उपनयन मुहूर्त 2021 (Upanayana Muhurat 2021) में आप जानेंगे कि आखिर शुभ मुहूर्त अनुसार वर्ष 2021 में कब करें अपने बच्चों का उपनयन संस्कार? हमारे इस लेख के द्वारा आपको उपनयन संस्कार के लिए सभी शुभ मुहूर्त की जानकारी के साथ-साथ, उपनयन संस्कार से होने वाले लाभ और इसका ज्योतिषीय महत्व भी जानने को मिलेगा। लेकिन उपनयन मुहूर्त 2021 के बारे में जानने से पहले हमें यह अच्छी तरह से समझना होगा कि आख़िर हमें उपनयन मुहूर्त की आवश्यकता क्यों होती हैं।
हिंदू धर्म के सभी 16 संस्कारों में उपनयन संस्कार को दसवाँ स्थान प्राप्त है। उपनयन संस्कार को संस्कृत में यज्ञोपवीत संस्कार या फिर इसे जनेऊ संस्कार भी कहा जाता है। एक पुरुष के जीवन में इस संस्कार का बहुत महत्व होता है, जो कि कर्णभेद संस्कार के बाद किया जाता है। उपनयन संस्कार बालक के किशोरावस्था से युवा अवस्था में प्रवेश करने के बाद करते हैं। इस संस्कार को पूरे रीति-रिवाज़ों के साथ निभाया जाता है और बालक को जनेऊ पहनाया जाता है। जनेऊ संस्कार का अर्थ होता है कि बच्चा अब विद्या ग्रहण करने योग्य हो गया है और इसी दिन से उसका विद्यारंभ होता है।
वहीँ अगर ‘यज्ञोपवीत’ शब्द को देखें तो यह “यज्ञ” और “उपवीत” शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है यज्ञ-हवन आदि करने का अधिकार प्राप्त होना। ऐसी मान्यता है कि बिना जनेऊ संस्कार के पूजा पाठ करना, विद्या प्राप्त करना और व्यापार आदि करना सब कुछ निरर्थक होता है। यह संस्कार ब्राह्मण बालक का आठ साल की उम्र में, क्षत्रिय बालक का ग्यारह साल की उम्र में और वैश्य बालक का बारह साल की उम्र में होता है।
शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि जनेऊ संस्कार की विधि से बालक के पिछले जन्मों में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इसलिए यह बालक का दूसरा जन्म भी माना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार जनेऊ संस्कार होने के बाद ही बच्चे का धर्म में प्रवेश माना जाता है। पुराने समय में इस संस्कार के बाद ही बालक को शिक्षा दी जाती थी। किसी भी बालक की आयु और बुद्धि बढ़ाने के लिए जनेऊ संस्कार बेहद ज़रूरी होता है।
अपने इस लेख के जरिये हम आपको साल 2021 में पड़ने वाले सभी उपनयन मुहूर्तों के बारे में जानकारी देंगे। नीचे दी गई तालिका को देखकर आप अपनी सुविधानुसार उपनयन संस्कार के लिए सही मुहूर्त का चयन कर सकते हैं।
अप्रैल उपनयन मुहूर्त 2021 | |||
दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
22 अप्रैल | गुरुवार | 05:49 | 06:55 |
29 अप्रैल | गुरुवार | 05:42 | 11:48 |
अप्रैल उपनयन मुहूर्त 2021 | |||
दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
13 मई | गुरुवार | 05:32 | 14:29 |
16 मई | रविवार | 10:01 | 14:17 |
17 मई | सोमवार | 05:29 | 11:35 |
21 मई | शुक्रवार | 11:11 | 15:22 |
23 मई | रविवार | 06:43 | 06:48 |
30 मई | रविवार | 05:24 | 15:03 |
अप्रैल उपनयन मुहूर्त 2021 | |||
दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
13 जून | रविवार | 05:23 | 14:44 |
20 जून | रविवार | 10:31 | 16:22 |
हिन्दू धर्म में किसी भी पूजा-पाठ आदि को करने के पीछे एक कारण छिपा होता है। अब वह कारण चाहें धार्मिक हो, वैज्ञानिक हो या फिर ज्योतिषीय हो। ठीक इसी प्रकार जनेऊ संस्कार यानि उपनयन संस्कार को संपन्न करने के पीछे भी कुछ विशेष कारण छिपे हैं। चलिए जानते हैं कि वो कौन से खास कारण हैं, जिनकी वजह से उपनयन संस्कार को आज के समय में भी खास महत्व दिया जाता है।
धार्मिक महत्व
जनेऊ संस्कार को करने के पीछे के धार्मिक कारण को देखें तो इस संस्कार का सीधा संबंध ब्रहमा, विष्णु और महेश से है। इसके तीन सूत्र त्रिदेव(ब्रह्मा, विष्णु, महेश ) का प्रतीक माने जाते हैं। इसलिए जनेऊ एक पवित्र धागा होता है। किसी भी जनेऊ में पाँच गाँठ लगाई जाती हैं, जो कि ब्रह्म, धर्म, अर्ध, काम और मोक्ष का प्रतीक होते हैं।
वैज्ञानिक महत्व
उपनयन संस्कार का वैज्ञानिक रूप से भी विशेष महत्व बताया गया है। चिकित्सीय विज्ञान के अनुसार, व्यक्ति के पीठ पर एक नस होती है, जो कि दाएँ कंधे से लेकर कमर तक जाती है। यह बेहद सूक्ष्म नस होती है, जो विद्युत के प्रवाह की तरह कार्य करती है। अगर व्यक्ति की यह नस संकूचित अवस्था में रहे, तो काम-क्रोध आदि जैसे विकार पर वह नियंत्रण पा लेता है। दाएँ कंधे से लेकर कमर तक जाने वाली जनेऊ इस नस को इसी अवस्था में रखता है। इसलिए जनेऊ पहनने वाले इंसान के अंदर मानवीय गुणों का विकास होता है और बुरे विचार उसे परेशान नहीं करते। साथ ही यह व्यक्ति की आयु, बल और बुद्धि में भी वृद्धि करने में मददगार होता है।
ज्योतिषीय महत्व
वैदिक ज्योतिष में कुल नौ ग्रह होते हैं- मंगल, बुध, सूर्य, चंद्र, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु। ज्योतिष के अनुसार इन्हीं ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। जनेऊ के तीन धागों में कुल नौ लड़ियाँ होती हैं, जिन्हें नवग्रह का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए शास्त्रों के अनुसार जनेऊ धारण करने वाले व्यक्ति को नवग्रहों का आशीर्वाद मिलता है।
इसके अलावा जनेऊ के रंग का भी संबंध ज्योतिष से होता है। यह एक सफ़ेद रंग का धाग होता है, जिसे बालक को पहनाते समय पीले रंग से रंगा जाता है। सफ़ेद रंग का संबंध सौन्दर्य, काम, सुख और कला आदि का कारक माने जाने वाले शुक्र ग्रह से होता है, तो वहीँ जनेऊ के पीले रंग का संबंध ज्ञान, गुरु, अच्छे कर्मों आदि के कारक कहे जाने वाले बृहस्पति ग्रह से है।
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जैसा कि हमने आपको उपर लेख में बताया कि उपनयन संस्कार किसी भी बालक के किशोरावस्था से युवाअवस्था में प्रवेश करने पर संपन्न करते हैं। सनातन परंपरा के अनुसार हर शुभ कार्य की तरह ही इसे भी एक निर्धारित शुभ समय में करना अनिवार्य होता है क्योंकि माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में किया गया हर काम न केवल सफल होता है, बल्कि जिस उद्देश्य के साथ उस कार्य को किया जा रहा हो, वह उद्देश्य भी पूर्ण होता है। दुसरे 16 संस्कारों की तरह ही उपनयन संस्कार भी एक शुभ कार्य है, इसलिए जनेऊ पहनाने का काम भी शुभ मुहूर्त में ही किया जाना चाहिए। तो चलिए जानते हैं की जनेऊ मुहूर्त 2021 के शुभ मुहूर्त के चयन के दौरान हमे किस बात का मुख्यतौर पर ध्यान रखना चाहिए:-
यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्।
आयुष्यमग्रं प्रतिमुंच शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।।
निम्नलिखित नियमों का पालन करने योग्य आयु हो जाने पर ही एक बच्चे का उपनयन संस्कार कराएं-
एक रिसर्च के अनुसार जो भी व्यक्ति जनेऊ धारण करता है, उसे ब्लड प्रेशर और हृदय रोग जैसी समस्या नहीं होती है। चिकित्सकों का ऐसा मानना है कि जनेऊ हृदय के पास से गुजरता है जिसकी वजह से हृदय रोग की संभावना कम हो जाती है। साथ ही हमारे शरीर में दायें कान के पास से ऐसी नसें गुजरती हैं जिनका सीधा संबंध हमारी आंतों से होता है। और जब मल-मूत्र विसर्जन के समय कान में जनेऊ लपेटा जाता है तो इस से इन नसों में दबाव पड़ता है और व्यक्ति का पेट अच्छी तरह से साफ़ हो जाता है।
उपनयन संस्कार एक बालक की शिक्षा-दीक्षा आरंभ कराने के उद्देश्य से किया जाता है। शिक्षा से ही एक मनुष्य का सर्वांगीण विकास संभव है। इसलिए उपनयन संस्कार एक बालक के विकास के लिए बहुत आवश्यक होता है। उपनयन संस्कार के द्वारा बालक को यह भी संदेश दिया जाता है कि उसके ऊपर समाज को बेहतर बनाने और समाज के हित में कार्य करने का दायित्व है। जनेऊ धारण करने के बाद बालक अपने धर्म को समझता है और उसी के अनुरुप व्यवहार करने की शपथ लेता है।
आशा हैं कि “उपनयन मुहूर्त 2021”, का यह लेख आपके लिए बेहद उपयोगी सिद्ध होगा।
हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।
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