साल 2021 में विद्यारंभ मुहूर्त 2021 (Vidyarambh Muhurat 2021) की शुभ तारीखों के बारे में हम आज आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे। आप अपनी सुविधा के अनुसार विद्यारंभ मुहूर्त 2021 को चुनकर इस संस्कार की विधि को संपन्न कर सकते हैं। इसके साथ ही हम आपको यह जानकारी भी देंगे की बालक/बालिकाओं का विद्यारंभ संस्कार सही मुहूर्त में करवाना क्यों आवश्यक है और इससे बच्चों को क्या लाभ प्राप्त होते हैं। नीचे विस्तार से दी गई जानकरी की मदद से आप इस शुभ कार्य को आसानी से बिना किसी दुविधा या परेशानी के करवा पाने में सक्षम होंगे।
विद्या के बिना मनुष्य पशु के समान होता है। इसलिए सनातन परंपरा में मनुष्य के द्वारा विद्या प्राप्ति के लिए एक संस्कार की व्यवस्था की गई है, जिसे विद्यारंभ संस्कार के नाम से जाना जाता है। यह सोलह संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है। विद्यारंभ संस्कार का सीधा अर्थ है बच्चे को शिक्षा के प्रारंभिक स्तर से परिचित कराना। हम सभी जानते हैं कि विद्या ही वो जरिया है, जिसकी मदद से इंसान एक खुशहाल जीवन जीता है और समाज में अपनी पहचान बनाता है। धरती के सारे जीवों में इंसान को विद्या ही सर्वश्रेष्ठ बनाती है।
आज विद्या यानि शिक्षा की अहमियत को हर कोई समझता है और इसीलिए चाहे अमीर हो या गरीब हर कोई अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहता है। लेकिन जिस तरह हर काम की शुरुआत किसी शुभ घड़ी में की जाती है, उसी प्रकार एक बालक के जीवन में विद्या आरंभ करने के लिए भी शुभ मुहूर्त देखा जाता है। विद्या ग्रहण करने से पहले बालक का सही मुहूर्त पर विद्यारंभ संस्कार कराया जाना बेहद आवश्यक है। सही मुहूर्त पर विद्यारंभ संस्कार कराने से बच्चों में सही गुण आते हैं और उसे बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है। हिन्दू धर्म में बालक के लगभग पाँच वर्ष की आयु का हो जाने पर उसका विद्यारंभ संस्कार किया जाता है, जिसके बाद वह विद्यालय में जाकर ज्ञान प्राप्त करता है।
विद्या इंसान में अच्छे गुणों का विकास करती है, इसलिए विद्यारंभ संस्कार के ज़रिए बचपन में ही एक व्यक्ति को विद्या के महत्व को समझाया जाता है। इस संस्कार के द्वारा माता पिता यह कामना करते हैं कि उनके बच्चे की बुद्धि प्रखर हो और वो सही-गलत और सच-झूठ में आसानी से पहचान कर पाये। विद्यारंभ संस्कार के दौरान एक निश्चित मुहूर्त पर पूजा भी की जाती है, जिसमें बच्चे का परिचय स्लेट, पट्टी, कागज, दवात और गुरु से कराया जाता है। एक अच्छे जीवन और उच्च विचारों के लिए सही मुहूर्त पर विद्यारंभ संस्कार करना अति आवश्यक है। इसीलिए लोग किसी अच्छे ज्योतिष से शुभ घड़ी और मुहूर्त के बारे में जानकारी लेकर इस संस्कार को संपन्न करते हैं, क्योंकि यदि गलत समय पर विद्यारंभ संस्कार हो जाए, तो इससे बच्चे को नकारात्मक प्रभाव भी झेलने पड़ सकते हैं।
इसीलिए नीचे दी गई तालिका को देखकर आप अपनी सुविधानुसार विद्यारंभ संस्कार के लिए सही विद्यारंभ मुहूर्त 2021 का चयन कर सकते हैं।
| जनवरी विद्यारंभ मुहूर्त 2021 | |||
| दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
| 14 जनवरी | गुरुवार | 09:02 | 20:00 |
| 15 जनवरी | शुक्रवार | 07:15 | 19:50 |
| 17 जनवरी | रविवार | 08:09 | 18:33 |
| 18 जनवरी | सोमवार | 07:15 | 18:26 |
| 24 जनवरी | रविवार | 07:13 | 10:01 |
| 25 जनवरी | सोमवार | 07:13 | 19:16 |
| 31 जनवरी | रविवार | 07:10 | 09:21 |
| जनवरी विद्यारंभ मुहूर्त 2021 | |||
| दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
| 03 फरवरी | बुधवार | 07:08 | 14:12 |
| 07 फरवरी | रविवार | 16:14 | 18:25 |
| 08 फरवरी | सोमवार | 07:05 | 18:21 |
| 14 फरवरी | रविवार | 07:01 | 20:15 |
| 17 फरवरी | बुधवार | 06:58 | 19:00 |
| 21 फरवरी | रविवार | 15:43 | 19:48 |
| 22 फरवरी | सोमवार | 06:53 | 19:44 |
| 24 फरवरी | बुधवार | 06:51 | 18:06 |
| 28 फरवरी | रविवार | 11:19 | 16:21 |
| जनवरी विद्यारंभ मुहूर्त 2021 | |||
| दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
| 01 मार्च | सोमवार | 06:46 | 19:11 |
| 03 मार्च | बुधवार | 06:44 | 19:08 |
| 08 मार्च | सोमवार | 15:45 | 18:49 |
| 10 मार्च | बुधवार | 06:37 | 14:41 |
| 14 मार्च | रविवार | 17:06 | 18:03 |
| जनवरी विद्यारंभ मुहूर्त 2021 | |||
| दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
| 16 अप्रैल | शुक्रवार | 18:06 | 20:51 |
| 18 अप्रैल | रविवार | 05:53 | 19:54 |
| 22 अप्रैल | गुरुवार | 05:49 | 08:15 |
| 23 अप्रैल | शुक्रवार | 07:41 | 10:48 |
| 28 अप्रैल | बुधवार | 17:12 | 20:04 |
| 29 अप्रैल | गुरुवार | 05:42 | 11:48 |
| जनवरी विद्यारंभ मुहूर्त 2021 | |||
| दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
| 02 मई | रविवार | 05:40 | 14:50 |
| 05 मई | बुधवार | 13:22 | 19:36 |
| 06 मई | गुरुवार | 14:11 | 19:20 |
| 13 मई | गुरुवार | 05:32 | 19:05 |
| 14 मई | शुक्रवार | 05:31 | 19:14 |
| 16 मई | रविवार | 10:01 | 21:12 |
| 17 मई | सोमवार | 05:29 | 21:08 |
| 21 मई | शुक्रवार | 11:11 | 20:52 |
| 23 मई | रविवार | 06:43 | 14:56 |
| 28 मई | शुक्रवार | 05:25 | 20:02 |
| 30 मई | रविवार | 05:24 | 20:17 |
| 31 मई | सोमवार | 05:24 | 20:13 |
| जनवरी विद्यारंभ मुहूर्त 2021 | |||
| दिनांक | वार | मुहूर्त की समयावधि | |
| 04 जून | शुक्रवार | 05:23 | 15:11 |
| 06 जून | रविवार | 05:23 | 19:33 |
| 11 जून | शुक्रवार | 18:31 | 19:30 |
| 13 जून | रविवार | 05:23 | 19:22 |
| 20 जून | रविवार | 10:31 | 20:35 |
हिन्दू धर्म में विद्यारंभ संस्कार बेहद महत्वपूर्ण व्यवस्था मानी गई है। विद्यारंभ संस्कार धार्मिक, आध्यात्मिक और सांसारिक ज्ञान को प्राप्त करने का पहला चरण है। यह संस्कार बच्चे के अंदर अच्छे गुणों को विकसित करने के उद्देश्य से किया जाता है, ताकि वह बड़ा होकर अपनी ज़िम्मेदारी का पालन ईमानदारी से कर सके। जिस तरह हर काम को करने का एक सही समय होता है, वैसे ही विद्यारंभ करने के लिए भी शुभ मुहूर्त और सही उम्र का होना बेहद आवश्यक है।
पुराने समय में लोग अपने बच्चों का विद्यारंभ संस्कार पांच साल की उम्र तक करवाते थे, लेकिन आजकल लोग बच्चे के 3-4 साल की उम्र तक पहुंचते ही शिक्षा देना शुरु कर देते हैं। हालांकि उम्र चाहे जो भी हो लेकिन सही मुहूर्त पर विद्यारंभ संस्कार करा देने से बच्चे का भविष्य सुनहरा हो जाता है और उसे शिक्षा के क्षेत्र में कोई परेशानी नहीं आती। साथ ही इससे बच्चों को विवेक की प्राप्ति होती है और वो जीवन में आने वाली हर बाधा को आसानी से पार कर लेता है।
शास्त्रों के अनुसार विद्यारंभ संस्कार व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्व रखता है।इसीलिए माता-पिता बच्चे की जन्मकुंडली को किसी अच्छे ज्योतिष या पंडित से दिखाकर ही विद्यारंभ संस्कार का मुहूर्त निकलवाते हैं। ज्योतिष बच्चे की कुंडली के साथ-साथ तिथि, नक्षत्र, राशि और वार आदि जैसे आवश्यक पहलुओं को भी ध्यान में रखकर विद्यारंभ मुहूर्त निकालते हैं। चलिए जानते हैं विद्यारंभ संस्कार के लिए कौन-कौन से वार, तिथि, नक्षत्र और राशि माने जाते हैं।
| शुभ वार |
सोमवार, गुरुवार, शुक्रवार और रविवार |
| शुभ नक्षत्र |
रोहिणी, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, अश्विनी, मृगशिरा, उत्तराषाढ़ा, चित्रा, स्वाति, अभिजीत, धनिष्ठा, श्रवण, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और शतभिषा, हस्त, मूल, रेवती और पूर्वाषाढ़ा |
| शुभ राशि |
वृषभ, मिथुन, सिंह, कन्या, और धनु लग्न |
| शुभ तिथि |
माघ शुक्ल की सप्तमी, फाल्गुन शुक्ल की तृतीया और चैत्र-वैशाख की शुक्ल तृतीया |
विद्यारंभ मुहूर्त 2021निकालते समय तिथियों, राशियों और वारों के चुनाव में विशेष सावधानी बरतें। ऊपर हमने आपको बताया कि विद्यारंभ संस्कार कब करना शुभ होता है। इसके साथ ही आपको इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि यह संस्कार कब-कब नहीं किया जाना चाहिए। चतुर्दशी, अमावस्या, प्रतिपदा, अष्टमी तिथि और सूर्य संक्रांति के दिन इस संस्कार को करना अशुभ माना जाता है। इसके साथ ही पौष, माघ, फाल्गुन मे आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भी विद्यारंभ संस्कार नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही चंद्र दोष और तारा दोष के समय भी इस संस्कार को करना वर्जित होता है।
आज हम अपने इस लेख के जरिए आपको विद्यारंभ संस्कार को करने की सही विधि और साथ ही कुछ ध्यान रखने योग्य बातें बताएंगे।
विद्यारंभ संस्कार के दौरान विधिवत भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा की जाती है। इसके साथ ही शिक्षा में प्रयोग होने वाली लेखनी, पट्टी और सबसे महत्वपूर्ण गुरु जो हमें शिक्षा देते हैं और अच्छे-बुरे में फर्क समझाते हैं, उनकी भी पूजा करना अनिवार्य होता है।
चलिए जानते हैं विद्यारंभ संस्कार 2021 के दौरान की जाने वाली पूजा के बारे में विस्तार से-
भगवान शिव के पुत्र लम्बोदर यानि गणेश जी को हिंदू धर्म में बुद्धि का देवता और प्रथम पूज्य माना जाता है, इसलिए जब भी किसी भी नए या शुभ काम की शुरुआत होती है, तो सबसे पहले भगवान गणेश की ही पूजा की जाती है। विद्यारंभ संस्कार के दौरान गणेश पूजा में सबसे पहले बच्चे के हाथ में अक्षत, रोली और फूल देकर नीचे बताए गए मंत्र को पढ़ते हुए गणपति के चित्र के सामने अर्पित करा दें। माता पिता को भगवान गणेश की पूजा करते समययह प्रार्थना करना चाहिए कि भगवान गणेश उनके बच्चे को तेज बुद्धि और उज्जवल भविष्य प्रदान करें। ताकि बच्चा अपनी जिंदगी में हर काम बुद्धि-विवेक से करें और जीवन के हर क्षेत्र में तरक्की पाए।
विद्यारंभ संस्कार के दौरान गणेश पूजा के बाद विद्या की देवी कही जाने वाली माता सरस्वती की पूजा की जाती है। माता सरस्वती की पूजा करते समय नीचे बताये मंत्रों का जाप अवश्य करनी चाहिये।
विद्यारंभ संस्कार करते समय पट्टी पूजन का भी विधान है। पुराने जमाने में पट्टी की पूजा की जाती थी, लेकिन आज के समय में लोग इसकी जगह काॅपी का प्रयोग करते हैं। पट्टी पूजा करते समय नीचे बताए मन्त्रों का उच्चारण करते हुए बच्चे से पूजा स्थल पर स्थापित पट्टी पर पूजा की सामग्री अर्पित कराएं।
लेखनी मतलब जिससे लिखा जाता है और वो होता है पेन या पेंसील। विद्यारंभ संस्कार के दौरान लेखनी पूजन करते समय बच्चे के हाथ में लेखनी दे और पूजा में सम्मिलित माता-पिता की मदद से बच्चे से कॉपी पर नीचे बताये मंत्र को श्रद्धापूवर्क पढ़ते हुए कुछ लिखवाएं।
जब भी हम शिक्षा की बात करते हैं, तो शिक्षक का नाम आना लाज़मी हैं। एक व्यक्ति को अच्छे-बुरे, सही-गलत आदि की समझ मुख्य रूप से एक शिक्षक ही करवाता है, इसीलिए शिक्षक की भूमिका विद्यारंभ संस्कार में भी अहम् होती है, और इस संस्कार को करने के दौरान नीचे बताये गए मंत्र के साथ गुरु की भी पूजा की जाती है। पूजा को संपन्न करते समय गुरु बच्चे से कापी या पट्टी पर उसके जीवन का पहला अक्षर या फिर गायत्री मंत्र लिखवाते हैं। विद्यारंभ संस्कार करते समय गुरु को पूर्व दिशा और बच्चे को पश्चिम दिशा की ओर अपना मुख करके बैठना चाहिए। यदि पूजा के दौरान गुरु मौजूद न हो तो माता पिता संस्कार स्वयं ही कर सकते हैं।
विद्यारंभ संस्कार के अंतिम भाग में हवन करते हैं, जिसके अंतर्गत हवन की सामग्री में कोई मिठाई मिला लें। अब नीचे बताये मंत्र का पांच बार उच्चारण करते हुए बच्चे से पांच आहुतियां हवन कुंड में डलवाएं। हवन के समय मन में यह भावना ज़रूर रखें कि यज्ञ से आ रही ऊर्जा से बच्चे में अच्छे संस्कार आए।
विशेष आहुति हो जाने के बाद यज्ञ के बाकी सभी कर्मों को पूरा करें। उसके बाद आशीर्वचन, विसर्जन और जयघोष किया जाना चाहिए। विद्यारंभ संस्कार के अंत में प्रसाद वितरण करने के बाद पूजा का समापन करें।
हम उम्मीद करते हैं कि विद्यारंभ मुहूर्त 2021 से जुड़ा यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा। हमारी वेबसाइट से जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद!
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