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Chandra Grahan 2021

Author: -- | Last Updated: Fri 13 Mar 2020 2:36:43 PM

चंद्र ग्रहण 2021 (Lunar Eclipse 2021) से जुड़े प्रत्येक सवाल का जवाब आपको हमारे इस लेख में मिलेगा। 2021 में चंद्र ग्रहण की तारीख, चंद्र ग्रहण का प्रकार और ग्रहण के दौरान अमल में लाई जाने वाली सावधानियों के बारे में भी आपको पता चलेगा। सबसे पहले जानते हैं साल 2021 में घटित होने वाले चंद्र ग्रहणों के समय, दिन और दृश्यता के बारे में।

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chandra grahan 2019

ज्योतिषीयों के लिये ज्योतिष का आधुनिक सॉफ्टवेयर - ध्रुव एस्ट्रो सॉफ्टवेयर पहला चंद्र ग्रहण 2021

दिनांक चंद्र ग्रहण प्रारंभ चंद्र ग्रहण समाप्त ग्रहण का प्रकार
26 मई 2021 14:17 बजे से 19:19 बजे तक पूर्ण

यह चंद्र ग्रहण पूर्वी एशिया, प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में देखा जा सकेगा।

दूसरा चंद्र ग्रहण 2021

दिनांक चंद्र ग्रहण प्रारंभ चंद्र ग्रहण समाप्त ग्रहण का प्रकार
19 नवंबर 2021 11:32 बजे से 17:33 बजे तक आंशिक

अमेरिका, उत्तरी यूरोप, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर में इस चंद्र ग्रहण को देखा जा सकेगा।

साल 2021 में होने वाले चंद्र ग्रहण

साल 2021 में दो बार चंद्र ग्रहण की घटना घटित होगी। इस साल का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई 2021 को होगा और दूसरा चंद्र ग्रहण 19 नवंबर 2021 को। पहला चंद्र ग्रहण, पूर्ण ग्रहण होगा जबकि दूसरा ग्रहण आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। आंशिक ग्रहण की स्थिति में पृथ्वी, चंद्रमा को आंशिक रुप से ढक लेती है।

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चंद्र ग्रहण को लेकर लेकर खगोल विज्ञान की अवधारणा

खगोल वैज्ञानिकों के लिये चंद्रमा एक महत्वपूर्ण ग्रह है। खगोलीय दृष्टि से देखा जाए तो चंद्रमा हमारी धरती का उपग्रह है। धरती से चंद्रमा की दूरी लगभग 384,400 किलोमीटर है। अब चंद्र ग्रहण के बारे में बात करें तो यह घटना, सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी के आने पर होती है। चंद्र ग्रहण का समय काल सूर्य ग्रहण से ज्यादा होता। जहां एक तरफ सूर्य ग्रहण को किसी भी स्थान से कुछ मिनटों के लिये देखा जाता है वहीं चंद्र ग्रहण को कुछ घंटों तक देखा जा सकता है। चंद्र ग्रहण को आंखों पर बिना किसी सुरक्षा के देखा जा सकता है क्योंकि इसकी चमक बहुत कम होती है। खगोल विज्ञान के अनुसार चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा के दिन होता है। यानि जिस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण रुप में होता है।

चंद्र ग्रहण 2021- ज्योतिष की दृष्टि में चंद्रमा

खगोल विज्ञान के साथ-साथ ज्योतिष में भी चंद्रमा एक महत्वपूर्ण ग्रह है। हालांकि खगोल विज्ञान में इसे एक उपग्रह माना जाता है जबकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह एक ग्रह है। ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना जाता है। इसके साथ ही यह रक्त, छाती, धन-संपत्ति आदि का भी कारक ग्रह है। काल पुरुष की कुंडली में यह कर्क राशि का स्वामी है और हस्त, श्रवण और रोहिणी इसके नक्षत्र हैं। वैदिक ज्योतिष में व्यक्ति की चंद्र राशि को ही उसके जीवन के भविष्यफल के लिये आधार माना जाता है। चंद्रमा की गति सभी ग्रहों मेें सबसे तेज होती है, यह लगभग सवा दो दिनों में राशि परिवर्तन कर देता है। यह एक शुभ ग्रह है और वृषभ इसकी उच्च राशि है। वहीं वृश्चिक राशि में चंद्रमा नीच का होता है। यह एक सौम्य ग्रह है और ज्योतिष में इसे स्त्री ग्रह भी कहा जाता है।

जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा बली होता है वो मानसिक रुप से सुखी होते हैं। ऐसे लोगों की कल्पना शक्ति बहुत अच्छी होती है और कला के क्षेत्रों में ऐसे लोग अच्छा प्रदर्शन करते हैं, ऐसे लोगों में भावुकता की अधिकता होती है। माता के साथ भी इन लोगों के संबंध बहुत अच्छे होते हैं। यदि कुंडली में चंद्रमा पीड़ित है तो ऐसे व्यक्ति को मानसिक परेशानियां हो सकती हैं और

चंद्र ग्रहण 2021- धार्मिक दृष्टि हिंदू धर्म को मानने वाले लोग चंद्रमा को देवता का दर्जा देते हैं। यही वजह है कि धार्मिक और मांगलिक अनुष्ठानों में चंद्र देव की भी पूजा की जाती है। महर्षि अत्रि और देवी अनुसूया के पुत्र चंद्र देव को जल तत्व का देवता माना गया है। चंद्र देव को भगवान शिव का उपासक बताया गया है। माना जाता है कि चंद्र देव को शिव भगवान ने अपने सिर पर धारण किया है। इसलिये चंद्र देव को प्रसन्न करने के लिये भगवान शिव की पूजा की जाती है। शायद यही वजह है कि, सोमवार यानि चंद्र देवता जिस दिन का प्रतिनिधित्व करते हैं उस दिन भगवान शिव की पूजा करना और व्रत रखना अति शुभ माना जाता है।

चंद्र ग्रहण के दिन यदि कोई व्यक्ति ग्रहण के बुरे प्रभावों से बचना चाहता है तो उसे चंद्र देव के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा करने की भी सलाह दी जाती है। साल 2021 में चंद्र ग्रहण के दिन यदि आप भगवान शिव की पूजा करते हैं तो ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों से आप बच सकते हैं।

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चंद्र ग्रहण 2021- सूतक काल

किसी भी ग्रहण से पूर्व से पहले सूतक काल शुरु होता है। चाहे सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण इन दोनों में ही सूतक काल के दौरान कुछ सावधानियां बरतनी बहुत आवश्यक होती हैं। सूतक काल की जानकारी के लिये आपको ग्रहण शुरु होने के समय के बारे में जानकारी अवश्य होनी चाहिये। चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल तीन पहर पहले शुरु हो जाता है। बता दें कि 3 घंटे का एक पहर होता है इसलिये चंद्र ग्रहण शुरु होने से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरु हो जाता है।

सूतक काल को लेकर एक तथ्य यह भी है कि, सूतक काल केवल उसी जगह प्रभावी होता है जहां चंद्र या सूर्य ग्रहण आंशिक या पूर्ण रुप से दृश्य होता है। यदि आपके देश में चंद्र या सूर्य ग्रहण नहीं है तो सूतक काल भी प्रभावी नहीं होगा।

आइये अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि चंद्र ग्रहण और सूतक काल के दौरान आपको कौनसी सावधानियां बरतनी चाहिये।

चंद्र ग्रहण 2021: ग्रहण के दौरान बरतें यह सावधानियां

ग्रहण शब्द को सुनकर ही हर इन्सान के मन में भय पैदा हो जाता है। कोई नहीं चाहता कि ग्रहण का बुरा प्रभाव उस पर पड़े। यदि आप भी ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों से बचना चाहते हैं तो आपको कुछ सावधानियां अपनानी चाहिये। इन सावधानियों के बारे में नीचे बताया गया है।

  • ग्रहण और इससे पहले लगने वाला सूतक काल शुभ नहीं माना जाता, इसलिये इस दौरान आपको कोई भी शुभ काम शुरु नहीं करना चाहिये।
  • धार्मिक दृष्टि से भी ग्रहण और इससे पहले लगने वाला सूतक काल अशुभ होता है इसलिये इस अवधि में देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को नहीं छूना चाहिये।
  • इस दौरान दांतून, बालों में कंघी भी नहीं लगानी चाहिये।
  • सूतक काल में भोजन खाना और ताज़ा भोजन बनाना भी वर्जित माना जाता है।
  • इस दौरान मलमूत्र त्याग करने से भी बचना चाहिये और इन कामों को सूतक काल से पूर्व ही निपटा लेना चाहिये।

चंद्र ग्रहण के दौरान करें यह काम

हालांकि कि ग्रहण को शुभ घटना नहीं माना जाता फिर भी इस समय कुछ ऐसे काम हैं जिनको करना चाहिये।

  • चंद्र ग्रहण के दौरान आपको भगवान शिव की आराधना करनी चाहिये और शिव स्तोत्र का जाप करना चाहिये। इससे आप पर ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ते।
  • इस दौरान आप चंद्र देव की पूजा भी कर सकते हैं और चंद्र बीज मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।

चंद्र ग्रह बीज मंत्र ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः

  • इस दौरान धार्मिक पुस्तकों जैसे- गीता, रामायण आदि का पाठ करना भी आपके मन मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है।

चंद्र ग्रहण 2021- ग्रहण की समाप्ति पर करें यह काम

जिस तरह चंद्र ग्रहण के शुरु होने पर और उससे पहले शुरु होने वाले सूतक काल के दौरान कुछ कामों को करने की मनाही है, ठीक उसी तरह ग्रहण की समाप्ति के बाद कुछ ऐसे काम हैं जिनको किया जाना बहुत जरुरी माना गया है। ग्रहण के बाद किये जाने वाले कामों के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं।

  • ग्रहण समाप्त होने के तुरंत बाद आपको स्वच्छ जल स स्नान करके खुद को शुद्ध करना चाहिये। यदि संभव हो तो नहाने के पानी में कुछ बूंदें गंगाजल की भी डालें।
  • इसके बाद अपने घर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें।
  • घर की सफाई के बाद पूजा स्थल पर स्थापित मूर्तियों को भी स्नान करवाएं और उनपर गंगाजल का छिड़काव करके उनकी पूजा करें।
  • ग्रहण की समाप्ति के बाद ताज़ा भोजन करें। यदि सूतक काल से पहले बना भोजन खाना है तो भोजन में तुलसी के पत्ते डालें।
  • ग्रहण समाप्त होने के बाद पवित्र नदियों में स्नान करना भी अति शुभ माना गया है।

चंद्र ग्रहण 2021- ग्रहण के दौरान इस मंत्र का करें जाप

चंद्र ग्रहण के दौरान ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिये नीचे दिये गये मंत्र का 108 या 1008 बार जाप किया जाना चाहिये।

“ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्”

इसके साथ ही आप चंद्र ग्रह के तांत्रिक और बीज मंत्रों का जाप करके भी ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों से बच सकते हैं।

चंद्र ग्रहण 2021- ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं के लिये निर्देश ग्रहण काल गर्भवती महिलाओं के लिये बहुत संवेदनशील होता है इसलिये इस दौरान उन्हें सावधान रहने की सलाह दी जाती है। ग्रहण काल के दौरान महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, कताई आदि कामों को करने से बचना चाहिये, नहीं तो इसका बुरा प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ सकता है। इसके अलावा चाकू और छुरी का इस्तेमाल भी इस दौरान नहीं करना चाहिये। माना जाता है कि ऐसा करने से गर्भ में पल रहे शिशु के अंगों पर बुरा असर पड़ता है। ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर जाने से भी बचना चाहिये। चंद्र ग्रहण से जुड़ी पौराणिक कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार, राहु और केतु, सूर्य और चंद्र पर ग्रहण लगाते हैं। हिंदू पौराणिक शास्त्रों में वर्णित है कि समुद्र मंथन के बाद जब समुद्र से 14 रत्न निकले तो उनमें से एक रत्न अमृत था। अमृत तरल पदार्थ था जिसे पीकर हर कोई अमर हो सकता था। अमृत की चाह में असुरों और देवताओं में जंग हुई और असुर अमृत कलश को लेकर भागने लगे। देवताओं ने यह बात भगवान विष्णु को बताई और भगवान विष्णु ने मोहिनी रुप धारण करके असुरों को अपने वश में कर लिया। विष्णु भगवान ने असुरों को इस शर्त पर मना लिया कि, अमृत देवताओं और असुरों में समान रुप से वितरित होना चाहिये। हालांकि असुरों को अमृत पिलाकर पूरे विश्व में नकारात्मक शक्तियां अमर हो जातीं, इसलिये भगवान विष्णु ने बड़ी चतुरता से असुरों को साधरण जल और देवताओं को अमृत पिलाना शुरु किया।

असुरों की कतार में बैठे स्वरभानु नाम के एक असुर को पता चल गया कि अमृत केवल देवताओं को दिया जा रहा है, इसलिये वह रुप बदलकर देवताओं की कतार में बैठ गया। हालांकि उसका यह भेद सूर्य और चंद्र देव को पता चल गया और उन्होंने यह बात मोहिनी रुप धारण किये भगवान विष्णु को बताई। यह बात जानकर भगवान विष्णु को क्रोध आया और उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का सिर, धड़ से अलग कर दिया, लेकिन तब तक अमृत की कुछ बूंदें स्वरभानू के गले में जा चुकी थीं इसलिये वह मरा नहीं। तब से स्वरभानु के सिर को राहु और धड़ को केतु के रुप में जाना जाने लगा। चूंकि सूर्य और चंद्र देव ने राहु-केतु (स्वरभानु) का भेद भगवान विष्णु को बताया था इसलिये सूर्य और चंद्रमा पर ग्रहण लगाकर वह शत्रुता का बदला लेते हैं, ऐसा माना जाता है।

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