुधवार | 07:37-08:38 | |
10:57-13:01 | |||
28/10/2021 | गुरुवार | 07:01-10:53 | |
12:57-17:31 | |||
29/10/2021 | शुक्रवार | 07:02-10:49 |
नवंबर कर्णवेध मुहूर्त 2021 | |||
दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
3/11/2021 | बुधवार | 08:10-10:29 | |
6/11/2021 | शनिवार | 07:08-10:17 | |
12:21-16:56 | |||
10/11/2021 | बुधवार | 16:40-18:15 | |
17/11/2021 | बुधवार | 07:16-11:38 | |
21/11/2021 | रविवार | 09:18-13:05 | |
14:32-19:28 | |||
22/11/2021 | सोमवार | 09:14-11:18 | |
24/11/2021 | बुधवार | 09:06-15:45 | |
17:20-19:16 | |||
25/11/2021 | गुरुवार | 07:23-09:02 | |
11:07-15:41 | |||
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दिसंबर कर्णवेध मुहूर्त 2021 | |||
दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
1/12/2021 | बुधवार | 07:28-13:53 | |
15:18-18:31 | |||
8/12/2021 | बुधवार | 07:33-11:58 | |
13:25-18:21 | |||
9/12/2021 | गुरुवार | 07:33-13:21 | |
14:46-18:17 | |||
13/12/2021 | सोमवार | 07:36-07:52 | |
09:56-14:30 | |||
16:06-20:16 | |||
19/12/2021 | रविवार | 07:40-12:42 | |
14:07-17:38 | |||
27/12/2021 | सोमवार | 07:43-10:43 | |
12:10-17:06 | |||
31/12/2021 | शुक्रवार | 08:45-13:20 | |
14:55-18:29 |
पहले के समय में कर्णवेध संस्कार लड़का और लड़की दोनों का समान रूप से होता था, लेकिन वर्तमान में इस संस्कार को लड़कों के लिए भी बहुत कम किया जाता है। लड़कियों के लिए कर्णवेध के साथ-साथ नाक छेदन की भी परंपरा होती थी। वहीँ आज कल कुछ लोग फैशन के तौर पर अपनी इच्छानुसार कर्णवेध करवाते हैं। ऐसा माना जाता है कि कर्णवेध संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त बालक/बालिका की जन्म कुंडली, नक्षत्रों व ग्रहों की स्थिति का सही आकलन करने के बाद ही निकाली जानी चाहिए।
हिन्दू संस्कृति में किए जाने वाले सभी कर्मकांड के पीछे विशेष उद्देश्य अवश्य ही छिपे होते हैं। चूँकि कर्णवेध भी सनातन परंपरा का एक मुख्य कर्मकांड है, इसलिए इस संस्कार को करने के पीछे भी धार्मिक महत्व के साथ-साथ वैज्ञानिक और ज्योतिषीय महत्व होता है।
धार्मिक महत्व- शास्त्रों के अनुसार यदि किसी व्यक्ति का कर्णवेध संस्कार संपन्न नहीं हुआ है, तो वैसी स्थिति में वह अपने प्रियजन के अंतिम संस्कार का अधिकारी नहीं माना जाता है। यह संस्कार उपनयन संस्कार यानि शिक्षा आरम्भ करने से पहले ही करा दी जानी चाहिए, ताकि बालक की बुद्धि तेज़ हो और वह अच्छी तरह से शिक्षा ग्रहण कर सके। धर्म सिंधु जैसे कई अन्य हिंदू धर्मग्रंथों में आपको कर्णवेध संस्कार जो कि कान छिदवाने की एक रस्म होती है, उसके बारे में जानकारी मिल जाएगी। बच्चे के जन्म के बाद 6 महीने से लेकर 5 साल तक की आयु में ही इस संस्कार को किया जाना शुभ माना जाता है।
वैज्ञानिक महत्व- कर्णवेध संस्कार को वैज्ञानिक दृष्टि से देखें, तो इसके पीछे वैज्ञानिक महत्व छिपा हुआ है। दरअसल ऐसा माना जाता है कि कान को छेदने से बच्चे का शारीरिक और बौद्धिक विकास अच्छी तरह से होता है। इसके साथ ही बच्चे की सुनने की क्षमता और समझ भी बढ़ जाती है। कर्णवेध करने से हार्निया और लकवे जैसी बीमारियाँ नहीं होती हैं। वहीँ अगर स्त्रियों की बात करें तो कानों में झुमके या बालियाँ पहनने से मासिक धर्म नियमित रूप से आता है। इससे हिस्टीरिया रोग में भी लाभ मिलता है।
ज्योतिषीय महत्व- कर्णवेध संस्कार न केवल धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका ज्योतिषीय महत्व भी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस संस्कार को करने से राहु-केतु के बुरे प्रभावों से बच्चे को मुक्ति मिलती है। हम सभी जानते हैं कि ये दोनों ही क्रूर ग्रह हैं और जीवन में आने वाला आकस्मिक संकट भी इन्हीं ग्रहों के दोष के कारण होता है। इसलिए अपने बच्चे को राहु-केतु के बुरे प्रभावों से बचाने के लिए उसका कर्णवेध संस्कार ज़रूर करवाना चाहिए।
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शास्त्रों के अनुसार कर्णवेध संस्कार व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्व रखता है। किसी भी बालक का यह संस्कार उसके जन्म के 10वें, 12वें या 16वें दिन में किया जाता है, लेकिन अगर किसी कारण से इस समय में न हो पाए, तो जन्म से छठे, सातवें, आठवें, दसवें या फिर बारहवें महीने में कर्णवेध संस्कार करा देना चाहिए। और यदि किसी वजह से इस समय में भी ये संस्कार नही हो पाए, तो बच्चे के जन्म के तीसरे या पांचवें वर्ष में भी इसे कर सकते हैं।
कर्णवेध मुहूर्त 2021 के माध्यम से आप बच्चे के जन्म के अनुसार कर्णवेध संस्कार की तारीख चुन सकते हैं। कर्णवेध संस्कार में शुभ लग्न, दिन, तिथि, माह और नक्षत्र अहम भूमिका निभाते हैं, इसीलिए हमें खासतौर पर कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए-
लग्न- वैदिक ज्योतिषियों अनुसार गुरु बृहस्पति के वृषभ, धनु, तुला और मीन लग्न में होने से कर्णवेध संस्कार के लिए सबसे उत्तम स्थिति का निर्माण होता है।
वार- सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार में से कोई वार होना कर्णवेध संस्कार के लिए बेहद शुभ माना जाता है।
तिथि- चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि को छोड़कर बाकी सभी तिथि कर्णवेध संस्कार के लिए शुभ मानी गयी है।
माह - कार्तिक, पौष, चैत्र और फाल्गुन मास इस संस्कार के लिए मुख्यतौर से शुभ माने जाते हैं।
नक्षत्र- कर्णवेध संस्कार के लिए नक्षत्रों की अगर बात करें, तो मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा, हस्त, अश्विनी, पुष्य, अभिजीत, श्रवण, घनिष्ठा और पुनर्वसु शुभ माने जाते हैं।
जिस बच्चे का यह संस्कार किया जाता है, उसकी जन्म कुंडली के आधार पर भी शुभ मुहूर्त की गणना की जाती है। कर्णवेध संस्कार ग्रहण काल, खर मास, क्षय तिथि, चतुर्मास, जन्म मास और भद्रा में भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
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कर्णवेध संस्कार हमेशा पंडित द्वारा निकाले गए शुभ मुहूर्त में ही किया जाना चाहिए।
यह एक पवित्र संस्कार है, इसलिए इस संस्कार को करने से पहले देवी-देवताओं की पूजा होती है। कुछ लोग इस संस्कार में अपने कुल देवी-देवताओं की भी पूजा करते हैं।
जिस बच्चे का कर्णवेध संस्कार होता है, उसे पूर्व दिशा की ओर मुख करके बिठाया जाता है। पूर्व दिशा शुभ होती है, जिसकी वजह से बच्चे के अंदर सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। ध्यान रहे कि इस दौरान बच्चे और अभिभावक दोनों का ही मुख सूर्य के सामने की ओर होना चाहिए।
उसके बाद जिस बालक या बालिका का कर्णवेध संस्कार होना है, उसके कानों में मंत्र बोलना चाहिए और मंत्र पढ़ने के तुरंत बाद सोने, चाँदी, या लोहे की सुई से कानों में छेद करना चाहिए।
इस दौरान पहले बालक के दाएं कान और फिर बाएँ कान में सुई से छेद करना चाहिए, और उनमें आभूषण पहनाने चाहिए।
वहीं अगर बालिका काकर्णवेध संस्कार किया जा रहा हो, तो उसके पहले बाएँ कान में और फिर दाहिने कान में छेद करना शुभ रहता है। बालिका के कान के साथ-साथ उसकी बायीं नाक में भी छेद करके उसमें सोने का आभूषण पहनना चाहिए।
छेद करने और आभूषण पहनाने के बाद बच्चे के कान और नाक पर नारियल का तेल लगाया जाता है।
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कर्णवेध संस्कार उपनयन संस्कार से पहले किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना गया है कि जब सूर्य की किरणें किसी बालक या बालिका कानों के छिद्रों से आरपार होती हैं तो वह बालक तेज और संपन्न बनता हैं। हिन्दू धर्म की वर्ण व्यवस्था के अनुसार यह संस्कार अलग-अलग तरीके से किया जाता है। जिसमें बाह्मण और वैश्य के बच्चे का यह संस्कार चाँदी की सुई से, शूद्र वर्ण से संबंध रखने वाले बच्चे का लोहे की सुई से और क्षत्रिय बच्चे का सोने की सुई से किया जाता है। इसके अलावा बाह्मण, क्षत्रिय और वैश्य समाज से आने वाले बच्चों का कर्णवेध संस्कार साही के कांटे से भी किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि इस संस्कार को शुभ मुहूर्त में ही किया जाता है।
कर्णवेध मुहूर्त 2021 में आपको ऊपर बताया गया कि कर्णवेध संस्कार का धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ वैज्ञानिक और ज्योतिषीय महत्व भी है। चलिए जानते हैं, कर्णवेध संस्कार से होने वाले कुछ और लाभ के बारे में -
कर्णवेध संस्कार में बच्चे की नस को ठीक रखने के लिए उसके दोनों कानों को छेद कर उसमें सोने के आभूषण पहनाएं जाते हैं, जिससे बच्चे को कई तरह का शारीरिक लाभ होता है, और वह एक सुखी जीवन जी पाता है।
शास्त्रों के अनुसार कर्णवेध संस्कार से बालक को बौद्धिक लाभ मिलता हैं और बच्चा प्रखर और बुद्धिमान बनता है।
कर्णवेध संस्कार से बालक की सुंदरता में भी वृद्धि करता है। कानों में कुंडल पहनने से शारीरिक सौंदर्यता में चार चाँद लग जाता है। यही वजह है कि पौराणिक काल से लेकर आज के समय में भी लोग फैशन के तौर पर कानों में आभूषण पहनते हैं।
कन्याओं के लिए कान छिदवाना बहुत ज़रूरी माना गया है, क्योंकि विज्ञान के अनुसार कानों में सोने के कुंडल या बालियां पहनने से मासिक धर्म से जुड़ी कोई परेशानी नहीं होती है।
ज्योतिष के अनुसार कर्णवेध संस्कार से बच्चे के जीवन में आने वाले सभी आकस्मिक संकटों और कुछ ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को भी कम किया जा सकता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो पुरुषों के द्वारा कान छिदवाने से उनमें अंडकोष और वीर्य के संरक्षण में भी लाभ मिलता है।
कर्णवेध मुहूर्त 2021 के माध्यम से हमने आपको इस संस्कार जुड़ी बहुत सी खास बातें बताई हैं और अब इस लेख के आखिर में आपको यह बताना चाहते हैं कि बालक के कान को छेदते समय कुछ सावधानियाँ हैं जो ज़रूर बरतनी चाहिए। जैसे, ध्यान रहे कि कान छेदने वाला औजार कीटाणुरहित होना चाहिए। इसके लिए कर्णवेध करने से पहले औजार को गर्म पानी से अच्छी तरह से साफ़ कर लें। जब बालक के कान में छेद हो जाए, तो उस पर कोई अच्छी एंटी सेप्टिक क्रीम ज़रूर लगा दें। वैसे तो बच्चे को सोने की बाली ही पहनानी चाहिए, लेकिन यदि कोई ऐसा कर पाने में समर्थ नहीं हैं तो वह बालक को ऐसी बाली पहनाये जो कि निकल तत्व मुक्त हो और उसे पहनने के दौरान बच्चे को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
हम उम्मीद करते हैं कि कर्णवेध मुहूर्त 2021 से जुड़ा यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा। हमारी वेबसाइट से जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद!
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